शिमला: शिमला से क्षत्रिय संगठनों (Dev Bhoomi Kshatriya Organization) द्वारा एट्रोसिटी एक्ट (atrocity act) की अर्थी निकालने का मामला तूल पकड़ने लगा है. इस मामले में दलित संगठन के नेता उग्र हो गए हैं. दलित नेता शिमला उपायुक्त का घेराव कर करीब दो घंटे से उपायुक्त के दफ्तर में बैठे रहे. इस दौरान उन्होंने क्षत्रिय संगठनों पर मामला दर्ज करने की मांग की. दलित संगठनों ने साफ कर दिया है जब तक मामला दर्ज नहीं किया जाता, तब तक वे कार्यालय से बाहर नहीं जाएंगे. उन्होंने क्षत्रिय संगठनों द्वारा एट्रोसिटी एक्ट को लेकर की गई टिप्पणी की रिकॉर्डिंग भी उपयुक्त को सुनाई और जल्द से जल्द मामला दर्ज करने की मांग की है.
हालांकि उपायुक्त आदित्य नेगी (Deputy Commissioner Aditya Negi) ने दलित संगठनों को जांच करने का आश्वासन दिया, लेकिन वे मामला दर्ज न होने तक वहीं धरने पर बैठे रहे. नेताओं का कहना है कि क्षत्रिय संगठनी द्वारा केवल पदयात्रा की अनुमति जिला प्रशासन से ली गई थी, लेकिन वहां पर एट्रोसिटी एक्ट की अर्थी निकाली गई जोकि संविधान का अपमान है. उन्होंने कहा कि अनुमति न होने के बाद भी क्षत्रिय संगठन ने कैसे ये यात्रा निकाली इस पर न तो पुलिस और न ही जिला प्रशासन ने कोई कार्रवाई की है. दलित नेताओं ने कहा कि अब जब तक उन पर मामला दर्ज नहीं किया जाता, तब तक उपायुक्त कार्यालय में ही धरने पर बेठगे रहेंगे.
इससे पहले भीम आर्मी भारत हिमाचल (Bhim Army Bharat Himachal) अध्यक्ष रवि कुमार दलित ने कहा कि आज संविधान का जनाजा निकाल कर देश को शर्मसार किया गया है. सवर्ण आयोग की गठन की मांग करने वाले संगठन शिमला में संविधान द्वारा दिए गए अधिकार एट्रोसिटी एक्ट का सरेआम जनाजा निकाल रहे हैं और उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. पुलिस और अधिकारी तमाशा देखते रहे जिसे किसी भी सूरत में बर्दशत नहीं किया जाएगा.
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