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शिमला में टेस्टिंग का आंकड़ा बढ़ा, मोबाइल वैन के जरिए 15 दिनों में 700 टेस्ट

स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव-गांव जाकर कोरोना टेस्ट कर रही है.स्वास्थ्य विभाग ने संदिग्ध के साथ सर्दी, जुखाम के सभी मरीजों के कोरोना टेस्ट करवा रहा है. कोरोना के टेस्ट के लिए दो वैन शिमला जिला में लगाई गई है. ये मोबाइल वैन जिले से सभी दस ब्लॉकों में काम कर रही है. वैन में डॉक्टर और अन्य स्टॉफ उन गांवों में जा रहे हैं, जहां पर सड़क सुविधा है. स्वास्थ्य विभाग की टीम लोगों के घर पर ही टेस्ट कर रही है.

Corona testing figures increased in district Shimla
जिला शिमला में टेस्टिंग का आंकड़ा बढ़ा
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Published : May 1, 2020, 6:57 PM IST

Updated : May 1, 2020, 8:08 PM IST

शिमलाः कोरोना टेस्ट करवाने के लिए जिला में शुरू की गई मोबाइल वैन से टेस्टिंग का आंकड़ा अचानक बढ़ा दिया है. मोबाइल वैन ने मात्र 15 दिनों में ही 700 टेस्ट कर दिए हैं. ये टेस्ट जिला के अलग-अलग ब्लॉक में किए गए हैं. मोबाइल वैन टेस्टिंग सुविधा 15 अप्रैल को शुरु की गई थी, तब तक जिला में 150 कोरोना टेस्ट हो पाए थे, जबकि अब तक 850 टेस्ट जिला में हो चुके हैं.

स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव-गांव जाकर कोरोना टेस्ट कर रही है.स्वास्थ्य विभाग ने संदिग्ध के साथ सर्दी, जुखाम के सभी मरीजों के कोरोना टेस्ट करवा रहा है. कोरोना के टेस्ट के लिए दो वैन शिमला जिला में लगाई गई है. ये मोबाइल वैन जिले से सभी दस ब्लॉकों में काम कर रही है. वैन में डॉक्टर और अन्य स्टॉफ उन गांवों में जा रहे हैं, जहां पर सड़क सुविधा है. स्वास्थ्य विभाग की टीम लोगों के घर पर ही टेस्ट कर रही है.

मोबाइल वैनों से सैंपल लेने पर डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों के संक्रमित होने का खतरा न के बराबर है. इन वैनों को इस तरह से बनाया गया है कि सैंपल लेने वाले डॉक्टर वैन से हाथ निकालर संदिग्ध के मुंह व नाक के सैंपल ले रहे हैं. इस तरह सैंपल लेने वाला वैन में ही रहकर केवल हाथ निकालकर संदिग्ध के सैंपल लेते हैं. इससे डाक्टर व अन्य स्टॉफ भी संदिग्ध व्यक्ति के सीधे संपर्क में नहीं आ रहे हैं.

कोरोना के लक्षण वाले लोगों को अस्पतालों में लाने की जरूरत नहीं है, भले ही कोई पॉजिटिव हो. ऐसे व्यक्ति को तब तक अस्पताल में दाखिल नहीं करवाया जाएगा जब तक कि उसमें लक्षण न दिखे. जुकाम-बुखार और अन्य लक्षण आने पर ही उसको दाखिल करवाया जाएगा. डॉक्टरों की मानें तो केवल गंभीर लोगों को ही अस्पताल में दाखिल होने की जरूरत होती है. बिना लक्षण वाले लोगों को घरों पर ही रखा जा सकता है, बशर्ते वे अन्य लोगों के संपर्क में न आए.

हालांकि अभी तक कोई संदिग्ध नहीं आया है जिसमें कोरोना के लक्षण नजर आ रहे हैं. फिर भी डॉक्टर जिन लोगों के टेस्ट ले रहे हैं, उनको 14 दिनों तक घर में ही रहने की सलाह दी जा रही हैं. आईजीएमसी में भी अन्य अस्पतालों से मरीजों को रेफर किया जा रहा है. इनको ओपीडी में चेक किया जा रहा है.

17 अप्रैल से आईजीएमसी में सीमित ओपीडी शुरू की गई है. इसके बाद रोजाना यहां पर 350 से 400 मरीज जांच के लिए पहुंच रहे है. वीरवार को भी आईजीएमसी में 465 लोग चेकअप के लिए आए हैं. इनमें से 378 लोग सामान्य ओपीडी जबकि 87 मरीज एमरजेंसी में पहुंचे. अस्पताल में सोशल डिस्सटेंसिंग का पालन किया जा रहा है. इस कारण जांच करवाने के लिए लंबी लाइनें लग रही है.

