शिमला: हिमाचल प्रदेश में अब कोरोना की रफ्तार धीमी पड़ने लगी है. इस बात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जहां पहले 200 के लगभग मामले प्रतिदिन सामने आ रहे थे वहीं, अब 50 के लगभग मामले पूरे प्रदेश में सामने आ रहे हैं. वहीं, बाजारों में भी लोगों में कोरोना का खौफ नहीं दिखता और लोग कोरोना नियमों की धज्जियां उड़ाने लगे हैं. रिज, माल रोड, विभिन्न वार्डों में अब लोग मास्क लगाना भी उचित नहीं समझते और सामाजिक दूरी खत्म हो गई है.
इसी कड़ी में आईजीएमसी (Indira Gandhi Medical College & Hospital) में मेडिसन विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. विमल भारती (Dr. Vimal Bharti) ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है कमजोर हो गया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि लोग कोरोना नियमों का पालन करना छोड़ दें. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस (corona virus) हवा में है और यह कब तक रहेगा इस बारे में नहीं बताया जा सकता. डॉ. विमल भारती (Dr. Vimal Bharti) ने कहा कि यह अच्छी बात है कि हिमाचल में अधिकतर लोगों को कोरोना की दोनों डोज लग चुकी हैं, लेकिन घर में छोटे बच्चे हैं जिन्हें अभी तक वैक्सीन नहीं लगी है. हमें कोरोना नियमों का पालन अभी भी वैसे ही करना है जैसे पहले कर रहे थे. उन्होंने कहा कि मास्क का सही प्रयोग हमें करना है. ये इसलिए नहीं कि हमें वायरस से बचना है बल्कि इसलिए कि हमें दूसरों को भी अपने वायरस से बचाना है.
डॉ. विमल भारती (Dr. Vimal Bharti) ने कहा कि बीते दो सप्ताह में मौत के आंकड़े भी बढ़े हैं और एक या दो मौतें आए दिन हो रही हैं. ये वो मरीज हैं जिन्हें कोई और भी बीमारी साथ में थी और कोरोना होने से वह बिगड़ गई. उन्होंने कहा कि जब तक कोरोना पूरी तरह खत्म नहीं हो जाता तब तक कोरोना नियमों का पालन करना जरुरी है.
राज्य में अभी तक 3812 लोगों की हुई है मौत: हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में अभी तक कोरोना से 3812 लोगों की मौत हो चुकी है. राज्य में इस बीमारी से कांगड़ा जिले में 11 सौ से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई है. वहीं, आईजीएमसी शिमला (Indira Gandhi Medical College & Hospital Shimla) में 646 लोगों की जान कोरोना के कारण जा चुकी है.
राज्य में कोरोना के मामले घटने के बाद इससे मरने वालों की संख्या भी कम हो गई थी. पिछले दो सप्ताह से फिर से कोरोना से लोगों की मौतें हो रही हैं. राज्य सरकार ने गंभीरता दिखाते हुए राज्य के सबसे बड़े अस्पताल के डॉक्टरों को निर्देश दिए थे कि कोरोना से हो रही मौतों की एक पूरी ऑडिट रिपोर्ट तैयार की जाए.
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