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'जय श्री राम' के जयकारों से गूंज उठी राजधानी, जाखू में किया गया 'रावण दहन'

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Published : Oct 15, 2021, 7:58 PM IST

शिमला के जाखू मंदिर में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा उत्सव बड़े ही धूम-धाम से मनाया गया. जाखू मंदिर कमेटी द्वारा, इस बार रावण का पुतला 30 फुट, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले 25 फुट के बनाये गए थे. विजयदशमी के अवसर पर मुख्य चुनाव अधिकारी सी. पालरासु द्वारा पुतले का दहन किया गया. इस दौरान काफी संख्या में लोग जाखू मंदिर में रावण दहन को देखने के लिए पहुंचे थे.

dussehra festival celebrated in shimla
रावण दहन

शिमला: राजधानी शिमला में दशहरा पर्व बड़े ही उल्लास के साथ मनाया गया. ऐतिहासिक जाखू मंदिर के परिसर में दशहरा उत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान मुख्य चुनाव अधिकारी सी. पालरासु ने रावण के पुतले को आग लगाई. इस बार रावण को जलाने के लिए रिमोट का इस्तेमाल नहीं किया गया. पिछले करीब पाच सालों में रावण के पुतले को रिमोट से जलाया जाता था और हर बार मुख्यमंत्री रावण के पुतले को आग लगाते थे. लेकिन इस बार मुख्य चुनाव अधिकारी सी. पालरासू ने रावण के पुतले को आग लगाई.

जाखू मंदिर कमेटी द्वारा, इस बार रावण का पुतला 30 फुट, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले 25 फुट के बनाये गए थे. जाखू मंदिर समीति के ट्रस्टी ने बताया कि जाखु मंदिर परिसर में विजयदशमी के अवसर पर मुख्य चुनाव अधिकारी सी. पालरासु द्वारा पुतले का दहन किया गया. इस दौरान काफी संख्या में लोग जाखू मंदिर में रावण दहन को देखने के लिए पहुंचे थे.

वीडियो.

इस बार रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले के मुंह पर मास्क लगाया गया था. इस दौरान लोगों में काफी जोश और उत्साह देखा गया. वहीं, जिला प्रशासन की ओर से रावण दहन के लिए पहले ही पूरा प्लान तैयार किया गया था.

दशहरे के अवसर पर जाखू मंदिर के लिए चली अतिरिक्त टैक्सियां

दशहरा पर्व पर जाखू मंदिर परिसर में काफी तादाद में लोग आते हैं. ऐसे में लोगों को कोई परेशानी न हो इसके लिए प्रशासन द्वारा यातायात की उचित व्यवस्था की गई थी. इसके लिए रिट्ज, संजौली और छोटा शिमला से मंदिर परिसर के लिए अतिरिक्त टैक्सियां चलाई गईं. वहीं निजी वाहनों को पार्क करने की भी उचित व्यवस्था कि गई थी. सुरक्षा के लिहाज से मंदिर समिति की ओर से वैकल्पिक रूट भी रखा गया था.

गौरतलब है कि, हिमाचल की राजधानी शिमला का जाखू मंदिर बहुत मशहूर है. ये मंदिर हनुमान का है. ये मंदिर इस वजह से भी ज्यादा खास है क्योंकि इसका कनेक्शन त्रेतायुग से जुड़ा हुआ है. जाखू मंदिर जाखू पहाड़ी पर स्थित है. इसका नाम यक्ष ऋषि के नाम पर पड़ा. यक्ष से इसका नाम याक, याक से याकू और याकू से जाखू तक इसका नाम बदलता गया.

मान्यता है कि जब लक्ष्मण राम-रावण युद्ध के दौरान मूर्छित हो गए थे तब हनुमान ही उनके प्राणों की रक्षा के लिए संजीवनी बूटी लाए थे. इस संजीवनी बूटी को लाने के लिए वो हिमालय की ओर आकाश से जा रहे थे. तभी हनुमान की नजर यक्ष ऋषि पर पड़ी. यक्ष ऋषि से संजीवनी बूटी के बारी में जानकारी ली और विश्राम किया. इसके बाद उन्होंने यक्ष ऋषि को वचन दिया था कि वो लौटते वक्त उनसे जरूर मिलेंगे. रास्ते में हनुमान जी को कालनेमि नामक राशक्ष का सामना करना पड़ा.