डॉ. सोनम नेगी, सीएमओ शिमला ने बताया कि जिला में मोबाइल टेस्टिंग वैन शुरु होने से कोराना टेस्ट का आंकड़ा बढ़ा है. 15 दिनों में ही मोबाइल वैन से 700 लोगों के सैंपल लिए गए हैं, जबकि इससे पहले डेढ माह में मात्र 150 लोगों के सैंपल लिए जा सके थे. उन्होंने बताया कि कोरोना उतनी जल्दी खत्म होगा जितनी ज्यादा टेस्ट हो सकेंगे. साथ ही उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वे टेस्टिंग टीम के साथ सहयोग करें.

शिमलाः कोरोना टेस्ट करवाने के लिए जिला में शुरू की गई मोबाइल वैन से टेस्टिंग का आंकड़ा अचानक बढ़ा दिया है. मोबाइल वैन ने मात्र 15 दिनों में ही 700 टेस्ट कर दिए हैं. ये टेस्ट जिला के अलग-अलग ब्लॉक में किए गए हैं. मोबाइल वैन टेस्टिंग सुविधा 15 अप्रैल को शुरु की गई थी, तब तक जिला में 150 कोरोना टेस्ट हो पाए थे, जबकि अब तक 850 टेस्ट जिला में हो चुके हैं.

स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव-गांव जाकर कोरोना टेस्ट कर रही है.स्वास्थ्य विभाग ने संदिग्ध के साथ सर्दी, जुखाम के सभी मरीजों के कोरोना टेस्ट करवा रहा है. कोरोना के टेस्ट के लिए दो वैन शिमला जिला में लगाई गई है. ये मोबाइल वैन जिले से सभी दस ब्लॉकों में काम कर रही है. वैन में डॉक्टर और अन्य स्टॉफ उन गांवों में जा रहे हैं, जहां पर सड़क सुविधा है. स्वास्थ्य विभाग की टीम लोगों के घर पर ही टेस्ट कर रही है.

मोबाइल वैनों से सैंपल लेने पर डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों के संक्रमित होने का खतरा न के बराबर है. इन वैनों को इस तरह से बनाया गया है कि सैंपल लेने वाले डॉक्टर वैन से हाथ निकालर संदिग्ध के मुंह व नाक के सैंपल ले रहे हैं. इस तरह सैंपल लेने वाला वैन में ही रहकर केवल हाथ निकालकर संदिग्ध के सैंपल लेते हैं. इससे डाक्टर व अन्य स्टॉफ भी संदिग्ध व्यक्ति के सीधे संपर्क में नहीं आ रहे हैं.

कोरोना के लक्षण वाले लोगों को अस्पतालों में लाने की जरूरत नहीं है, भले ही कोई पॉजिटिव हो. ऐसे व्यक्ति को तब तक अस्पताल में दाखिल नहीं करवाया जाएगा जब तक कि उसमें लक्षण न दिखे. जुकाम-बुखार और अन्य लक्षण आने पर ही उसको दाखिल करवाया जाएगा. डॉक्टरों की मानें तो केवल गंभीर लोगों को ही अस्पताल में दाखिल होने की जरूरत होती है. बिना लक्षण वाले लोगों को घरों पर ही रखा जा सकता है, बशर्ते वे अन्य लोगों के संपर्क में न आए.

हालांकि अभी तक कोई संदिग्ध नहीं आया है जिसमें कोरोना के लक्षण नजर आ रहे हैं. फिर भी डॉक्टर जिन लोगों के टेस्ट ले रहे हैं, उनको 14 दिनों तक घर में ही रहने की सलाह दी जा रही हैं. आईजीएमसी में भी अन्य अस्पतालों से मरीजों को रेफर किया जा रहा है. इनको ओपीडी में चेक किया जा रहा है.

17 अप्रैल से आईजीएमसी में सीमित ओपीडी शुरू की गई है. इसके बाद रोजाना यहां पर 350 से 400 मरीज जांच के लिए पहुंच रहे है. वीरवार को भी आईजीएमसी में 465 लोग चेकअप के लिए आए हैं. इनमें से 378 लोग सामान्य ओपीडी जबकि 87 मरीज एमरजेंसी में पहुंचे. अस्पताल में सोशल डिस्सटेंसिंग का पालन किया जा रहा है. इस कारण जांच करवाने के लिए लंबी लाइनें लग रही है.

डॉ. सोनम नेगी, सीएमओ शिमला ने बताया कि जिला में मोबाइल टेस्टिंग वैन शुरु होने से कोराना टेस्ट का आंकड़ा बढ़ा है. 15 दिनों में ही मोबाइल वैन से 700 लोगों के सैंपल लिए गए हैं, जबकि इससे पहले डेढ माह में मात्र 150 लोगों के सैंपल लिए जा सके थे. उन्होंने बताया कि कोरोना उतनी जल्दी खत्म होगा जितनी ज्यादा टेस्ट हो सकेंगे. साथ ही उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि वे टेस्टिंग टीम के साथ सहयोग करें.

Last Updated : May 1, 2020, 8:08 PM IST
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