शिमला: देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सीबीआई के हाथ शिमला से जुड़े एक और मामले में खाली ही रहे. विख्यात वकील छबील दास हत्याकांड और कारोबारी हर्ष बालजीज मर्डर मिस्ट्री सुलझाने में नाकाम सीबीआई शिमला के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी से चोरी हुए करोड़ों की कीमत के दुर्लभ घंटे की गुत्थी भी नहीं सुलझा पाई.
नेपाल के राजा ने ये दुर्लभ घंटा भेंट किया था. आज से नौ साल पहले ये चोरी हो गया था. अंदेशा जताया जा रहा है कि दुर्लभ वस्तुओं के तस्करों ने इस बेशकीमती घंटे को विदेश पहुंचा दिया है. लंबी जांच के बाद सीबीआई के हाथ खाली ही रहे. अंतत: सीबीआई ने जांच बंद कर सक्षम अदालत में केस की क्लोजर रिपोर्ट पेश की. अब अदालत ने सीबीआई की इस क्लोजर रिपोर्ट को एक्सेप्ट कर लिया है.
ट्रायल कोर्ट की तरफ से सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार करने के बाद अब ये लगभग तय हो गया है कि इस बेशकीमती एंटीक घंटे का कोई सुराग नहीं लगेगा. सीबीआई की इकोनोमिक ऑफेंस यूनिट की क्लोजर रिपोर्ट ट्रायल कोर्ट में स्वीकार हो जाने के बाद अब जांच बंद हो गई है. सीबीआई की तरफ से जांच अधिकारी इंस्पेक्टर रैंक के अफसर के पास थी.
इस तरह सीबीआई को शिमला से जुड़े एक अन्य मामले में असफलता मिली है. इससे पूर्व हिमाचल के बेहद प्रतिष्ठित वकील छबील दास की शिमला में हत्या कर दी गई थी. फिर मशहूर कारोबारी हर्ष बालजीज का शिमला में सेना की वेस्टर्न कमांड के पास गोली मार कर मर्डर कर दिया गया था. वो केस भी सीबीआई नहीं सुलझा पाई. अब ये एडवांस्ड स्टडी से चोरी हुए दुर्लभ घंटे की गुत्थी भी अनसुलझी रह गई.
ब्रिटिशकाल में नेपाल नरेश ने वायसराय को भेंट किया था घंटा
देश में तब ब्रिटिश हुकूमत थी. वर्ष 1903 में नेपाल नरेश ने ब्रिटिश हुकूमत के वॉयसराय को 30 किलो वजनी घंटा भेंट किया था. ये घंटा लकड़ी की चौखट के सहारे एडवांस्ड स्टडी के मुख्य द्वार के समीप बाहर की तरफ लगाया गया था. एंटीक वस्तुओं के स्मगलर्स की नजर ऐसी दुर्लभ वस्तुओं पर रहती है. बेशक एडवांस्ड स्टडी में संस्थान के सुरक्षा कर्मी भी मौजूद रहते हैं, फिर भी ये दुर्लभ भेंट चोरी हो गई. वर्ष 2010 में शिमला के थाना बालूगंज में चोरी की रिपोर्ट दर्ज हुई. हिमाचल पुलिस ने जांच की, लेकिन कोई सुराग नहीं लगा पाई.
पुलिस ने अनट्रेस रिपोर्ट तैयार की और शिमला की सक्षम अदालत में मामला बंद करने के लिए आवेदन किया. भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान ने पुलिस के इस कदम का विरोध किया. बाद में जांच सीबीआई को सौंपी गई. भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान से 21 अप्रैल 2010 की रात को यह घंटा चोरी हो गया. तीन साल से अधिक की जांच में पुलिस के हाथ खाली रहे.
फिर 7 दिसंबर 2013 को हिमाचल पुलिस ने अनट्रेस रिपोर्ट तैयार की. भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान ने जांच बंद करने का विरोध किया और मामला हाईकोर्ट पहुंचा. फिर हाईकोर्ट के आदेश पर अक्टूबर 2015 में जांच सीबीआई के पास गई. सीबीआई ने काफी हाथ-पांव मारे और चोरी का सुराग देने वाले को एक लाख रुपए का ईनाम भी घोषित किया.