शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने कोरोना वायरस संक्रमण के कारण बंद पड़े अदालती कामकाज को कुछ प्रतिबंधों के साथ फिर से शुरू करने का निर्णय लिया है. हाईकोर्ट ने केवल जरूरी मामलों को ईमेल hicourt-hp@nic.in पर दायर करने की अनुमति प्रदान की है. इसके लिए न ही पक्षकारों को अदालत परिसर में आने की जरूरत है न ही वकीलों को. फिलहाल केस की कागजी प्रति व शपथपत्र के साथ साथ कोर्ट फीस दायर करने की जरूरत नहीं है.
हाईकोर्ट की ओर से जारी आदेश के अनुसार जब ईमेल के माध्यम से दायर मामले को किसी खंडपीठ अथवा एकल पीठ को सौंपा जाएगा तो मामले की सुनवाई का समय, तिथि और माध्यम का निर्धारण भी संबंधित पीठ ही करेगी. मामले की सुनवाई संबंधी जानकारी फोन, ईमेल, एसएमएस, व्हाट्सएप इत्यादि माध्यम से संबंधित वकील को दी जाएगी.
कोर्ट की कोई बेंच यह समझेगी की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये की जानी है तो हाईकोर्ट रजिस्ट्री इसके लिए जरूरी इंतजाम करेगी व संबंधित वकील अपने कार्यकाल अथवा घर से ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की पैरवी करेंगे. इसके लिए वकीलों को कोर्ट में आने की इजाजत नहीं होगी. हाईकोर्ट भी न्यूनतम स्टाफ के साथ काम करेगा.
उल्लेखनीय है कि गत 24 मार्च को हाईकोर्ट ने सरकार द्वारा कर्फ्यू की घोषणा को देखते हुए हिमाचल हाईकोर्ट और प्रदेश के सभी अधीनस्थ न्यायालय अगले आदेशों तक बंद करने के आदेश जारी किये थे. हाईकोर्ट ने इस वैश्विक महामारी से निपटने के लिए एहतियात के तौर पर निवारण व उपचारात्मक कदम उठाते हुए स्टाफ को भी कुछ निर्देश दिए थे.
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