शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश में तैयार हो रहे नेशनल हाइवेज को लेकर केंद्रीय मंत्रालय से सवाल पूछे हैं. हाईकोर्ट ने केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय से पूछा है कि हिमाचल के लोक निर्माण विभाग को नेशनल हाइवेज की देखरेख व रखरखाव के लिए कितनी रकम जारी की है. यही नहीं, हाईकोर्ट ने केंद्रीय मंत्रालय से एनएच के लिए खर्च की गई रकम का ब्यौरा भी मांगा है.
अदालत ने केंद्र सरकार से राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित करने की प्रक्रिया की जानकारी भी देने को कहा है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने एनएच से जुड़ी जनहित याचिका की सुनवाई के बाद केंद्र सरकार को यह जानकारी 25 जून तक अदालत के समक्ष रखने के आदेश दिए हैं.
उक्त जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया था कि हिमाचल प्रदेश में 69 नेशनल हाईवे की डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार करने पर अभी तक केंद्र सरकार ने 24 करोड़ रूपये खर्च किए हैं और 163 करोड़ रूपये खर्च किये जाने बाकी हैं.
अदालत को यह भी बताया गया था कि केंद्र सरकार की तरफ से नेशनल हाईवे घोषित करने व बनाने को लेकर नई पॉलिसी तैयार की जा रही है और शीघ्र ही नई पॉलिसी के अनुसार ही नेशनल हाई वे बनाए जाएंगे. हाईकोर्ट ने सरकार के इस रवैये पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि यदि नई नीति के अनुसार ही हिमाचल में नेशनल हाईवे बनाए जाने हैं तो डीपीआर बनाने के लिए फिजूल में ही करोड़ों रुपए की राशि क्यों खर्च की गई.
मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के ध्यान में तथ्य लाया गया था कि प्रदेश भर में नेशनल हाईवे की मरम्मत नहीं की जा रही है और एक भी नेशनल हाईवे गाड़ी चलाने लायक नहीं है. इनकी देखरेख व रखरखाव प्रदेश का लोकनिर्माण विभाग करता है और खर्च केंद्र सरकार वहन करती है. हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिए हैं कि वह हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग को तक उचित फंड मुहैया करवाएं ताकि प्रदेश के सभी नेशनल हाईवेज की मरम्मत की जा सके.