शिमला: मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर इन दिनों हर मंच से हिमाचल प्रदेश में सियासी रिवाज बदलने का दावा कर रहे हैं. इसी बीच, उन्होंने एक रिवाज तो बदल ही दिया है. वेतन आदि को लेकर पंजाब पैटर्न फॉलो करने वाले हिमाचल प्रदेश ने (Ugc Pay Scale Approved in HP) राज्य में कॉलेज व यूनिवर्सिटी टीचर्स को यूजीसी स्केल दिया है. इस तरह हिमाचल प्रदेश में जयराम ठाकुर ने पहली बार रिवाज बदल दिया है. हालांकि पंजाब ने अभी यूजीसी स्केल नहीं दिया है, लेकिन हिमाचल ने पहल कर दी है.
उल्लेखनीय है कि जब मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के पास ये मामला आया था तो उन्होंने मुख्य सचिव सहित संबंधित अफसरों को संकेत दिया था कि ये जरूरी नहीं कि हर बात में पंजाब की तरफ देखा जाए. कुछ फैसले अपने राज्य की स्थिति को देखते हुए भी करने होते हैं. उसके बाद ही यूजीसी स्केल की फाइल तेजी से मूव हुई और बिना किसी रिमार्क्स अथवा ऑब्जेक्शन नोट के सीएम ऑफिस पहुंची. इस तरह यूजीसी स्केल को लेकर गुरूवार को कैबिनेट में मुहर लग गई. इस फैसले से हिमाचल प्रदेश में कॉलेजों व यूनिवर्सिटी में पढ़ा रहे 3200 लेक्चरर व प्रोफेसर को अब यूजीसी की तरफ से निर्धारित स्केल मिलेगा.
गुरूवार को कैबिनेट में हुए फैसले के अनुसार हिमाचल में यूजीसी स्केल देने पर (Ugc Pay Scale Approved in HP) सरकार के खजाने पर 337 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा. यही नहीं, सरकार ने जनवरी 2016 से मार्च 2022 तक का एरियर भी देना तय किया है. इस पर 113 करोड़ रुपए खर्च होंगे. इसके अलावा इस साल मार्च के बाद की देनदारी 75 करोड़ रुपए होगी. उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में कॉलेज-यूनिवर्सिटी टीचर्स यूजीसी स्केल की मांग कर रहे थे. सरकार ने इसके लिए मुख्य सचिव की अगुवाई में कमेटी का गठन किया था. प्रदेश में 138 सरकारी कॉलेज हैं. इसके अलावा एचपी यूनिवर्सिटी सहित अन्य विश्वविद्यालय हैं. इनमें 3200 के करीब टीचर्स हैं.
शिक्षकों के प्रतिनिधि संगठनों ने इसके लिए क्रमिक अनशन व भूख हड़ताल तक की थी. विरोध बढ़ने पर सरकार ने बातचीत का रास्ता अपनाया और फिर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था. हिमाचल यूनिवर्सिटी के शिक्षकों ने जून महीने में विरोध प्रदर्शन किया था. शिक्षक संघ के पदाधिकारी डॉ. जोगेंद्र सकलानी के अनुसार करीब सात साल से शिक्षक अपने हक का इंतजार कर रहे थे. अब सरकार ने यूजीसी स्केल जारी करने का ऐलान किया है.
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