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हिमाचल के गरीब बच्चों की शिक्षा में आप भी बन सकते हैं 'डिजिटल साथी', जानें कैसे ?

कोरोना काल में बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई के लिए 'डिजिटल साथी-बच्चों का सहारा फोन हमारा' नाम की एक योजना शुरू की है. देश भर में अपनी तरह की यह पहली योजना है. बच्चों की ऑनलाइन शिक्षा में आप भी नया या पुराना एंड्रॉएड फोन डोनेट कर सकते हैं. इन मोबाइल को शिक्षा विभाग की टीम गरीब बच्चों को सौंपेगी, ताकि उन्हें ऑनलाइन पढ़ाई में किसी तरह की परेशानी ना आए.

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Published : Jul 15, 2021, 9:01 PM IST

शिमला: हिमाचल में करीब 8 लाख बच्चे कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं. ऐसे में प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई 'डिजिटल साथी- बच्चों का सहारा फोन हमारा' योजना छात्रों के लिए लाभदायक हो सकती है. देश भर में अपनी तरह की यह पहली योजना है. जिसके माध्यम से मोबाइल फोन डोनेशन की अपील की गई है. इसका आरंभ करते हुए शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने गुरुवार को अपनी ओर से एक सौ मोबाइल फोन डोनेट किए हैं.

दरअसल, कई गरीब छात्रों के पास ऑनलाइन पढ़ाई का कोई माध्यम नहीं है, ऐसे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. इस योजना के शुरू होने से पहले ही समग्र शिक्षा टीम के पास 11 सौ मोबाइल फोन पहुंच चुके हैं. इसमें भी अच्छी बात यह है कि ये सभी फोन नए हैं. हालांकि, विभाग की तरफ से नए और पुराने सभी प्रकार के फोन डोनेट करने की अपील की गई है.

अभी तक विभाग के पास पहुंचे अधिकांश फोन बैंकिंग संस्थाओं, कॉरपोरेट घरानों, शिक्षक संगठनों और शिक्षा जगत से जुड़े लोगों की तरफ से दान किए गए हैं. इसके अलावा लोग व्यक्तिगत तौर पर भी मोबाइल विभाग को भेज रहे हैं.

शिक्षा विभाग के इस प्रयास से जो गरीब परिवार के छात्र ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं, वे अपनी पढ़ाई जारी रख सकेंगे. इस पहल का प्रदेश के विभिन्न सामाजिक संगठनों ने भी स्वागत किया. ये मोबाइल इकट्ठा होने के बाद हर शिक्षा खंड से गरीब बच्चों का चयन कर उन्हें ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मोबाइल दिए जाएंगे.

मोबाइल फोन के सही तरीके से वितरण और ऑनलाइन शिक्षा को सुचारू रूप से चलाने के लिए शिक्षा विभाग हर छात्र को यूनीक आइडेंटिटी नंबर जारी करने जा रहा है. ताकि मोबाइल फोन का वितरण भी सही तरीके से किया जा सके.

हिमाचल में शिक्षा विभाग 'हर घर पाठशाला' चला रहा है, जो सरकारी स्कूलों में लगभग 8 लाख छात्रों के लिए ऑनलाइन शिक्षा मुहैया कराने का एक कार्यक्रम है. अप्रैल 2020 में इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी. इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों के लिए उत्कृष्ट शिक्षा सुनिश्चित करना है.

हिमाचल में विभाग तीन प्रमुख तरीकों के माध्यम छात्रों तक पहुंच रहे हैं. जिनमें छात्र- व्हाट्सएप समूहों के माध्यम से वीडियो और वर्कशीट के रूप में सामग्री का दैनिक प्रसार, साप्ताहिक व्हाट्सएप क्विज का आयोजन और राज्य में सभी छात्रों के माता-पिता तक पहुंचने के लिए ई-पीटीएम का आयोजन हर घर पाठशाला तक पहुंचने में सफल रहा है.

