किन्नौर: किन्नौर जिले में प्रदेश सरकार के बजट सत्र को लेकर विशेष मांग न तो बागवानों की है न किसानों की और न ही कर्मचारियों की. केवल एक ही मांग जिले से उठने लगी है और वह है जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माणधीन कार्यों के प्रस्ताव को निरस्त करना. लगभग पिछले दो वर्षों से किन्नौर जिले में जंगी ठोपन जलविद्युत परियोजना के निर्माणाधीन कार्य के प्रस्ताव को रोकने की आग की ज्वाला स्थानीय पंचायतों समेत आम लोगों में भड़क चुकी है और लोगों द्वारा सरकार से बार-बार जंगी ठोपन जलविद्युत परियोजना 804 मेगावाट के प्रस्ताव (jangi thopan hydroelectric project) को निरस्त करने की मांग उठाई जा रही है.
जिले के जानकारों का कहना है कि किन्नौर में नाथपा झांकड़ी 15 सौ मेगावाट, करछम वांगतू 1 हजार मेगावाट, बासपा प्रोजेक्ट 3 सौ मेगावाट, एचपीपीसीएल 692 मेगावाट व अब इसके बाद सबसे बड़ा जंगी ठोपन 804 मेगावाट जलविद्युत परियोजना (Hydroelectric Project in Himachal) के निर्माणाधीन कार्य से पूर्व इसके प्रस्ताव को निरस्त करने के लिए जिले के कई राजनितिक दल, आम जनमानस, परियोजना प्रभावित पंचायत के लोग बिलकुल विपरीत नजर आ रहे हैं. इन सभी का कहना है कि जिले में जलविद्युत परियोजनाओं के चलते (hydroelectric project in kinnaur) भूसखलन, चट्टानों के खिसकने के साथ वातावरण में बदलाव से यहां का अस्तित्व समाप्त हो रहा है. ऐसे में इस बार जिले में सबसे अहम मुद्दा जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण कार्यों को रोकना है.
जिला किन्नौर के जंगी, आकपा रारंग पंचायत ने तो हालही मे जंगी ठोपन जलविद्युत परियोजना के प्रस्ताव को (hydroelectric project in kinnaur) निरस्त करने को लेकर मंडी लोकसभा के उपचुनावों में चुनाव का बहिष्कार किया था और NO MEANS NO अभियान के तहत समूचे जिला भर में लोगों को जलविद्युत परियोजना के नुकसान के बारे में जागरूक भी किया गया. इस बजट सत्र में जिले के सभी लोगों ने विधायक किन्नौर जगत सिंह नेगी व प्रदेश सरकार से जंगी ठोपन जलविद्युत परियोजना के प्रस्ताव निरस्त के साथ आने वाले सभी परियोजनाओं के निर्माण कार्य को रोकने की मांग की है.
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