शिमला: धनतेरस से पहले सोने की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है. गोल्ड आज रिकॉर्ड लेवल से 4 हजार रुपये तक सस्ता मिल रहा है. हालांकि चांदी की कीमतों में थोड़ा उछाल आया है. आज गोल्ड में 0.1% फीसदी या 47 रुपये की गिरावट दर्ज हुई और मेटल 47,766 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर दर्ज हुआ. सोना कल 47,813 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था. वहीं, चांदी में आज हल्की तेजी दर्ज हुई है. चांदी कल 64,989 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर बंद हुई थी और आज 0.05% फीसदी या 30 रुपये की तेजी के साथ 65,019 पर दर्ज हो रही थी.
दीपावली मुख्यतः पंच दिवसीय त्योहार है. धनतेरस के साथ दीपोत्सव का त्योहार शुरू हो जाता है. हर साल कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. यह एक बहुत ही खास शुभ मुहूर्त है. पूरे दिन कभी भी खरीदारी करने के लिए धनतेरस को बेहद शुभ दिन माना जाता है. इस दिन लोग सोना, चांदी, आभूषण, बर्तन, कपड़े, वाहन आदि चीजें खरीदते हैं.
मान्यताओं के मुताबिक कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरी अपने हाथो में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे. यह भी मान्यता है कि चिकित्सा विज्ञान के प्रसार के लिए भगवान धन्वंतरी ने अवतार लिया था, इसी कारण इस त्योहार को धनतेरस के नाम से जाना जाता है. भगवान धन्वंतरी को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है. धन्वंतरि देव चिकित्सा विज्ञान के अधिष्ठाता देव हैं.
धनत्रयोदशी के दिन महत्वपूर्ण समय एवं मुहूर्त
दिन- मंगलवार, 02 नवंबर
सूर्योदय- 06:33 AM
सूर्यास्त- 05:47 PM
तिथि- त्रयोदशी, सुबह 11:31 बजे से 03 नवम्बर, सुबह 09:02 बजे तक
अभिजित मुहूर्त- सुबह 11:50 बजे से 12:33 बजे तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 02:03 बजे से 02:47 बजे तक
राहुकाल- दोपहर 02:59 बजे से 04:23 बजे तक
योग- वैधृति शाम 06:13 बजे तक, विष्कम्भ
मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि (Dhanwantri Dev) और मां लक्ष्मी की पूजा के साथ ही देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर (Kuber) की पूजा का भी विधान है. इस साल धनतेरस का त्योहार मंगलवार 2 नवंबर 2021 को मनाया जाएगा. लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा भी इसी दिन घर में लानी चाहिए.
धन त्रयोदशी के अवसर पर शाम के समय दीपक जलाने की भी परंपरा है. परिवार में अकाल मृत्यु से बचने के लिए धनतेरस के दिन शाम के समय दीपक जलाया जाता है, इसे यम दीपक कहते हैं. यह दीपक यमराज के निमित्त जलाया जाता है. मान्यता है कि इससे अकाल मृत्यु को टाला जा सकता है. पूजा का पहला मुहूर्त प्रदोष काल- शाम 05:50 बजे से 08:21 बजे तक है तथा दूसरा मुहूर्त वृषभ लग्न काल- शाम 06:32 बजे से 08:30 बजे तक है.
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