ये भी पढ़ें: वीरभद्र सिंह ने डांट की जगह दी प्रेम भरी सलाह तो छूट गई बीड़ी पीने की आदत

ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने में हिमाचल अव्वल रहा है. पिछले वर्ष सितंबर महीने में किए गए सर्वे के अनुसार कोविड-19 के दौरान ऑनलाइन शिक्षा देने में देश की राजधानी दिल्ली के बाद हिमाचल दूसरे नंबर पर रहा. यहां शिक्षक बच्चों के लिए दिन में आठ से दस घंटे का समय दे रहे हैं. हर घर पाठशाला लिंक के अनुसार प्रदेश में सरकारी स्कूलों में 6 लाख के करीब विद्यार्थी हैं. इनमें 5.15 लाख के करीब ऑनलाइन शिक्षा से जुड़े हैं. जो विद्यार्थी शेष हैं, उन्हें इस माह के अंत तक ऑनलाइन शिक्षा से जोड़ने का लक्ष्य शिक्षा विभाग ने रखा है.

मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने 'डिजिटल साथी- बच्चों का सहारा, फोन हमारा' अभियान के तहत आज शिमला में आयोजित कार्यक्रम वर्चुअल माध्यम द्वारा संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन के दौरान नई तकनीक बच्चों के लिए वरदान साबित हुई है, क्योंकि वह इसके द्वारा ऑनलाइन माध्यम से अध्ययन जारी रख पाए.

ये भी पढ़ें: बाह्य वित्त पोषित योजनाओं पर टिकी हिमाचल की आर्थिक तरक्की, प्रदेश को मिल रहा 9877 करोड़ का सहारा

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने महामारी के दौरान छात्रों की सुविधा के लिए हर घर पाठशाला कार्यक्रम आरम्भ किया. इस कार्यक्रम के तहत 80 फीसदी विद्यार्थियों को कवर किया गया और अब सरकार का प्रयास है कि इस कार्यक्रम में शत-प्रतिशत विद्यार्थियों को सम्मिलित किया जाए.

उन्होंने कहा कि प्रथम चरण में विद्यार्थियों को व्हाट्सएप के माध्यम से वीडियो और वर्कशीट प्रदान करने के साथ-साथ विद्यार्थियों के माता-पिता तक ईपीटीएम के माध्यम से जुड़ने के प्रयास किये गये. इसके अलावा शिक्षकों द्वारा लाइव कक्षाओं के साथ-साथ फोनकॉल भी आरम्भ की गई है.

इस कार्यक्रम की ब्रांड एंबेसडर बॉलीवुड अभिनेत्री यामी गौतम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़ी थीं. उन्होंने कहा कि वे इस योजना के प्रचार-प्रसार में पूरा सहयोग करेंगी. अभिनेत्री का यह भी कहना है कि सरकार इस तरह की कोई और भी योजना शुरू करती है तो उनमें उनकी पूरी सहभागिता होगी.

ये भी पढ़ें: सरकारी स्कूलों में तैनात कंप्यूटर शिक्षकों को राहत, विभाग ने दिया 6 महीने का एक्सटेंशन

शिमला: हिमाचल में करीब 8 लाख बच्चे कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं. ऐसे में प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई 'डिजिटल साथी- बच्चों का सहारा फोन हमारा' योजना छात्रों के लिए लाभदायक हो सकती है. देश भर में अपनी तरह की यह पहली योजना है. जिसके माध्यम से मोबाइल फोन डोनेशन की अपील की गई है. इसका आरंभ करते हुए शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने गुरुवार को अपनी ओर से एक सौ मोबाइल फोन डोनेट किए हैं.

दरअसल, कई गरीब छात्रों के पास ऑनलाइन पढ़ाई का कोई माध्यम नहीं है, ऐसे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. इस योजना के शुरू होने से पहले ही समग्र शिक्षा टीम के पास 11 सौ मोबाइल फोन पहुंच चुके हैं. इसमें भी अच्छी बात यह है कि ये सभी फोन नए हैं. हालांकि, विभाग की तरफ से नए और पुराने सभी प्रकार के फोन डोनेट करने की अपील की गई है.

अभी तक विभाग के पास पहुंचे अधिकांश फोन बैंकिंग संस्थाओं, कॉरपोरेट घरानों, शिक्षक संगठनों और शिक्षा जगत से जुड़े लोगों की तरफ से दान किए गए हैं. इसके अलावा लोग व्यक्तिगत तौर पर भी मोबाइल विभाग को भेज रहे हैं.

