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himachal high court, शिमला डेवलपमेंट प्लान से जुड़े मामले में सरकार को हाईकोर्ट से राहत नहीं - नगर निगम शिमला को नोटिस जारी

himachal high court से शिमला डेवलपमेंट Shimla Development Plan प्लान-2041 से जुड़े मामले में राज्य सरकार को कोई राहत नहीं मिली है.हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने प्रतिवादी योगेंद्र मोहन सेनगुप्ता व अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब तलब किया है. हाईकोर्ट ने फिलहाल नगर निगम शिमला को नोटिस जारी नहीं किया है.

हिमाचल हाईकोर्ट
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Published : Sep 1, 2022, 7:17 AM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट से शिमला डेवलपमेंट (Shimla Development Plan) प्लान-2041 से जुड़े मामले में राज्य सरकार को कोई राहत नहीं मिली. राज्य सरकार ने एनजीटी के 12 मई 2022 के उन आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी है .जिसके तहत एनजीटी ने टाउन एंड कंट्री (town and country planning) प्लानिंग विभाग को शिमला डेवलपमेंट प्लान 2041 पर आगामी काम करने से रोक दिया था.

हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने प्रतिवादी योगेंद्र मोहन सेनगुप्ता व अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब तलब किया है. हाईकोर्ट ने फिलहाल नगर निगम शिमला को नोटिस जारी नहीं किया. मामले के अनुसार प्रतिवादी योगेंद्र मोहन सेनगुप्ता ने एनजीटी में याचिका (Petition filed in NGT) दायर कर शिमला डेवलपमेंट प्लान प्रारूप 2041 को चुनौती दी है. एनजीटी ने 12 मई 2022 को मामले पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग को उक्त प्लान पर आगामी काम करने से रोक दिया था.

एनजीटी के समक्ष प्रार्थी का कहना है कि यह प्लान सतत विकास सिद्धांत के खिलाफ है. यह प्लान न केवल पर्यावरण के लिए विनाशकारी है, बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा की दृष्टि से भी सही नहीं है. प्रार्थी ने एनजीटी के समक्ष शिमला से जुड़ी एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट भी रखी थी. एनजीटी ने डेवलपमेंट प्लान पर आगे बढ़ने से टीसीपी विभाग को रोकते हुए कहा था कि मसौदा योजना के तहत अधिक मंजिलों के निर्माण की अनुमति, कोर क्षेत्र में नए निर्माण, हरित क्षेत्र में निर्माण, सिंकिंग जोन में विकास की अनुमति और ट्रिब्यूनल के आदेश का उल्लंघन करते हुए स्लाइडिंग क्षेत्र में निर्माण की अनुमति देने की योजना है.

एनजीटी ने कहा था कि यदि सरकार ऐसे मसौदे पर आगे बढ़ता है तो यह न केवल कानून के शासन को नुकसान पहुंचाएगा ,बल्कि इसका पर्यावरण और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए विनाशकारी परिणाम भी हो सकता है. सरकार ने एनजीटी के आदेशों को यह कहते हुए चुनौती दी है कि एनजीटी ने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर हो कर विवादित आदेश पारित किए गए हैं. मामले पर सुनवाई 4 हफ्ते बाद होगी.

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट से शिमला डेवलपमेंट (Shimla Development Plan) प्लान-2041 से जुड़े मामले में राज्य सरकार को कोई राहत नहीं मिली. राज्य सरकार ने एनजीटी के 12 मई 2022 के उन आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी है .जिसके तहत एनजीटी ने टाउन एंड कंट्री (town and country planning) प्लानिंग विभाग को शिमला डेवलपमेंट प्लान 2041 पर आगामी काम करने से रोक दिया था.

हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने प्रतिवादी योगेंद्र मोहन सेनगुप्ता व अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब तलब किया है. हाईकोर्ट ने फिलहाल नगर निगम शिमला को नोटिस जारी नहीं किया. मामले के अनुसार प्रतिवादी योगेंद्र मोहन सेनगुप्ता ने एनजीटी में याचिका (Petition filed in NGT) दायर कर शिमला डेवलपमेंट प्लान प्रारूप 2041 को चुनौती दी है. एनजीटी ने 12 मई 2022 को मामले पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग को उक्त प्लान पर आगामी काम करने से रोक दिया था.

एनजीटी के समक्ष प्रार्थी का कहना है कि यह प्लान सतत विकास सिद्धांत के खिलाफ है. यह प्लान न केवल पर्यावरण के लिए विनाशकारी है, बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा की दृष्टि से भी सही नहीं है. प्रार्थी ने एनजीटी के समक्ष शिमला से जुड़ी एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट भी रखी थी. एनजीटी ने डेवलपमेंट प्लान पर आगे बढ़ने से टीसीपी विभाग को रोकते हुए कहा था कि मसौदा योजना के तहत अधिक मंजिलों के निर्माण की अनुमति, कोर क्षेत्र में नए निर्माण, हरित क्षेत्र में निर्माण, सिंकिंग जोन में विकास की अनुमति और ट्रिब्यूनल के आदेश का उल्लंघन करते हुए स्लाइडिंग क्षेत्र में निर्माण की अनुमति देने की योजना है.

एनजीटी ने कहा था कि यदि सरकार ऐसे मसौदे पर आगे बढ़ता है तो यह न केवल कानून के शासन को नुकसान पहुंचाएगा ,बल्कि इसका पर्यावरण और सार्वजनिक सुरक्षा के लिए विनाशकारी परिणाम भी हो सकता है. सरकार ने एनजीटी के आदेशों को यह कहते हुए चुनौती दी है कि एनजीटी ने अपने क्षेत्राधिकार से बाहर हो कर विवादित आदेश पारित किए गए हैं. मामले पर सुनवाई 4 हफ्ते बाद होगी.

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