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हिमाचल में धीमी पड़ी कोरोना की रफ्तार, लेकिन बरतें सावधानी: डॉ. राहुल गुप्ता

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Published : Feb 27, 2022, 7:28 PM IST

कोरोना की पहली और दूसरी लहर आने से जहां 250 से अधिक लोग एडमिट किए गए थे, जबकि तीसरी लहर में ये संख्या कम हुई हैं. अब सिर्फ 11 मरीज ही आईजीएमसी में एडमिट हैं. वहीं, आईजीएमसी के प्रशासनिक अधिकारी (corona cases in himachal pradesh) डॉ. राहुल गुप्ता का कहना है कि कोविड के केस भले ही कम आए हों, लेकिन लापरवाही बरतना महंगा पड़ेगा. क्योंकि कोविड अभी भी हमारे आसपास ही हैं. हमारे को सावधानी बरतनी होगी.

corona cases in himachal pradesh
हिमाचल प्रदेश में धीमी पड़ी कोरोना की रफ्तार

शिमला: तीसरी लहर में कोरोना की लहर धीमी पड़ी है. ये लोगों के लिए राहत है, क्योंकि, स्कूल खुलने के बाद बच्चे अब घरों से बाहर निकले हैं. कोरोना की पहली और दूसरी लहर आने से जहां 250 से अधिक लोग एडमिट किए गए थे, जबकि तीसरी लहर में ये संख्या कम हुई हैं. अब सिर्फ 11 मरीज ही आईजीएमसी में एडमिट हैं.

खास बात ये है कि इस तीसरी लहर में किसी भी कोरोना मरीज को वेंटिलेटर (corona cases in himachal pradesh) की जरूरत नहीं पड़ी. आईजीएमसी में अभी केवल वही मरीज आ रहे हैं, जिन्हें बीच-बीच में सांस लेने में परेशानी हो रही है. अन्य मरीजों को होम आइसोलेशन में रहने की सलाह ही दी जा रही है.

हालांकि, कोरोना की पहली लहर में लगभग सभी पॉजिटिव को अस्पतालों या कोविड केयर सेंटर में रखा जाता था. दूसरी लहर में भी कोविड केयर सेंटरों में उन मरीजों को रखा जाता था, जिनके पास या तो एक ही कमरा होता था और परिवार साथ में रहता था या व्यक्ति खुद कोविड केयर सेंटर आना चाहता था. मगर अब तीसरी लहर में सीरियस मरीजों को ही अस्पताल में एडमिट किया जा रहा है.

वैक्सीन लगने के बाद कुछ लोग हुए लापरवाह: अभी जो कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं, उनमें वही लोग कोरोना संक्रमित पाए जा रहे हैं, जो लापरवाही बरत रहे हैं. कोरोना वैक्सीनेशन भी जिले में तेजी से चल रही है, मगर इसका असर ऐसा हो रहा है कि अब लोग लारपरवाह होते जा रहे हैं.

वीडियो.

ज्यादातर लोग यह सोच रहे हैं कि उन्हें अब कोरोना की दोनों डोज लग चुकी है और उन्हें कोरोना नहीं होगा. मगर अभी भी 25 फीसदी लोग ऐसे आ रहे हैं, जिन्हें कोरोना की या तो एक डोज लगी है या दोनों. डॉक्टर पहले से ही एक बात बोल रहे हैं कि कोरोना वैक्सीन रिस्क को कम करेगी न कि कोरोना से बचाएगी. ऐसे में अगर लोग मास्क पहनेंगे और भीड़ में जाने से बचेंगे तो ही वह कोरोना से सुरक्षित रह सकते हैं.

जिले में रोज अब 14 से 17 मरीज पॉजीटिव आ रहे: जिला शिमला की बात करें तो कोरोना की रफ्तार बीते अगस्त में एकदम से बढ़ गर्ई थी. अगस्त 2021 के 12 दिनों में ही यहां पर एक्टिव मरीज 294 हो गए थे, जबकि जुलाई में एक्टिव मरीज 90 के करीब रह गए थे. इसमें भी लगभग 80 मरीज होम आइसोलेशन में थे.

जिला शिमला में जनवरी में 2678 एक्टिव केस थे. बीते 14 जनवरी को एक्टिव केस 1400 थे, जो 21 जनवरी को बढ़कर 2678 हो गए. राहत की बात ये थी कि अधिकतर लोग अपने घरों पर ही स्वास्थ्य लाभ ले रहे थे. 18 जनवरी को भी संक्रमण दर 38.24 प्रतिशत और 21 जनवरी को 35.90 प्रतिशत दर्ज की गई थी, जबकि फरवरी 2022 में मरीजों की संख्या में एकदम से कमी आई. डॉक्टरों की मानें तो लोगों ने वैक्सीन लगाने के बाद सावधानी भी बरती है.

बच्चों को भूखे पेट स्कूल न भेजें, कोविड नियमों का पालन करें: आईजीएमसी के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. राहुल गुप्ता का कहना है कि कोविड के केस भले ही कम आए हों, लेकिन लापरवाही बरतना महंगा पड़ेगा. क्योंकि कोविड अभी भी हमारे आसपास ही हैं. हमारे को सावधानी बरतनी होगी.

