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हिमाचल में जल्द स्थापित हो सकती है ई-विधान अकादमी, कई राज्यों के विधायक सीख चुके हैं ये प्रणाली

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Published : Aug 6, 2021, 7:58 PM IST

हिमाचल विधानसभा देश की पहली विधानसभा है, जहां सारा काम पेपरलेस होता है. अगस्त 2014 को हिमाचल प्रदेश देश की पहली ई-विधानसभा बनी. पेपरलेस काम होने से हिमाचल में हर साल 6096 पेड़ कटने से बचते हैं और सरकारी खजाने में भी 15 करोड़ रुपए की बचत होती है.

himachal assembly
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शिमला: हिमाचल ई-विधानसभा (Himachal e-assembly) वाला देश का पहला राज्य है. यहां देशभर के कई राज्यों से विधायक ई-विधान प्रणाली सीख चुके हैं. ई-विधान सीखने के लिए आने वाले विधायकों की ट्रेनिंग के लिए यहां पूरी व्यवस्था है. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से प्रदेश में ई-विधान अकादमी स्थापित करने का भी आग्रह किया है.


विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार (Assembly Speaker Vipin Singh Parmar) ने कहा कि हिमाचल प्रदेश देश के सभी राज्यों के विधायकों को ई-विधान में प्रशिक्षित करना चाहता है. हिमाचल प्रदेश में विधानसभा की कार्यवाही पूरी तरह से पेपरलेस है. यहां सारा कामकाज ऑनलाइन होता है. इससे न केवल बहुमूल्य कागज की बचत होती है, बल्कि सारे दस्तावेज भी हर समय उपलब्ध रहते हैं. शिमला और धर्मशाला स्थित विधानसभा भवन में ई-विधान कार्यप्रणाली काम करती है.

वीडियो.

विपिन सिंह परमार ने कहा कि देश के कई राज्यों के नेताओं व अधिकारियों ने हिमाचल आकर ई-विधान प्रणाली का अध्ययन किया है और वे सभी अपने राज्यों में इस सिस्टम को स्थापित करना चाहते हैं. हिमाचल इस संदर्भ में सभी को प्रशिक्षण देना चाहता है. ओम बिरला ने प्रदेश की इस पहल की सराहना की और भरोसा दिया कि वह इस परियोजना के लिए हर संभव सहयोग प्रदान करेंगे. यही नहीं, लोकसभा अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के हिमाचल दौरे के निमंत्रण को स्वीकार किया और कहा कि वे जल्द ही देवभूमि आएंगे.

उल्लेखनीय है कि हिमाचल विधानसभा देश की पहली विधानसभा है, जहां सारा काम पेपरलेस होता है. अगस्त 2014 को हिमाचल प्रदेश देश की पहली ई-विधानसभा बनी. पेपरलेस काम होने से हिमाचल में हर साल 6096 पेड़ कटने से बचते हैं और सरकारी खजाने में भी 15 करोड़ रुपए की बचत होती है. यूपीए-टू के कार्यकाल में हिमाचल को ई-विधान के लिए 8.12 करोड़ रुपए मंजूर हुए थे.


विपिन सिंह परमार ने कहा कि प्रश्नकाल में किस विधायक ने क्या सवाल किया और संबंधित विभाग के मंत्री ने उसका क्या जवाब दिया, ये सारा ब्यौरा ऑनलाइन टच स्क्रीन पर देखा जा सकता है. हिंदी में पूछे गए सवाल का जवाब हिंदी में और अंग्रेजी में किए गए सवाल का उत्तर उसी भाषा में दर्ज होता है. इसके अलावा दिन भर की कार्यवाही में सदन के पटल पर रखे जाने वाले दस्तावेजों का ब्यौरा भी मौजूद होता है. आगामी दिनों के लिए प्रश्नकाल के दौरान पूछे जाने वाले सवाल भी दर्ज होते हैं.

सवाल पूछे जाने के दौरान ही अगर किसी विधायक को अपने सवाल से संबंधित कोई बिंदु भूल जाए तो वो तुरंत सामने लगी टच स्क्रीन सारी सूचनाएं देख सकता है. इसके अलावा सदन में कई स्थानों पर बड़ी-बड़ी स्क्रीन लगी हुई हैं. जो भी विधायक सवाल कर रहा होता है, उसकी फोटो स्क्रीन पर डिसप्ले होती है. साथ ही समय भी दर्ज होता है. नियम विशेष के तहत चर्चा में भाग लेने वाले सदस्यों ने कितने समय तक अपनी बात कही, उसका भी समय स्क्रीन पर दर्ज होता है. इसके अलावा पूरा विधानसभा परिसर वाई-फाई सिस्टम से लैस है. यही नहीं, विधायकों के आवास में भी वाई-फाई सिस्टम है.

