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Freedom Fighter के परिजनों को नहीं मिल रही दाह संस्कार सम्मान राशि, शिमला में चक्कर लगा रहा परिवार

स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को दाह संस्कार के लिए मिलने वाले अनुदान के लिए अब दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं. छोटा शिमला के रहने वाले सुशील अग्रवाल मां के दाह संस्कार को लेकर मिलने वाली सम्मान राशि के लिए डेढ़ साल से चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है.

शिमला में चक्कर लगा रहा परिवार
शिमला में चक्कर लगा रहा परिवार
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Published : Sep 2, 2021, 4:10 PM IST

शिमला: देश को आजादी दिलाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को दाह संस्कार के लिए मिलने वाले अनुदान के लिए अब दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. छोटा शिमला के कृष्ण अग्रवाल, जो स्वतंत्रता सेनानी थे और उनका देहांत काफी समय पहले हो गया था. उनकी धर्मपत्नी शांति अग्रवाल का 2019 में शिमला में देहांत हो गया. उनका अंतिम संस्कार उनके बेटे सुशील अग्रवाल ने किया. सुशील अग्रवाल ने बताया उनके पिता फ्रीडम फाइटर थे और उन्हें पेंशन भी मिल रही थी, लेकिन उनका देहांत हो गया और पेंशन उनकी माता को मिलने लगी.

उनकी माता का देहांत भी 2019 को हो गया, जिसके बाद सरकार द्वारा अंतिम संस्कार के लिए मिलने वाले अनुदान के लिए उन्होंने जिला प्रशासन से लेकर जीएडी तक चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कोई जवाब नहीं मिल रहा है. पूर्व पार्षद सुरेंद्र चौहान इस परिवार को राशि दिलाने का बीड़ा उठाया है. उन्होंने कहा कि देश को आजादी दिलाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को सरकारें कितना सम्मान देती है इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उनके निधन पर न तो कोई प्रशासनिक अधिकारी जाता है और न ही उन्हें अंतिम संस्कार के लिए दी जाने वाली सम्मान राशि मिल रही हैं.

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सरकार द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों की पत्नियों के देहांत के बाद 20 हजार रुपए सम्मान राशि दी जाती है. सम्मान राशि डेढ़ साल बाद भी नहीं मिल पाई है. उन्होंने सरकार से जल्द ऐसे परिजनों को राशि जारी करने की मांग की है.

ये भी पढ़ें :शिमला के देवनगर में देर रात हुई बारिश से गिरी चट्टानें, गाड़ियों को पहुंचा नुकसान

शिमला: देश को आजादी दिलाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को दाह संस्कार के लिए मिलने वाले अनुदान के लिए अब दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. छोटा शिमला के कृष्ण अग्रवाल, जो स्वतंत्रता सेनानी थे और उनका देहांत काफी समय पहले हो गया था. उनकी धर्मपत्नी शांति अग्रवाल का 2019 में शिमला में देहांत हो गया. उनका अंतिम संस्कार उनके बेटे सुशील अग्रवाल ने किया. सुशील अग्रवाल ने बताया उनके पिता फ्रीडम फाइटर थे और उन्हें पेंशन भी मिल रही थी, लेकिन उनका देहांत हो गया और पेंशन उनकी माता को मिलने लगी.

उनकी माता का देहांत भी 2019 को हो गया, जिसके बाद सरकार द्वारा अंतिम संस्कार के लिए मिलने वाले अनुदान के लिए उन्होंने जिला प्रशासन से लेकर जीएडी तक चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कोई जवाब नहीं मिल रहा है. पूर्व पार्षद सुरेंद्र चौहान इस परिवार को राशि दिलाने का बीड़ा उठाया है. उन्होंने कहा कि देश को आजादी दिलाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को सरकारें कितना सम्मान देती है इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उनके निधन पर न तो कोई प्रशासनिक अधिकारी जाता है और न ही उन्हें अंतिम संस्कार के लिए दी जाने वाली सम्मान राशि मिल रही हैं.

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सरकार द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों की पत्नियों के देहांत के बाद 20 हजार रुपए सम्मान राशि दी जाती है. सम्मान राशि डेढ़ साल बाद भी नहीं मिल पाई है. उन्होंने सरकार से जल्द ऐसे परिजनों को राशि जारी करने की मांग की है.

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