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SHIMLA: एनपीएस कर्मचारियों के खिलाफ बालूगंज थाने में FIR, ये लोग हुए नामजद

पुरानी पेंशन योजना की बहाली को लेकर धरना प्रदर्शन करने और सड़क मार्ग बंद करने को लेकर पुलिस ने एनपीएस कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. बालूगंज थाना में यह मामला दर्ज (FIR against NPS employees) किया गया है. पुलिस का कहना है कि धक्का मुक्की के बीच ड्यूटी पर तैनात महिला कांस्टेबल को काफी चोटें आई हैं. सरकारी गाड़ियों को भी काफी नुकसान पहुंचा है.

FIR against NPS employees in Baluganj police station
एनपीएस कर्मचारियों के खिलाफ बालूगंज थाने में FIR
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Published : Mar 4, 2022, 11:31 AM IST

शिमला: हिमाचल में ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग (Demand for old pension scheme in Himachal) को लेकर गुरुवार को हजारों प्रदर्शनकारी शिमला पहुंचे थे. इस दौरान काफी हंगामा हुआ. प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस ने बहुत कोशिश की. इस दौरान कर्मचारियों पर पुलिस ने लाठियां बरसाईं, पानी की बौछारें भी छोड़ीं, लेकिन फिर भी पुलिस नाकाम रही. वहीं, अब पुरानी पेंशन योजना की बहाली को लेकर धरना प्रदर्शन करने और सड़क मार्ग बंद करने को लेकर पुलिस ने एनपीएस कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

पुलिस ने एनपीएस कर्मचारी संघ के अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सौरव वैध, श्याम लाल गौतम सहित अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. पुलिस ने उनके खिलाफ आइपीसी की धारा 147 149, 341, 253, 332 और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का मामला दर्ज किया है. बालूगंज थाना में यह मामला दर्ज किया गया है.

एफआईआर के अनुसार (FIR against NPS employees) तीन मार्च को शिमला में 103 टनल के पास एनपीएस कर्मचारियों ने सोलन-शिमला मार्ग पर यातायात बंद कर दिया. पुलिस के जवानों ने कर्मचारियों को वहां से हटाने की कोशिश की लेकिन कर्मचारी नहीं मानें. इस दौरान काफी हंगामा हुआ. धक्का मुक्की के बीच ड्यूटी पर तैनात महिला कांस्टेबल को काफी चोटें आई हैं. सरकारी गाड़ियों को भी काफी नुकसान पहुंचा है. फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

ये था पूरा मामला- हिमाचल प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग (Demand for old pension scheme in Himachal) को लेकर हजारों प्रदर्शनकारी विधानसभा का घेराव करने पहुंचे. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज किया. इतना ही नहीं भीड़ पर काबू पाने के लिए पुलिस ने आंदोलन कर रहे कर्मचारियों पर वाटर कैनन का प्रयोग किया.

क्या है प्रदर्शनकारियों की मांग: प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि सीएम जयराम ठाकुर उनसे मिलने के लिए आएं. सरकार की तरफ से पहले डीजीपी संजय कुंडू ने एनपीएस कर्मचारियों को समझाने का प्रयास किया. बाद में कैबिनेट मंत्री सुरेश भारद्वाज उनसे बात करने पहुंचे, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने मुंह फेर लिया. बाद में हजारों कर्मचारी विधानसभा के समीप (employees protestted outside the Assembly) पहुंच गए. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर उनसे बात करने के लिए नहीं आए.

कर्मचारियों की मांग पर कमेटी का गठन: सीएम ने मीडिया से कहा कि उन्होंने कर्मचारियों से आग्रह किया कि वे अपने प्रतिनिधि भेजें, उनकी बात सुनी जाएगी. सीएम ने कहा कि प्रदर्शनकारी जिस तरह से राजनीतिक दृष्टि से किसी के हाथ का खिलौना बन रहे हैं, वो उचित नहीं है. सरकार ने उनकी मांग पर कमेटी का गठन किया है. वे कमेटी के समक्ष अपना पक्ष रख सकते हैं, लेकिन इस तरह से आंदोलन करना सही नहीं है. शिमला में आम जनता को ट्रैफिक जाम होने के कारण परेशानी झेलनी पड़ी है.

मंडी से हुई थी पैदल यात्रा की शुरुआत: उल्लेखनीय है कि एनपीएस कर्मचारी ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की मांग उठा रहे हैं. इसके लिए 23 फरवरी से मंडी से पैदल यात्रा शुरू की गई थी. कर्मचारियों ने तीन मार्च को विधानसभा घेराव की चेतावनी दी थी. गुरुवार को वे शिमला पहुंचे. टूटीकंडी से लेकर विधानसभा तक का रास्ते में हर तरफ आंदोलनरत कर्मचारी ही कर्मचारी नजर आ रहे थे.

