शिमलाः हिमाचल प्रदेश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते आंकड़ों के बीच एचआरटीसी बस की यह तस्वीरें निःसंदेह डराने वाली हैं. पुराना बस अड्डे से आईएसबीटी (ISBT Shimla) की ओर जा रही इस बस में यात्री खचाखच भरे हुए हैं. यह हाल तब है जब हिमाचल प्रदेश में कोरोना संक्रमण (Corona Cases in Himachal Pradesh) के रोजाना औसतन 300 मामले रिपोर्ट किए जा रहे हैं. हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से बस में 50 फीसदी क्षमता की अनुमति दी गई है, लेकिन ग्राउंड जीरो पर बस में क्षमता 50 फीसदी नहीं, बल्कि 200 फीसदी है.
बसों का संचालन तय क्षमता के अनुसार ही हो यह जिम्मेदारी परिचालक की है, लेकिन अपनी जिम्मेदारी न तो परिचालक निभा रहे हैं और न ही यात्री. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि संक्रमण किस तरह काबू में आएगा. वहीं, इस बारे में अधिकारियों का कहना है कि वह बस में ओवरलोडिंग रोकने का पूरा प्रयास करते हैं. प्रत्येक 15 मिनट के अंतराल पर पुराना बस अड्डे से नए बस स्टैंड के लिए बस सुविधा है.
हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक रैलियों और बस में जुटने वाली भीड़ प्रशासन की ढिलाई और लोगों की लापरवाही का उदाहरण है. सरकार की तरफ से बनाए गए नियम केवल कागजों तक ही सीमित है, जिनका जमीनी हकीकत से कोई वास्ता नहीं है. आम लोग बस की संख्या सीमित होने की वजह से ओवरलोडेड बसों में सफर करने के लिए मजबूर हैं. सुबह कार्यालय खुलने और शाम को बंद होने के समय तस्वीरें और भी अधिक भयावह होती हैं. निगम की ओर से सोशल डिस्टेंसिंग और लोगों को सुविधाएं देने का दावा तो किया जाता हैं, लेकिन वास्तव में यह दावा सिर्फ दावा ही साबित होता है.
उल्लेखनीय है कि कोरोना संक्रमण के बीच निजी बस संचालकों के दबाव के बाद हिमाचल प्रदेश सरकार ने किराए में भी बढ़ोतरी की थी. इसके पीछे निजी बस संचालकों ने सरकार पर दबाव बनाते हुए यह बात कही थी कि बस में ऑक्युपेंसी कम होने की वजह से उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है, लेकिन अब बस में जितनी ज्यादा भीड़ है, यात्री इतना ही भारी-भरकम किराया भी चुका रहे हैं.
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