शिमला: वैसे तो सूर्य ग्रहण कई बार लगता है और वैज्ञानिक सहित ग्रह नक्षत्रों की दृष्टि से हर बार इसका अपना ही एक अलग महत्व भी होता है, लेकिन इस बार 21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण ऐतिहासिक होने वाला है, क्योंकि 25 साल बाद पूर्ण सूर्य ग्रहण देखने का संयोग बन रहा है. प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में ये सूर्य ग्रहण पूर्ण रूप से दिखेगा. 21 जून को सुबह 10 बजकर 23 मिनट पर सूर्य ग्रहण शुरू होगा और इसका अधिक प्रभाव 12 बजकर 3 मिनट तक देखने को मिलेगा, जबकि दोपहर 12 बजे पूर्ण सूर्यग्रहण देखने को मिलेगा.
बताया जा रहा है कि इस दौरान दोपहर 12 बजे रात की तरह अंधेरा हो जाएगा. वहीं, दोपहर 1 बजकर 48 मिनट पर ग्रहण खत्म होगा. सूर्य ग्रहण स्थानीय लोग देख सकें, इसलिए हिमाचल प्रदेश साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग की ओर से इंतजाम किए गए हैं. राजधानी के रिज मैदान पर पदम देव कॉम्प्लेक्स के साथ ही ओक ओवर और सचिवालय में भी सोलर फिल्टर्स की मदद से सूर्य ग्रहण लोगों को दिखाया जाएगा.
विज्ञान की दृष्टि से भी ये खगोलीय घटना बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये नई खोज के लिए बेहद मददगार होगा. इसके साथ ही स्कूली बच्चों को भी इस सूर्य ग्रहण के बारे में बताया जा सके और उन्हें भी इस बारे में जागरूक किया जा सके इसलिए हिमकोस्ट की ओर से शिक्षा विभाग को भी सभी जिलों में सोलर फिल्टर की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि स्कूली बच्चे और आम लोग भी इस सूर्य ग्रहण को देख सकें.
हिमाचल विज्ञान प्रौद्योगिकी और पर्यावरण विभाग के संयुक्त सदस्य सचिव निशांत ठाकुर ने कहा कि 21 जून को लगने वाले सूर्य ग्रहण का ये संयोग 25 साल बाद देखने को मिलेगा. खास बात ये है कि हिमाचल में भी ये सूर्य ग्रहण पूर्ण रूप से दिखेगा. उन्होंने बताया कि भारत में ग्रहण 95 फीसदी तक रहने वाला है, जबकि यमुनानगर के आसपास के क्षेत्रों में ये ग्रहण 99 फीसदी रहेगा.
निशांत ठाकुर ने बताया कि अक्सर ही ग्रहण को लेकर लोगों में कई तरह की भ्रांतियां है. अलग-अलग राशियों पर इसका शुभ अशुभ प्रभाव बताए जाते हैं, जिन्हें दूर करने के लिए ही सोलर फिल्टर खरीद कर लोगों को इस ग्रहण को दिखाने का प्रबंध विभाग ने किया है. विभाग का प्रयास है कि लोगों के अंधविश्वास को दूर किया जा सके.
बता दें की साल 1828 में भारत के आंध्रप्रदेश में सूर्य ग्रहण के समय सोलर न्यूक्लियर फ्यूजन को देखा गया था. जिसमें देखा गया था कि किस तरह से सूरज में हीलियम और हाइड्रोजन गैस जलती है. वहीं, साल 1919 में लगे सूर्य ग्रहण के समय भी सूरज के पीछे एक तारा आंशिक रूप से दिखाई दिया था.डिफ्रेक्शन ऑफ लाइट की पुष्टि भी साल 1919 के इस ग्रहण के समय हुई थी. यही वजह है कि 21 जून को लगने वाले इस ग्रहण में भी कुछ रोचक पुष्टियां होने की संभावना जताई जा रही है और ये भी आंकलन किया जा रहा है कि अब साल 2031 में इस तरह का ग्रहण देखने को मिलेगा.
प्रदेश साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग ने सभी लोगों से अपील की है कि इस सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से ना देखें. अगर कोई ऐसा करता है तो इसका प्रभाव उसकी आंखों पर पड़ेगा. सूर्य ग्रहण के दौरान अल्ट्रावायलेट किरणें काफी तेज होती हैं, जिसकी वजह से अगर सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से देखा जाता है तो इससे आंखों पर दुष्प्रभाव पड़ता है. इसलिए उक्त विभाग ने अपील की है कि इस ग्रहण को अपनी नग्न आंखों से ना देखें और न ही बच्चों को देखने दें.