हिमाचल विधानसभा में पेपरलेस कार्यवाही होती है और इससे सालाना 6096 पेड़ कटने से बच रहे हैं. साथ ही 15 करोड़ रुपए के कागज की बचत हो रही है. हिमाचल विधानसभा के इस हाईटेक स्वरूप से प्रभावित होकर देश की अन्य विधानसभाएं भी ई-विधान परियोजना को लागू करने के लिए आगे आई हैं. मणिपुर व पूर्वोत्तर राज्यों की विधानसभाओं के अधिकारी हिमाचल विधानसभा को विजिट कर ई-विधान प्रोजेक्ट की बारीकियां सीख चुके हैं. वे भी अपने यहां पेपरलेस विधानसभाएं सुचारू करना चाहते हैं. हिमाचल विधानसभा के ई-विंग के अधिकारी मणिपुुर व अन्य राज्यों की इच्छुक विधानसभाओं को इस बारे में तकनीकी व अन्य सहायता उपलब्ध करवा चुकी है.


जब हिमाचल में ई-विधान की शुरुआत तब हुई थी तब केंद्र में यूपीए की सरकार थी. कपिल सिब्बल यूपीए सरकार में सूचना व तकनीकी मंत्री थे. हिमाचल विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष बृजबिहारी लाल बुटेल कपिल सिब्बल से मिले और उनसे आग्रह किया कि हिमाचल के लिए ई-विधान प्रोजेक्ट को मंजूरी दी जाए. बुटेल ने केंद्र को विश्वास दिलाया कि एक साल के भीतर ही इस प्रोजेक्ट को सफलता से पूरा कर लिया जाएगा. तत्कालीन यूपीए सरकार ने 8.12 करोड़ रुपए मंजूर किए. साल भर में ही हिमाचल में ई-विधान प्रोजेक्ट के तहत विधानसभा को हाईटेक कर दिया गया और फिर वर्ष 2014 में अगस्त की 5 तारीख को हिमाचल विधानसभा को टोटली हाईटेक घोषित कर दिया गया. तब विधानसभा का मानसून सत्र पहली बार पेपरलैस वर्क का गवाह बना.

ये भी पढे़ं- बड़ा ऐलान: हॉकी खिलाड़ी वरुण कुमार को एक करोड़ का इनाम देगी हिमाचल सरकार

शिमला: हिमाचल ई-विधानसभा (Himachal e-assembly) वाला देश का पहला राज्य है. यहां देशभर के कई राज्यों से विधायक ई-विधान प्रणाली सीख चुके हैं. ई-विधान सीखने के लिए आने वाले विधायकों की ट्रेनिंग के लिए यहां पूरी व्यवस्था है. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से प्रदेश में ई-विधान अकादमी स्थापित करने का भी आग्रह किया है.


विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार (Assembly Speaker Vipin Singh Parmar) ने कहा कि हिमाचल प्रदेश देश के सभी राज्यों के विधायकों को ई-विधान में प्रशिक्षित करना चाहता है. हिमाचल प्रदेश में विधानसभा की कार्यवाही पूरी तरह से पेपरलेस है. यहां सारा कामकाज ऑनलाइन होता है. इससे न केवल बहुमूल्य कागज की बचत होती है, बल्कि सारे दस्तावेज भी हर समय उपलब्ध रहते हैं. शिमला और धर्मशाला स्थित विधानसभा भवन में ई-विधान कार्यप्रणाली काम करती है.

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विपिन सिंह परमार ने कहा कि देश के कई राज्यों के नेताओं व अधिकारियों ने हिमाचल आकर ई-विधान प्रणाली का अध्ययन किया है और वे सभी अपने राज्यों में इस सिस्टम को स्थापित करना चाहते हैं. हिमाचल इस संदर्भ में सभी को प्रशिक्षण देना चाहता है. ओम बिरला ने प्रदेश की इस पहल की सराहना की और भरोसा दिया कि वह इस परियोजना के लिए हर संभव सहयोग प्रदान करेंगे. यही नहीं, लोकसभा अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के हिमाचल दौरे के निमंत्रण को स्वीकार किया और कहा कि वे जल्द ही देवभूमि आएंगे.