शिक्षा विभाग के इस प्रयास से जो गरीब परिवार के छात्र ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं, वे अपनी पढ़ाई जारी रख सकेंगे. इस पहल का प्रदेश के विभिन्न सामाजिक संगठनों ने भी स्वागत किया. ये मोबाइल इकट्ठा होने के बाद हर शिक्षा खंड से गरीब बच्चों का चयन कर उन्हें ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मोबाइल दिए जाएंगे.

मोबाइल फोन के सही तरीके से वितरण और ऑनलाइन शिक्षा को सुचारू रूप से चलाने के लिए शिक्षा विभाग हर छात्र को यूनीक आइडेंटिटी नंबर जारी करने जा रहा है. ताकि मोबाइल फोन का वितरण भी सही तरीके से किया जा सके.

हिमाचल में शिक्षा विभाग 'हर घर पाठशाला' चला रहा है, जो सरकारी स्कूलों में लगभग 8 लाख छात्रों के लिए ऑनलाइन शिक्षा मुहैया कराने का एक कार्यक्रम है. अप्रैल 2020 में इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी. इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों के लिए उत्कृष्ट शिक्षा सुनिश्चित करना है.

हिमाचल में विभाग तीन प्रमुख तरीकों के माध्यम छात्रों तक पहुंच रहे हैं. जिनमें छात्र- व्हाट्सएप समूहों के माध्यम से वीडियो और वर्कशीट के रूप में सामग्री का दैनिक प्रसार, साप्ताहिक व्हाट्सएप क्विज का आयोजन और राज्य में सभी छात्रों के माता-पिता तक पहुंचने के लिए ई-पीटीएम का आयोजन हर घर पाठशाला तक पहुंचने में सफल रहा है.

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ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने में हिमाचल अव्वल रहा है. पिछले वर्ष सितंबर महीने में किए गए सर्वे के अनुसार कोविड-19 के दौरान ऑनलाइन शिक्षा देने में देश की राजधानी दिल्ली के बाद हिमाचल दूसरे नंबर पर रहा. यहां शिक्षक बच्चों के लिए दिन में आठ से दस घंटे का समय दे रहे हैं. हर घर पाठशाला लिंक के अनुसार प्रदेश में सरकारी स्कूलों में 6 लाख के करीब विद्यार्थी हैं. इनमें 5.15 लाख के करीब ऑनलाइन शिक्षा से जुड़े हैं. जो विद्यार्थी शेष हैं, उन्हें इस माह के अंत तक ऑनलाइन शिक्षा से जोड़ने का लक्ष्य शिक्षा विभाग ने रखा है.

मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने 'डिजिटल साथी- बच्चों का सहारा, फोन हमारा' अभियान के तहत आज शिमला में आयोजित कार्यक्रम वर्चुअल माध्यम द्वारा संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन के दौरान नई तकनीक बच्चों के लिए वरदान साबित हुई है, क्योंकि वह इसके द्वारा ऑनलाइन माध्यम से अध्ययन जारी रख पाए.

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मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने महामारी के दौरान छात्रों की सुविधा के लिए हर घर पाठशाला कार्यक्रम आरम्भ किया. इस कार्यक्रम के तहत 80 फीसदी विद्यार्थियों को कवर किया गया और अब सरकार का प्रयास है कि इस कार्यक्रम में शत-प्रतिशत विद्यार्थियों को सम्मिलित किया जाए.

उन्होंने कहा कि प्रथम चरण में विद्यार्थियों को व्हाट्सएप के माध्यम से वीडियो और वर्कशीट प्रदान करने के साथ-साथ विद्यार्थियों के माता-पिता तक ईपीटीएम के माध्यम से जुड़ने के प्रयास किये गये. इसके अलावा शिक्षकों द्वारा लाइव कक्षाओं के साथ-साथ फोनकॉल भी आरम्भ की गई है.

इस कार्यक्रम की ब्रांड एंबेसडर बॉलीवुड अभिनेत्री यामी गौतम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़ी थीं. उन्होंने कहा कि वे इस योजना के प्रचार-प्रसार में पूरा सहयोग करेंगी. अभिनेत्री का यह भी कहना है कि सरकार इस तरह की कोई और भी योजना शुरू करती है तो उनमें उनकी पूरी सहभागिता होगी.

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