शिमलाः प्रदेश में रियेक्टर पैमाने पर अगर 8.1 की तीव्रता व इससे ज्यादा का भूकंप आता है तो कम से कम एक लाख 60 हजार लोगों की मौत हो सकती है और 11 लाख के करीब घायल हो सकते हैं. ये आकलन आईआईटी मुंबई के प्रोफेसर रवि कुमार सिन्हा के अध्ययन में हुआ है. प्रदेश भूंकप के मामले में जोन चार व पांच में आता है.
अगर इस तीव्रता का भूकंप आता है तो हिमाचल का 28 हजार 606 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल इसकी जद में आ जाएगा और 57 लाख 70 हजार लोगों को भारी नुकसान होगा. प्रदेश के लाहौल स्पीति व किन्नौर को छोड़कर लगभग तमाम जिलों रेड जोन में हैं. सबसे ज्यादा नुकसान इमारतों के गिरने की वजह से होगा.
मंडी में नई फाल्ट लाइन मिली है. 1905 के कांगड़ा भूकंप के बाद प्रदेश में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है. ऐसे में बड़ा भूकंप आने का जोखिम ज्यादा है. आईआईटी मुंबई के प्रोफेसर रवि कुमार सिन्हा ने इमारतों के निर्माण को लेकर कड़े कानून बनाने व रेरा अधिनियम को लागू करने की वकालत की. उन्होंने हा कि पहाड़ी राज्यों में भूकंप की वजह से सबसे ज्यादा जोखिम है.
प्रदेश में साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग की ओर किये जा रहे अध्ययन के बारे में बताते हुए सीनियर साइंटिफिक ऑफिसर एस एस रंधावा ने कहा कि भूकंप की दृष्टि से हिमाचल बहुत संवदेनशील है. माइक्रो जूनाशन स्टडीज के अनुसार शिवालिक क्षेत्र में भूकंप आने की अधिक संभावनाएं हैं. अध्ययनों के अनुसार कांगड़ा, मंडी, हमीरपुर, ऊना के अधिकतर क्षेत्र संवदेनशील है. हालांकि भूकंप आने की टाइमिंग का पता नहीं लगाया जा सकता लेकिन हम निर्माण कार्यों में सही मानकों का पालन कर नुकसान को जरूर कम कर सकते हैं.
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