इस राक्षस को मात देने के बाद समय के अभाव के चलते हनुमान अयोध्या की ओर छोटे मार्ग से चले गए. हनुमान जब यक्ष ऋषि से मिलने नहीं पहुंचे तो वो व्याकुल हो गए. ऋषि को इतना व्याकुल देख हनुमान ने उन्हें दर्शन दिए. जिसके बाद यक्ष ऋषि ने यहीं पर हनुमान जी का मंदिर बनवाया.

ये भी पढ़ें : शानन पावर प्रोजेक्ट जल्द हिमाचल का होगा: CM जयराम ठाकुर

शिमला: राजधानी शिमला में दशहरा पर्व बड़े ही उल्लास के साथ मनाया गया. ऐतिहासिक जाखू मंदिर के परिसर में दशहरा उत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान मुख्य चुनाव अधिकारी सी. पालरासु ने रावण के पुतले को आग लगाई. इस बार रावण को जलाने के लिए रिमोट का इस्तेमाल नहीं किया गया. पिछले करीब पाच सालों में रावण के पुतले को रिमोट से जलाया जाता था और हर बार मुख्यमंत्री रावण के पुतले को आग लगाते थे. लेकिन इस बार मुख्य चुनाव अधिकारी सी. पालरासू ने रावण के पुतले को आग लगाई.

जाखू मंदिर कमेटी द्वारा, इस बार रावण का पुतला 30 फुट, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले 25 फुट के बनाये गए थे. जाखू मंदिर समीति के ट्रस्टी ने बताया कि जाखु मंदिर परिसर में विजयदशमी के अवसर पर मुख्य चुनाव अधिकारी सी. पालरासु द्वारा पुतले का दहन किया गया. इस दौरान काफी संख्या में लोग जाखू मंदिर में रावण दहन को देखने के लिए पहुंचे थे.

वीडियो.

इस बार रावण, मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले के मुंह पर मास्क लगाया गया था. इस दौरान लोगों में काफी जोश और उत्साह देखा गया. वहीं, जिला प्रशासन की ओर से रावण दहन के लिए पहले ही पूरा प्लान तैयार किया गया था.

दशहरे के अवसर पर जाखू मंदिर के लिए चली अतिरिक्त टैक्सियां

दशहरा पर्व पर जाखू मंदिर परिसर में काफी तादाद में लोग आते हैं. ऐसे में लोगों को कोई परेशानी न हो इसके लिए प्रशासन द्वारा यातायात की उचित व्यवस्था की गई थी. इसके लिए रिट्ज, संजौली और छोटा शिमला से मंदिर परिसर के लिए अतिरिक्त टैक्सियां चलाई गईं. वहीं निजी वाहनों को पार्क करने की भी उचित व्यवस्था कि गई थी. सुरक्षा के लिहाज से मंदिर समिति की ओर से वैकल्पिक रूट भी रखा गया था.

गौरतलब है कि, हिमाचल की राजधानी शिमला का जाखू मंदिर बहुत मशहूर है. ये मंदिर हनुमान का है. ये मंदिर इस वजह से भी ज्यादा खास है क्योंकि इसका कनेक्शन त्रेतायुग से जुड़ा हुआ है. जाखू मंदिर जाखू पहाड़ी पर स्थित है. इसका नाम यक्ष ऋषि के नाम पर पड़ा. यक्ष से इसका नाम याक, याक से याकू और याकू से जाखू तक इसका नाम बदलता गया.

मान्यता है कि जब लक्ष्मण राम-रावण युद्ध के दौरान मूर्छित हो गए थे तब हनुमान ही उनके प्राणों की रक्षा के लिए संजीवनी बूटी लाए थे. इस संजीवनी बूटी को लाने के लिए वो हिमालय की ओर आकाश से जा रहे थे. तभी हनुमान की नजर यक्ष ऋषि पर पड़ी. यक्ष ऋषि से संजीवनी बूटी के बारी में जानकारी ली और विश्राम किया. इसके बाद उन्होंने यक्ष ऋषि को वचन दिया था कि वो लौटते वक्त उनसे जरूर मिलेंगे. रास्ते में हनुमान जी को कालनेमि नामक राशक्ष का सामना करना पड़ा.

इस राक्षस को मात देने के बाद समय के अभाव के चलते हनुमान अयोध्या की ओर छोटे मार्ग से चले गए. हनुमान जब यक्ष ऋषि से मिलने नहीं पहुंचे तो वो व्याकुल हो गए. ऋषि को इतना व्याकुल देख हनुमान ने उन्हें दर्शन दिए. जिसके बाद यक्ष ऋषि ने यहीं पर हनुमान जी का मंदिर बनवाया.

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