शिमला: हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने अवैध खनन (illegal mining in Himachal) से जुड़े मामले में राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि बिना ट्रांजिट पास के किसी को भी रेत बजरी जैसे लघु खनिज ले जाने की अनुमति न दी जाए. राज्य के बाहर से लघु खनिज लाने की स्थिति में नियमों की अनिवार्य प्रक्रिया सुनिश्चित की जाए. कार्यस्थल आदि पर उत्पन्न लघु खनिज के यातायात के मामले में कोर्ट ने संबंधित अधिकारी को उचित अनुपालना सुनिश्चित करने के आदेश भी दिए.
कोर्ट ने कहा है कि अधिकृत अधिकारियों द्वारा खनिजों के यातायात के मामले में नियमों का उल्लंघन कर रहे लोगों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाए. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिए कि अवैध खनन को रोकने से जुड़े नियमों की अनुपालना को सुनिश्चित करने के लिए संबंधित अधिकारियों की जिम्मेदारी और जवाबदेही भी तय की जाए.
हिमाचल में ठेकेदारों (contractors in himachal) के बिलों को क्लियर करने से पूर्व राज्य लोक निर्माण विभाग के परामर्श से राज्य उद्योग विभाग जांच करें कि आपूर्ति किए गए खनिज का स्रोत कहां है. जांच के लिए एक सप्ताह के भीतर प्रधान सचिव, लोक निर्माण विभाग और प्रधान सचिव, उद्योग विभाग अपने विभाग के दो अधिकारियों को नामित करें. इस दौरान संबंधित ठेकेदार भी पूछताछ में जुड़े रह सकते हैं. दो महीने के भीतर जांच पूरी करने को कहा गया है.
यदि अधिकारी संतुष्ट हैं कि खनिज की आपूर्ति एक कानूनी स्रोत अथवा तरीके से प्राप्त की गई थी, तभी कानून के अनुसार भुगतान संबंधी उचित आदेश पारित किया जाए. भुगतान जारी करने या अन्य कार्रवाई के लिए सक्षम प्राधिकारी नियमों के उल्लंघन के लिए 2015 के नियमों के तहत कानून के अनुसार अपराधियों के खिलाफ वारंट जारी करें.
याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार निजी ठेकेदारों व कंपनियों के माध्यम से राज्य में विभिन्न विकास गतिविधियां, जैसे सड़कों, भवनों, विद्युत परियोजनाओं आदि का निर्माण किया जा रहा है. इन ठेकेदारों व कंपनियों ने बड़े पैमाने पर, अवैध और अंधाधुंध खनन (High Court on illegal mining in Himachal) और परिवहन, लघु खनिजों की आपूर्ति जैसे बालू, बजरी, पत्थर, बजरी और शिलाखंड आदि स्रोत का खुलासा किए बिना बिल प्रस्तुत किए जाते हैं. वहीं, विभाग ऐसे बिलों को ठेकेदारों से बिना पूछे ही क्लियर कर देते हैं. ठेकेदार अवैध रूप से खनिजों को सस्ते दर पर निकालते है. ऐसे अवैध संचालन से सरकारी खजाने को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है.
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