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Himachal High Court: नेताओं के DO नोट पर नहीं होगा सरकारी वकीलों का तबादला, रिफ्रेशर कोर्स का आदेश - हिमाचल हाईकोर्ट का आदेश

हिमाचल प्रदेश में सरकारी वकीलों के डीओ आधार पर तबादले नहीं (High Court bans transfers of government lawyers ) होंगे. अदालत अपने 57 पृष्टिय निर्णय में कहा कि लोक अभियोजक का उच्च सम्मान का एक वैधानिक पद है, जो कि जांच एजेंसी का पक्ष अदालत के समक्ष रखता है, जो एक स्वतंत्र वैधानिक अथॉरिटी है. कोर्ट ने आदेश में कहा कि लोक अभियोजक की भूमिका निष्पक्ष सुनवाई के लिए आंतरिक रूप से समर्पित होती है, इसलिए यह अच्छा नहीं होगा कि इन वकीलों को राजनेताओं के साथ मिलनसार या जनता के साथ मेलजोल करते देखा जाए.

Himachal High Court
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Published : Jul 7, 2022, 7:11 AM IST

Updated : Jul 7, 2022, 8:14 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश में सरकारी वकीलों के DO नोट के आधार पर तबादले नहीं (High Court bans transfers of government lawyers ) होंगे. प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में यह व्यवस्थता दी, क्योंकि न्यायिक प्रणाली में सरकारी वकीलों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती हैं. इस कारण इनके तबादले डीओ या राजनीतिक सिफारिश के आधार पर नहीं होने चाहिए. एक एडीए के तबादले से जुड़े रिकॉर्ड देखने के पश्चात अदालत ने पाया कि अधिकतर सरकारी वकीलों के तबादले मंत्रियों, विधायकों या फिर राजनेताओं की सिफारिश पर किए गए है.

लोक अभियोजक वैधानिक पद: अदालत ने अपने 57 पृष्टिय निर्णय में कहा कि लोक अभियोजक का उच्च सम्मान का एक वैधानिक पद है, जो कि जांच एजेंसी का पक्ष अदालत के समक्ष रखता है, जो एक स्वतंत्र वैधानिक अथॉरिटी है. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश चंद्र भूषण बारोवालिया की खंडपीठ ने लोक अभियोजक तरसेम कुमार की दायर याचिका का निपटारा करते हुए यह आदेश पारित किए.

राजनेताओं के साथ मिलनसारी अच्छी नहीं: कोर्ट ने मामले के सभी तथ्यों व पहलुओं का अवलोकन करने पर पाया कि याचिकाकर्ता और निजी प्रतिवादी दोनों ही राजनेताओं द्वारा जारी डीओ नोट के लाभार्थी हैं. अतः कोर्ट ने उन्हें कांगड़ा जिले से बाहर स्थानांतरित करने के आदेश दिए है. लोक अभियोजक के कार्य और आचरण पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि लोक अभियोजक उच्च सम्मान का एक वैधानिक पद पर कार्य करता है. लोक अभियोजक की भूमिका निष्पक्ष सुनवाई के लिए आंतरिक रूप से समर्पित होती है, इसलिए यह अच्छा नहीं होगा कि इन वकीलों को राजनेताओं के साथ मिलनसार या जनता के साथ मेलजोल करते देखा जाए.

रिफ्रेशर कोर्स के आदेश: कोर्ट ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता और निजी प्रतिवादी दोनों ने विभाग के कामकाज और नैतिक आचरण बारे में अनभिज्ञता जाहिर की है. इससे यह आभास होता है कि ऐसे लोक अभियोजक, जिन्हें अब सेवा में शामिल किया जा रहा है, शायद वह इस की गरिमा से अनभिज्ञ हैं. अतः कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि पिछले 15 वर्षों से सेवा में शामिल सभी लोक अभियोजकों को एक रिफ्रेशर कोर्स से गुजरना चाहिए, जिसमें नैतिकता और आचरण पर विशेष जोर दिया गया हो. कोर्ट ने यह कोर्स को हिमाचल प्रदेश न्यायिक अकादमी शिमला में 2 माह के अंदर कराने के आदेश जारी किए है.

शिमला: हिमाचल प्रदेश में सरकारी वकीलों के DO नोट के आधार पर तबादले नहीं (High Court bans transfers of government lawyers ) होंगे. प्रदेश उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में यह व्यवस्थता दी, क्योंकि न्यायिक प्रणाली में सरकारी वकीलों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती हैं. इस कारण इनके तबादले डीओ या राजनीतिक सिफारिश के आधार पर नहीं होने चाहिए. एक एडीए के तबादले से जुड़े रिकॉर्ड देखने के पश्चात अदालत ने पाया कि अधिकतर सरकारी वकीलों के तबादले मंत्रियों, विधायकों या फिर राजनेताओं की सिफारिश पर किए गए है.

लोक अभियोजक वैधानिक पद: अदालत ने अपने 57 पृष्टिय निर्णय में कहा कि लोक अभियोजक का उच्च सम्मान का एक वैधानिक पद है, जो कि जांच एजेंसी का पक्ष अदालत के समक्ष रखता है, जो एक स्वतंत्र वैधानिक अथॉरिटी है. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश चंद्र भूषण बारोवालिया की खंडपीठ ने लोक अभियोजक तरसेम कुमार की दायर याचिका का निपटारा करते हुए यह आदेश पारित किए.

राजनेताओं के साथ मिलनसारी अच्छी नहीं: कोर्ट ने मामले के सभी तथ्यों व पहलुओं का अवलोकन करने पर पाया कि याचिकाकर्ता और निजी प्रतिवादी दोनों ही राजनेताओं द्वारा जारी डीओ नोट के लाभार्थी हैं. अतः कोर्ट ने उन्हें कांगड़ा जिले से बाहर स्थानांतरित करने के आदेश दिए है. लोक अभियोजक के कार्य और आचरण पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि लोक अभियोजक उच्च सम्मान का एक वैधानिक पद पर कार्य करता है. लोक अभियोजक की भूमिका निष्पक्ष सुनवाई के लिए आंतरिक रूप से समर्पित होती है, इसलिए यह अच्छा नहीं होगा कि इन वकीलों को राजनेताओं के साथ मिलनसार या जनता के साथ मेलजोल करते देखा जाए.

रिफ्रेशर कोर्स के आदेश: कोर्ट ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता और निजी प्रतिवादी दोनों ने विभाग के कामकाज और नैतिक आचरण बारे में अनभिज्ञता जाहिर की है. इससे यह आभास होता है कि ऐसे लोक अभियोजक, जिन्हें अब सेवा में शामिल किया जा रहा है, शायद वह इस की गरिमा से अनभिज्ञ हैं. अतः कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि पिछले 15 वर्षों से सेवा में शामिल सभी लोक अभियोजकों को एक रिफ्रेशर कोर्स से गुजरना चाहिए, जिसमें नैतिकता और आचरण पर विशेष जोर दिया गया हो. कोर्ट ने यह कोर्स को हिमाचल प्रदेश न्यायिक अकादमी शिमला में 2 माह के अंदर कराने के आदेश जारी किए है.

Last Updated : Jul 7, 2022, 8:14 AM IST
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