किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर एक कठिन भौगोलिक परिस्थितियों वाला क्षेत्र है, क्योंकि सर्दियों में बर्फबारी चारों तरफ बर्फ जम जाती है और गर्मियों में बारिश की वजह से नदी, नालों में बाढ़ आ जाती है. जिससे सड़कें बंद होने के कारण स्थानीय लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
गांधी पंचायती राज संगठन के राज्य समन्वयक दीपक राठौर ने कहा कि जिला में आपदा के समय पंचायतों को अपनी शक्तियों का प्रयोग करना बहुत मुश्किल होता है और पंचायत के विकास कार्यों को लेकर बार-बार विभागों के पास दौड़ना पड़ता है. उन्होंने कहा कि संविधान में पंचायत के प्रतिनिधियों के पास बहुत सी ऐसी शक्तियां हैं, जिसे पंचायत प्रतिनिधि प्रयोग नहीं कर रहे हैं.
दीपक राठौर ने कहा कि संविधान में सड़क निर्माण,आपदा के समय राहत राशि देना, विकास के लिए स्पेशल पैकेज,पंचायत में मशीनरी रखने का प्रावधान भी है, लेकिन सरकार पंचायती राज के प्रतिनिधियों को प्रशासन के समक्ष सिर झुकाकर काम करवा रही है. जिससे पंचायत प्रतिनिधि अपनी शक्तियों को छोड़कर प्रशासन के पास समस्याओं को रखता है, लेकिन उस कार्य को पूरा होते हुए कई महीने लग जाते हैं.
ऐसे में सरकार को आगामी पंचायती चुनाव में जवाब देना होगा और ऐसे प्रतिनिधियों को पंचायती चुनाव में जीताना होगा, जिसे पंचायती राज के सारी शक्तियां और जनजातीय क्षेत्र की हर समस्या व विकास के कार्यों को जल्द करने के बारे में पता हो.
बता दें कि जिला किन्नौर एक जनजातीय क्षेत्र है, जहां पंचायतों में जनजातीय विकास निधि में भी करोड़ो रुपये की धनराशि आती है और कई योजनाओं के लिए पंचायती राज की भी धनराशि सरकार द्वारा दी जाती है, लेकिन पंचायतों को इस राशि को खर्च करने के लिए जिला प्रशासन से अनुमति लेनी पड़ती है.
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