शिमला: हिमाचल प्रदेश की 90 फीसदी आबादी आजीविका के लिए कृषि और बागवानी पर निर्भर है. मौसम की मार के कारण किसान और बागवान सूखे का कोप झेल रहे हैं. बागवानी से जुड़े संगठनों ने हिमाचल के मुख्य सचिव राम सुभग सिंह (Himachal Chief Secretary Ram Subhag Singh) से मिलकर किसानों और बागवानों की दिक्कतों पर बैठक बुलाने का आग्रह किया है. ईटीवी भारत से बातचीत में फल उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान (Fruit growers union president Harish Chauhan) और प्लम ग्रोवर फोरम के पदाधिकारी दीपक सिंघा ने बताया कि प्रदेश सरकार किसानों बागवानों के दिक्कतों को हल करने में गंभीर नहीं है.
हरीश चौहान ने कहा कि सरकार ने समाज के हर वर्ग से उनकी समस्याओं (fruit grower facing problems in himachal) पर चर्चा की है, चाहे वो कर्मचारी हों, पेंशनर्स हों या फिर अन्य वर्ग, लेकिन किसानों बागवानों से एक साल से भी अधिक समय से एक मंच पर आमने-सामने कोई चर्चा नहीं हुई है. हरीश चौहान ने कहा कि सरकार चाहे तो किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan credit card) के माध्यम से लिए गए लोन का ब्याज किसानों के हित में माफ कर सकती है. यही नहीं, कुछ योजनाओं में सरकार किसानों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर का लाभ देती है, जिसे किसानों बागवानों ने नहीं लिया है.
उन्होंने कहा कि विभिन्न योजनाओं का 23 करोड़ से अधिक का लाभ किसान बागवानों ने ठुकराया है. संघ के अध्यक्ष ने कहा कि विगत वर्ष इसी समय बर्फबारी के कारण सेब के पौधे टूट गए थे. सरकार ने मुआवजा देने में कोई रुचि नहीं दिखाई. इस साल सूखे की स्थिति है. लेकिन सरकार किसानों-बागवानों की दिक्कत हल नहीं कर रही है. संघ का कहना है कि प्रदेश भर में बागवानी विकास अधिकारियों के दर्जनों पद खाली हैं. इसी तरह विश्व बैंक से पोषित 1134 करोड़ की योजना भी धरातल पर ढंग से नहीं उतर पाई है.
आलम यह है कि एक्सपोजर विजिट के नाम पर अफसरों की फौज विदेश जाती है, लेकिन उसमें किसानों को प्रतिनिधित्व नहीं मिलता. ऐसे में किसान नवीनतम जानकारियों से कैसे अपडेट होगा. वहीं, प्लम ग्रोवर फोरम के पदाधिकारी दीपक सिंघा (Plum Grover Forum official Deepak Singha) कहते हैं कि हिमाचल में स्टोन फ्रूट की पैदावार (Stone fruit production in Himachal) को बढ़ाने के लिए जिस तरह की पौध चाहिए, वह सरकार उपलब्ध नहीं करवाती. फोरम ने बागवानों के साथ मिलकर निजी प्रयासों से विदेश से प्लम और स्टोन फ्रूट की बेहतर पौध मंगवाई है.
उन्होंने कहा कि उत्पादन के लिहाज से लोअर और मिडिल बेल्ट के लिए अनुकूल पौध बागवानों को दी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि नौणी स्थित बागवानी विश्व विद्यालय (Nauni Horticulture University) के साथ बागवानों की समय-समय पर इंट्रेक्शन करवाई जानी चाहिए. दोनों एसोसिएशन के नेताओं ने कहा कि मख्य सचिव से मुलाकात के दौरान किसानों और बागवानों की समस्याओं (Farmers problems in Himachal) से उन्हें अवगत करवाया गया और इस मसले पर जल्द बैठक का आग्रह किया गया है.
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