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सावधान! अगर आपका बच्चा भी कर रहा है ऑनलाइन पढ़ाई, तो ये बातें जल्दी जान लें, नहीं तो...

कोरोना काल में सभी विद्यार्थी ऑनलाइन ही पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन यह देखा गया है अधिकतर बच्चे इंटरनेट का मिस यूज कर रहे हैं. साइबर थाना के एएसपी नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि बच्चे इंटरनेट का इस्तेमाल बड़े स्तर पर कर रहे हैं. मगर इंटरनेट का कई बच्चे मिस यूज भी करने लगते हैं. यही नहीं कई बच्चे साइबर अपराध का भी शिकार हो रहे हैं. ऐसे में बच्चों पर निगरानी रखना बेहद जरूरी है. ऐसे में अभिभावकों को कौन-कौन सी सावधानियां बरतनी चाहिए पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Aug 21, 2021, 9:29 AM IST

शिमला: कोरोना काल में सभी स्कूल बंद हैं. ऐसे में सभी विद्यार्थी ऑनलाइन ही पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन यह देखा गया है अधिकतर बच्चे इंटरनेट का मिस यूज कर रहे हैं. जिसके कई भयानक परिणाम हो सकते हैं. इसी को लेकर साइबर विभाग थाना शिमला ने एडवाइजरी जारी की है.

एडिशनल एसपी साइबर क्राइम नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि बच्चे इंटरनेट का इस्तेमाल बड़े स्तर पर कर रहे हैं. मगर इंटरनेट का कई बच्चे मिस यूज भी करने लगते हैं. यही नहीं कई बच्चे साइबर अपराध का भी शिकार हो रहे हैं. ऐसे में बच्चों पर निगरानी रखना बेहद जरूरी है.

साइबर पुलिस (Cyber Police) ने अभिभावकों को सलाह दी कि वे अपने बच्चों को भरोसे में लें और इंटरनेट की सेफ ब्राउजिंग और कंप्यूटर के उपयोग के बारे में उनके साथ खुली बातचीत करें. कंप्यूटर में कोई खोज फिल्टरिंग सॉफ्टवेयर या उपकरण लगाना भी सही नहीं है.

नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि परिजन सोशल मीडिया सुरक्षा पर खुद को भी शिक्षित करें और किशोरों के साथ वर्तमान खतरों और तस्वीरें/वीडियो ऑनलाइन पोस्ट के दुरुपयोग के दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में खुली चर्चा करें. कंप्यूटर को खुली जगह पर रखें. एक नियम बनाएं कि जब बच्चे ऑनलाइन हों तो दरवाजे हमेशा खुले रहें.

नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि अगर आपको अपने बच्चे के बारे में गलत सामग्री मिलती है तो संबंधित सर्विस प्रोवाइडर या पुलिस से यथाशीघ्र संपर्क करें. अपने बच्चों को ऐसी साइट से तुरंत बाहर निकलने की सलाह दें जिनसे वे असहज या चिंतित महसूस कर रहे हों.

नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि माता-पिता को उन लोगों पर नजर रखनी चाहिए जिनके साथ उनके बच्चे बात कर रहे हैं और वे कौन सी साइट ब्राउज कर रहे हैं यह भी देखें. यह उनकी गोपनीयता पर अतिक्रमण नहीं है, बल्कि यह डिजिटल स्पेस में उनका पालन-पोषण करना है.

नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि अधिकांश बच्चे अपने माता-पिता को यह बताना नहीं चाहेंगे कि उनको ऑनलाइन धमकाया या परेशान किया जाता है, क्योंकि बच्चों को यह डर रहता है कि ऐसा करने से उनके इंटरनेट इस्तेमाल करने पर रोक लगेगी.

सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे यह समझें कि यदि वे आपको किसी समस्या के बारे में बताएंगे तो उन्हें परेशानी नहीं होगी बल्कि आप उनकी समस्या हल करेंगे. अपने बच्चे को यह समझाएं कि सभी सोशल नेटवर्किंग प्रोफाइल की सेटिंग करना जरूरी है. साइट को यथासंभव सुरक्षित बनाने के लिए उपलब्ध सभी सिक्योरिटी सेटिंग का उपयोग अवश्य करें.

छोटे बच्चों को बिना किसी काम के गूगल ब्राउज करने की अनुमति न दें. बच्चों को सर्च इंजन और वे कैसे काम करते हैं, इसके बारे में सिखाया जाना चाहिए. बच्चों को स्नैपचैट जैसे ऐप्स, जिनसे कि पोस्ट तुरंत हट जाती हैं, का उपयोग करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए.

इस तरह के ऐप्स आपको बच्चे के ऑनलाइन निगरानी करने से रोकते हैं और हो सकता है कि आपको कभी पता न चले कि आपके बच्चे को क्या झेलना पड़ रहा है. एडिशनल एसपी साइबर क्राइम नरवीर सिंह राठौर कहते हैं कि बच्चों से इंटरनेट के सेफ इस्तेमाल करने के बारे में खुलकर बात करनी चाहिए.