उल्लेखनीय है कि हिमाचल विधानसभा देश की पहली विधानसभा है, जहां सारा काम पेपरलेस होता है. अगस्त 2014 को हिमाचल प्रदेश देश की पहली ई-विधानसभा बनी. पेपरलेस काम होने से हिमाचल में हर साल 6096 पेड़ कटने से बचते हैं और सरकारी खजाने में भी 15 करोड़ रुपए की बचत होती है. यूपीए-टू के कार्यकाल में हिमाचल को ई-विधान के लिए 8.12 करोड़ रुपए मंजूर हुए थे.


विपिन सिंह परमार ने कहा कि प्रश्नकाल में किस विधायक ने क्या सवाल किया और संबंधित विभाग के मंत्री ने उसका क्या जवाब दिया, ये सारा ब्यौरा ऑनलाइन टच स्क्रीन पर देखा जा सकता है. हिंदी में पूछे गए सवाल का जवाब हिंदी में और अंग्रेजी में किए गए सवाल का उत्तर उसी भाषा में दर्ज होता है. इसके अलावा दिन भर की कार्यवाही में सदन के पटल पर रखे जाने वाले दस्तावेजों का ब्यौरा भी मौजूद होता है. आगामी दिनों के लिए प्रश्नकाल के दौरान पूछे जाने वाले सवाल भी दर्ज होते हैं.

सवाल पूछे जाने के दौरान ही अगर किसी विधायक को अपने सवाल से संबंधित कोई बिंदु भूल जाए तो वो तुरंत सामने लगी टच स्क्रीन सारी सूचनाएं देख सकता है. इसके अलावा सदन में कई स्थानों पर बड़ी-बड़ी स्क्रीन लगी हुई हैं. जो भी विधायक सवाल कर रहा होता है, उसकी फोटो स्क्रीन पर डिसप्ले होती है. साथ ही समय भी दर्ज होता है. नियम विशेष के तहत चर्चा में भाग लेने वाले सदस्यों ने कितने समय तक अपनी बात कही, उसका भी समय स्क्रीन पर दर्ज होता है. इसके अलावा पूरा विधानसभा परिसर वाई-फाई सिस्टम से लैस है. यही नहीं, विधायकों के आवास में भी वाई-फाई सिस्टम है.

हिमाचल विधानसभा में पेपरलेस कार्यवाही होती है और इससे सालाना 6096 पेड़ कटने से बच रहे हैं. साथ ही 15 करोड़ रुपए के कागज की बचत हो रही है. हिमाचल विधानसभा के इस हाईटेक स्वरूप से प्रभावित होकर देश की अन्य विधानसभाएं भी ई-विधान परियोजना को लागू करने के लिए आगे आई हैं. मणिपुर व पूर्वोत्तर राज्यों की विधानसभाओं के अधिकारी हिमाचल विधानसभा को विजिट कर ई-विधान प्रोजेक्ट की बारीकियां सीख चुके हैं. वे भी अपने यहां पेपरलेस विधानसभाएं सुचारू करना चाहते हैं. हिमाचल विधानसभा के ई-विंग के अधिकारी मणिपुुर व अन्य राज्यों की इच्छुक विधानसभाओं को इस बारे में तकनीकी व अन्य सहायता उपलब्ध करवा चुकी है.


जब हिमाचल में ई-विधान की शुरुआत तब हुई थी तब केंद्र में यूपीए की सरकार थी. कपिल सिब्बल यूपीए सरकार में सूचना व तकनीकी मंत्री थे. हिमाचल विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष बृजबिहारी लाल बुटेल कपिल सिब्बल से मिले और उनसे आग्रह किया कि हिमाचल के लिए ई-विधान प्रोजेक्ट को मंजूरी दी जाए. बुटेल ने केंद्र को विश्वास दिलाया कि एक साल के भीतर ही इस प्रोजेक्ट को सफलता से पूरा कर लिया जाएगा. तत्कालीन यूपीए सरकार ने 8.12 करोड़ रुपए मंजूर किए. साल भर में ही हिमाचल में ई-विधान प्रोजेक्ट के तहत विधानसभा को हाईटेक कर दिया गया और फिर वर्ष 2014 में अगस्त की 5 तारीख को हिमाचल विधानसभा को टोटली हाईटेक घोषित कर दिया गया. तब विधानसभा का मानसून सत्र पहली बार पेपरलैस वर्क का गवाह बना.

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