शिमला. आज से हिमाचल में बूस्टर डोज लगना शुरू हो जाएगी है. स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं जिनमें सशस्त्र बल शामिल हैं, 60 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों (third covid vaccine 60 years plus) और ऐसे लोग जिन्हें कोई गंभीर बीमारी है, चाहे वे किसी भी आयु के हों, उन्हें बूस्टर डोज की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. कोरोना संक्रमण का खतरा कम करने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कोविड टीकाकरण की बूस्टर डोज लगेगी. सरकार तीसरी कोविड-19 वैक्सीन को प्रीकॉशन डोज (covid 19 vaccine precaution dose) भी कह रही है.
डॉ. गोपाल बेरी, डिप्टी डायरेक्टर एनएचएम ने जानकारी देते हुए बताया कि केंद्र से सरकार से वैक्सीन की पहली खेप हिमाचल पहुंच चुकी है. जिन लोगों को पिछले साल 10 अप्रैल या उससे पहले कोविड वैक्सीन की दूसरी डोज लग चुकी है, उन्हें ही तीसरी डोज (third covid vaccine in himachal) दी जाएगी. इसके लिए लाभार्थियों के पास दूसरी डोज के टीकाकरण के समय उपयोग किए गए मोबाइल फोन नंबर के अलावा फोटो पहचान पत्र कोविड टीकाकरण स्थल पर लाना होगा. 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के नागरिकों को बूस्टर डोज के लिए चिकित्सा प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है.
लगभग 2.75 करोड़ बुजुर्गों को तीसरा कोरोना टीका: एक अनुमान के मुताबिक देश में करीब 5.7 करोड़ लोगों को कोरोना टीके की तीसरी डोज (covid vaccine Third dose) दी जानी है. स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि एक अनुमान के मुताबिक 1.05 करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों, 1.9 करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स और 60 वर्ष से अधिक उम्र के अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रस्त 2.75 करोड़ लोगों को तीसरा कोरोना टीका दिया जाएगा.
बुजुर्गों को तीसरा कोरोना टीका लगवाने के लिए क्या जरूरी
- 60 साल से अधिक आयु के उन बुजुर्गों को बूस्टर डोज दी जाएगी, जो किसी गंभीर रूप से किसी बीमारी से जूझ रहे हैं.
- बूस्टर डोज के लिए कोविन एप पर ठीक उसी तरह रजिस्ट्रेशन करना होगा जैसा वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज के वक्त किया था. दूसरी डोज लेने के 9 महीने (39 हफ्ते) बाद ही तीसरी यानी बूस्टर डोज दी जाएगी.
- उसी टीके की बूस्टर डोज दी जाएगी जिसकी पहले से दो डोज ले चुके हैं. मसलन कोवैक्सीन की दो डोज लेने वालों को बूस्टर डोज के तौर पर कोवैक्सीन और कोविशील्ड की दो डोज ले चुके बुजुर्गों को बूस्टर डोज के तौर पर कोविशील्ड ही दी जाएगी.
- को-मॉर्बिडिटी (Comorbidities) यानी किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं तो रजिस्ट्रेशन के वक्त पूछा जाएगा. जवाब हां में होने पर वैक्सीनेशन के लिए रजिस्टर्ड डॉक्टर से मिला को-मॉर्बिडिटी सर्टिफिकेट दिखाना होगा.
- इस सर्टिफिकेट को कोविन प्लेटफॉर्म पर अपलोड भी कर सकते हैं या फिर वैक्सीनेशन सेंटर पर भी इसकी कॉपी साथ ले जा सकते हैं.
पहले से हों बीमारियां तब भी मिलेगा तीसरा टीका: सरकार द्वारा बुजुर्गों के पहले डोज़ के वक्त ही कोमॉर्बिटीज यानि उन गंभीर बीमारियों की सूची जारी की गई थी जिसका सर्टिफिकेट दिखाने पर उन्हें वैक्सीनेशन में तरजीह दी गई थी. इन बीमारियों में डायबिटीज, किडनी डिजीज या डायलिसिस, कार्डियोवेस्कुलर, स्टेमसेल ट्रांसप्लांट, कैंसर, सिरोसिस, सिकल सेल डिजीज, सांस लेने की गंभीर बीमारी, मूक बधिर या अंधापन जैसी कई विकलांगता, हाई सपोर्ट की जरूरत वाले विकलांग, रेसपिरेटरी सिस्टम पर एसिड अटैक, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी आदि शामिल है. ऐसे मरीजों को डॉक्टर से सर्टिफिकेट लेनी होगी कि वह गंभीर बीमारी से पीड़ित है, जिसके चलते आप वायरस का आसानी से शिकार हो सकते हैं.
हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर: बता दें कि को-विन एप पर बूस्टर डोज के लिए ऑनलाइन पंजीकरण शुक्रवार (8 जनवरी) से शुरू हुआ था. भारत में हेल्थ केयर वर्कर्स तकरीबन 1 करोड़ हैं. इनमें डॉक्टर, नर्स, हॉस्पिटल स्टाफ, आशा वर्कर्स, आंगनबाड़ी वर्कर्स शामिल हैं. फ्रंटलाइन वर्कर्स की संख्या 2 करोड़ है. इसमें पुलिसकर्मी, केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवान, सेना के जवान, होम गार्ड, सिविल डिफेंस संगठन, डिजास्टर मैनेजमेंट वॉलिंटियर्स, नगर निकाय कर्मी शामिल हैं.