ये भी पढे़ं : सदन में कर्मचारियों को लेकर विपक्ष ने किया हंगामा, सरकार को कर्मचारियों पर जुल्म न करने की दी चेतावनी

शिमला: हिमाचल में ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग (Demand for old pension scheme in Himachal) को लेकर गुरुवार को हजारों प्रदर्शनकारी शिमला पहुंचे थे. इस दौरान काफी हंगामा हुआ. प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस ने बहुत कोशिश की. इस दौरान कर्मचारियों पर पुलिस ने लाठियां बरसाईं, पानी की बौछारें भी छोड़ीं, लेकिन फिर भी पुलिस नाकाम रही. वहीं, अब पुरानी पेंशन योजना की बहाली को लेकर धरना प्रदर्शन करने और सड़क मार्ग बंद करने को लेकर पुलिस ने एनपीएस कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

पुलिस ने एनपीएस कर्मचारी संघ के अध्यक्ष प्रदीप ठाकुर, वरिष्ठ उपाध्यक्ष सौरव वैध, श्याम लाल गौतम सहित अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. पुलिस ने उनके खिलाफ आइपीसी की धारा 147 149, 341, 253, 332 और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का मामला दर्ज किया है. बालूगंज थाना में यह मामला दर्ज किया गया है.

एफआईआर के अनुसार (FIR against NPS employees) तीन मार्च को शिमला में 103 टनल के पास एनपीएस कर्मचारियों ने सोलन-शिमला मार्ग पर यातायात बंद कर दिया. पुलिस के जवानों ने कर्मचारियों को वहां से हटाने की कोशिश की लेकिन कर्मचारी नहीं मानें. इस दौरान काफी हंगामा हुआ. धक्का मुक्की के बीच ड्यूटी पर तैनात महिला कांस्टेबल को काफी चोटें आई हैं. सरकारी गाड़ियों को भी काफी नुकसान पहुंचा है. फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

ये था पूरा मामला- हिमाचल प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम की मांग (Demand for old pension scheme in Himachal) को लेकर हजारों प्रदर्शनकारी विधानसभा का घेराव करने पहुंचे. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठी चार्ज किया. इतना ही नहीं भीड़ पर काबू पाने के लिए पुलिस ने आंदोलन कर रहे कर्मचारियों पर वाटर कैनन का प्रयोग किया.

क्या है प्रदर्शनकारियों की मांग: प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि सीएम जयराम ठाकुर उनसे मिलने के लिए आएं. सरकार की तरफ से पहले डीजीपी संजय कुंडू ने एनपीएस कर्मचारियों को समझाने का प्रयास किया. बाद में कैबिनेट मंत्री सुरेश भारद्वाज उनसे बात करने पहुंचे, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने मुंह फेर लिया. बाद में हजारों कर्मचारी विधानसभा के समीप (employees protestted outside the Assembly) पहुंच गए. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर उनसे बात करने के लिए नहीं आए.

कर्मचारियों की मांग पर कमेटी का गठन: सीएम ने मीडिया से कहा कि उन्होंने कर्मचारियों से आग्रह किया कि वे अपने प्रतिनिधि भेजें, उनकी बात सुनी जाएगी. सीएम ने कहा कि प्रदर्शनकारी जिस तरह से राजनीतिक दृष्टि से किसी के हाथ का खिलौना बन रहे हैं, वो उचित नहीं है. सरकार ने उनकी मांग पर कमेटी का गठन किया है. वे कमेटी के समक्ष अपना पक्ष रख सकते हैं, लेकिन इस तरह से आंदोलन करना सही नहीं है. शिमला में आम जनता को ट्रैफिक जाम होने के कारण परेशानी झेलनी पड़ी है.

मंडी से हुई थी पैदल यात्रा की शुरुआत: उल्लेखनीय है कि एनपीएस कर्मचारी ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने की मांग उठा रहे हैं. इसके लिए 23 फरवरी से मंडी से पैदल यात्रा शुरू की गई थी. कर्मचारियों ने तीन मार्च को विधानसभा घेराव की चेतावनी दी थी. गुरुवार को वे शिमला पहुंचे. टूटीकंडी से लेकर विधानसभा तक का रास्ते में हर तरफ आंदोलनरत कर्मचारी ही कर्मचारी नजर आ रहे थे.

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