घर से बाहर निकलने के दौरान अच्छे तरह से मास्क लगाना ही होगा. बच्चों को स्कूल भेजने से पहले अभिभावकों को सतर्क रहना होगा. उन्हें खाली पेट घर से स्कूल न भेजें. सेनिटाइजर का प्रयोग करने और मास्क लगाने की सलाह दें. क्लास में एक बच्चा दूसरे बच्चे से टिफिन शेयर न करें. क्लास में उचित दूरी बनाकर रखें.

ये भी पढ़ें- कैसे होगा कर्ज के मर्ज का इलाज, क्या जयराम सरकार के पास है कोई जादुई छड़ी?

शिमला: तीसरी लहर में कोरोना की लहर धीमी पड़ी है. ये लोगों के लिए राहत है, क्योंकि, स्कूल खुलने के बाद बच्चे अब घरों से बाहर निकले हैं. कोरोना की पहली और दूसरी लहर आने से जहां 250 से अधिक लोग एडमिट किए गए थे, जबकि तीसरी लहर में ये संख्या कम हुई हैं. अब सिर्फ 11 मरीज ही आईजीएमसी में एडमिट हैं.

खास बात ये है कि इस तीसरी लहर में किसी भी कोरोना मरीज को वेंटिलेटर (corona cases in himachal pradesh) की जरूरत नहीं पड़ी. आईजीएमसी में अभी केवल वही मरीज आ रहे हैं, जिन्हें बीच-बीच में सांस लेने में परेशानी हो रही है. अन्य मरीजों को होम आइसोलेशन में रहने की सलाह ही दी जा रही है.

हालांकि, कोरोना की पहली लहर में लगभग सभी पॉजिटिव को अस्पतालों या कोविड केयर सेंटर में रखा जाता था. दूसरी लहर में भी कोविड केयर सेंटरों में उन मरीजों को रखा जाता था, जिनके पास या तो एक ही कमरा होता था और परिवार साथ में रहता था या व्यक्ति खुद कोविड केयर सेंटर आना चाहता था. मगर अब तीसरी लहर में सीरियस मरीजों को ही अस्पताल में एडमिट किया जा रहा है.

वैक्सीन लगने के बाद कुछ लोग हुए लापरवाह: अभी जो कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं, उनमें वही लोग कोरोना संक्रमित पाए जा रहे हैं, जो लापरवाही बरत रहे हैं. कोरोना वैक्सीनेशन भी जिले में तेजी से चल रही है, मगर इसका असर ऐसा हो रहा है कि अब लोग लारपरवाह होते जा रहे हैं.

वीडियो.

ज्यादातर लोग यह सोच रहे हैं कि उन्हें अब कोरोना की दोनों डोज लग चुकी है और उन्हें कोरोना नहीं होगा. मगर अभी भी 25 फीसदी लोग ऐसे आ रहे हैं, जिन्हें कोरोना की या तो एक डोज लगी है या दोनों. डॉक्टर पहले से ही एक बात बोल रहे हैं कि कोरोना वैक्सीन रिस्क को कम करेगी न कि कोरोना से बचाएगी. ऐसे में अगर लोग मास्क पहनेंगे और भीड़ में जाने से बचेंगे तो ही वह कोरोना से सुरक्षित रह सकते हैं.

जिले में रोज अब 14 से 17 मरीज पॉजीटिव आ रहे: जिला शिमला की बात करें तो कोरोना की रफ्तार बीते अगस्त में एकदम से बढ़ गर्ई थी. अगस्त 2021 के 12 दिनों में ही यहां पर एक्टिव मरीज 294 हो गए थे, जबकि जुलाई में एक्टिव मरीज 90 के करीब रह गए थे. इसमें भी लगभग 80 मरीज होम आइसोलेशन में थे.

जिला शिमला में जनवरी में 2678 एक्टिव केस थे. बीते 14 जनवरी को एक्टिव केस 1400 थे, जो 21 जनवरी को बढ़कर 2678 हो गए. राहत की बात ये थी कि अधिकतर लोग अपने घरों पर ही स्वास्थ्य लाभ ले रहे थे. 18 जनवरी को भी संक्रमण दर 38.24 प्रतिशत और 21 जनवरी को 35.90 प्रतिशत दर्ज की गई थी, जबकि फरवरी 2022 में मरीजों की संख्या में एकदम से कमी आई. डॉक्टरों की मानें तो लोगों ने वैक्सीन लगाने के बाद सावधानी भी बरती है.

बच्चों को भूखे पेट स्कूल न भेजें, कोविड नियमों का पालन करें: आईजीएमसी के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. राहुल गुप्ता का कहना है कि कोविड के केस भले ही कम आए हों, लेकिन लापरवाही बरतना महंगा पड़ेगा. क्योंकि कोविड अभी भी हमारे आसपास ही हैं. हमारे को सावधानी बरतनी होगी.

घर से बाहर निकलने के दौरान अच्छे तरह से मास्क लगाना ही होगा. बच्चों को स्कूल भेजने से पहले अभिभावकों को सतर्क रहना होगा. उन्हें खाली पेट घर से स्कूल न भेजें. सेनिटाइजर का प्रयोग करने और मास्क लगाने की सलाह दें. क्लास में एक बच्चा दूसरे बच्चे से टिफिन शेयर न करें. क्लास में उचित दूरी बनाकर रखें.

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