वहीं, बच्चों पर निगरानी रखना भी बेहद जरूरी है. अगर बच्चे के व्यवहार में अचानक बदलाव हैं, तो अन्य बातों के अलावा, फेसबुक, व्हाट्सएप आदि पर उसकी ऑनलाइन गतिविधियां जरूर जांचें. इससे आप अपने बच्चे को इंटरनेट के दुरुपयोग और उनसे पड़ने वाले प्रभावों से बचाने के साथ साथ साइबर क्राइम से भी बचा सकते हैं.

ये भी पढ़ें- Weather Forecast: हिमाचल में इस दिन तक खराब रहेगा मौसम

शिमला: कोरोना काल में सभी स्कूल बंद हैं. ऐसे में सभी विद्यार्थी ऑनलाइन ही पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन यह देखा गया है अधिकतर बच्चे इंटरनेट का मिस यूज कर रहे हैं. जिसके कई भयानक परिणाम हो सकते हैं. इसी को लेकर साइबर विभाग थाना शिमला ने एडवाइजरी जारी की है.

एडिशनल एसपी साइबर क्राइम नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि बच्चे इंटरनेट का इस्तेमाल बड़े स्तर पर कर रहे हैं. मगर इंटरनेट का कई बच्चे मिस यूज भी करने लगते हैं. यही नहीं कई बच्चे साइबर अपराध का भी शिकार हो रहे हैं. ऐसे में बच्चों पर निगरानी रखना बेहद जरूरी है.

साइबर पुलिस (Cyber Police) ने अभिभावकों को सलाह दी कि वे अपने बच्चों को भरोसे में लें और इंटरनेट की सेफ ब्राउजिंग और कंप्यूटर के उपयोग के बारे में उनके साथ खुली बातचीत करें. कंप्यूटर में कोई खोज फिल्टरिंग सॉफ्टवेयर या उपकरण लगाना भी सही नहीं है.

नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि परिजन सोशल मीडिया सुरक्षा पर खुद को भी शिक्षित करें और किशोरों के साथ वर्तमान खतरों और तस्वीरें/वीडियो ऑनलाइन पोस्ट के दुरुपयोग के दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में खुली चर्चा करें. कंप्यूटर को खुली जगह पर रखें. एक नियम बनाएं कि जब बच्चे ऑनलाइन हों तो दरवाजे हमेशा खुले रहें.

नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि अगर आपको अपने बच्चे के बारे में गलत सामग्री मिलती है तो संबंधित सर्विस प्रोवाइडर या पुलिस से यथाशीघ्र संपर्क करें. अपने बच्चों को ऐसी साइट से तुरंत बाहर निकलने की सलाह दें जिनसे वे असहज या चिंतित महसूस कर रहे हों.

नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि माता-पिता को उन लोगों पर नजर रखनी चाहिए जिनके साथ उनके बच्चे बात कर रहे हैं और वे कौन सी साइट ब्राउज कर रहे हैं यह भी देखें. यह उनकी गोपनीयता पर अतिक्रमण नहीं है, बल्कि यह डिजिटल स्पेस में उनका पालन-पोषण करना है.

नरवीर सिंह राठौर ने बताया कि अधिकांश बच्चे अपने माता-पिता को यह बताना नहीं चाहेंगे कि उनको ऑनलाइन धमकाया या परेशान किया जाता है, क्योंकि बच्चों को यह डर रहता है कि ऐसा करने से उनके इंटरनेट इस्तेमाल करने पर रोक लगेगी.

सुनिश्चित करें कि आपके बच्चे यह समझें कि यदि वे आपको किसी समस्या के बारे में बताएंगे तो उन्हें परेशानी नहीं होगी बल्कि आप उनकी समस्या हल करेंगे. अपने बच्चे को यह समझाएं कि सभी सोशल नेटवर्किंग प्रोफाइल की सेटिंग करना जरूरी है. साइट को यथासंभव सुरक्षित बनाने के लिए उपलब्ध सभी सिक्योरिटी सेटिंग का उपयोग अवश्य करें.

छोटे बच्चों को बिना किसी काम के गूगल ब्राउज करने की अनुमति न दें. बच्चों को सर्च इंजन और वे कैसे काम करते हैं, इसके बारे में सिखाया जाना चाहिए. बच्चों को स्नैपचैट जैसे ऐप्स, जिनसे कि पोस्ट तुरंत हट जाती हैं, का उपयोग करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए.

इस तरह के ऐप्स आपको बच्चे के ऑनलाइन निगरानी करने से रोकते हैं और हो सकता है कि आपको कभी पता न चले कि आपके बच्चे को क्या झेलना पड़ रहा है. एडिशनल एसपी साइबर क्राइम नरवीर सिंह राठौर कहते हैं कि बच्चों से इंटरनेट के सेफ इस्तेमाल करने के बारे में खुलकर बात करनी चाहिए.

वहीं, बच्चों पर निगरानी रखना भी बेहद जरूरी है. अगर बच्चे के व्यवहार में अचानक बदलाव हैं, तो अन्य बातों के अलावा, फेसबुक, व्हाट्सएप आदि पर उसकी ऑनलाइन गतिविधियां जरूर जांचें. इससे आप अपने बच्चे को इंटरनेट के दुरुपयोग और उनसे पड़ने वाले प्रभावों से बचाने के साथ साथ साइबर क्राइम से भी बचा सकते हैं.

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