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CM जयराम और जेपी नड्डा ने गोवर्धन पूजा की दी बधाई, यहां जानिए पौराणिक कथा - हिमाचल की हिंदी खबरें

सीएम जयराम ठाकुर ने गोवर्धन पूजा पर देश और प्रदेशवासियों को ट्वीट कर लोगों को गोवर्धन पूजा की बधाई दी. सीएम जयराम ठाकुर ने अपने बधाई संदेश में कहा कि भगवान श्री कृष्ण आपको शक्ति, साहस और सात्विकता का आशीर्वाद दें.

govardhan pooja
गोवर्धन पूजा
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Published : Nov 15, 2020, 12:49 PM IST

शिमला: आज हिमाचल समेत पूरे देश में गोवर्धन पूजा का पर्व श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है. सीएम जयराम ठाकुर ने गोवर्धन पूजा पर देश और प्रदेशवासियों को ट्वीट कर लोगों को गोवर्धन पूजा की बधाई दी.

सीएम जयराम ठाकुर ने अपने बधाई संदेश में कहा कि भगवान श्री कृष्ण आपको शक्ति, साहस और सात्विकता का आशीर्वाद दें. आपके परिवार पर हमेशा श्री कृष्ण की कृपा बनी रहे, ऐसी कामना करता हूं.

  • गोवर्धन पूजा के पावन अवसर पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।

    भगवान श्री कृष्ण आपको शक्ति, साहस और सात्विकता का आशीर्वाद दें। आपके परिवार पर हमेशा श्री कृष्ण की कृपा बनी रहे, ऐसी कामना करता हूँ।#GovardhanPuja pic.twitter.com/chVSPSsoKE

    — Jairam Thakur (@jairamthakurbjp) November 15, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

बीजपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने गोवर्धन पूजा की बधाई दी है. उन्होंने ट्वीट कर देशवासियों को गोवर्धन पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं दी है. यह पावन पर्व सभी के जीवन में सुख, समृद्धि एवं आरोग्य लाए.

  • समस्त देशवासियों को 'गोवर्धन पूजा' की हार्दिक शुभकामनाएं।

    यह पावन पर्व सभी के जीवन में सुख, समृद्धि एवं आरोग्य लाए। pic.twitter.com/ypwxVCaKYi

    — Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) November 15, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने भी ट्वीट कर लोगों को गोवर्धन पूजा की बधाई दी है. उन्होंने ट्वीट कर समस्त देशवासियों को गोवर्धन पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं दी है.

  • समस्त देशवासियों को गोवर्धन पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ। 🙏🏻💫

    — Suresh Kashyap (@iSureshBjp) November 15, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

गोवर्धन पूजा की कथा

भगवान श्रीकृष्ण ने इन्द्र का अभिमान तोड़ने के लिए एक लीला रची थी. उन्होंने देखा की सभी बृजवासी उत्तम पकवान बना रहे हैं और किसी की पूजा की तैयारी में जुटे हैं. श्रीकृष्ण ने बड़े भोलेपन से यशोदा से पूछा कि मइया आप किसकी पूजा की तैयारी कर रही हैं.

कृष्ण की बातें सुनकर मैया बोलीं कि हम देवराज इन्द्र की पूजा के लिए अन्नकूट की तैयारी कर रहे हैं. यशोदा के ऐसा कहने पर श्रीकृष्ण बोले, हम इन्द्र की पूजा क्यों करते हैं? यशोदा ने कहा, कि इससे वर्षा होती है, जिससे अन्न की पैदावार होती है, उनसे हमारी गायों को चारा मिलता है.

भगवान श्रीकृष्ण बोले, फिर हमें तो गोर्वधन पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि हमारी गायें वहीं चरती हैं. गोर्वधन पर्वत ही पूजनीय हैं और इन्द्र तो कभी दर्शन भी नहीं देते और पूजा न करने पर क्रोधित भी होते हैं. अत: ऐसे अहंकारी की पूजा नहीं करनी चाहिए.

कृष्ण ने कनिष्ठ उंगली पर पूरा गोवर्घन पर्वत उठाया

श्रीकृष्ण की लीला और माया से सभी ने इन्द्र के बदले गोवर्घन पर्वत की पूजा की. देवराज इन्द्र ने इसे अपना अपमान समझा और मूसलाधार वर्षा शुरू की. प्रलय के समान वर्षा देखकर सभी बृजवासी भगवान कृष्ण को कोसने लगे कि ये सब इनका कहा मानने से हुआ है.

इसके बाद मुरलीधर ने मुरली कमर में डाली और अपनी कनिष्ठ उंगली पर पूरा गोवर्घन पर्वत उठा लिया और सभी बृजवासियों को उसमें अपने गाय और बछड़े समेत शरण लेने के लिए बुलाया. इन्द्र कृष्ण की यह लीला देखकर और क्रोधित हो गए. क्रोध बढ़ने के साथ-साथ वर्षा और तेज हो गयी. इन्द्र का मान मर्दन के लिए तब श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से कहा कि आप पर्वत के ऊपर रहकर वर्षा की गति को नियंत्रित करें और शेषनाग से कहा आप मेड़ बनाकर पानी को पर्वत की ओर आने से रोकें.

हुआ अहंकार का नाश

इन्द्र लगातार सात दिन तक मूसलाधार वर्षा करते रहे, तब उन्हें एहसास हुआ कि उनका मुकाबला करने वाला कोई आम मनुष्य नहीं हो सकता. अत: वे ब्रह्माजी के पास पहुंचे और सब वृतान्त कह सुनाया. ब्रह्माजी ने इन्द्र से कहा कि आप जिस कृष्ण की बात कर रहे हैं वह भगवान विष्णु के साक्षात अंश हैं और पूर्ण पुरुषोत्तम नारायण हैं. ब्रह्माजी की यह बात सुनकर इन्द्र अत्यंत लज्जित हुए और श्री कृष्ण से कहा कि प्रभु मैं आपको पहचान न सका, इसलिए अहंकारवश भूल कर बैठा. आप दयालु हैं और कृपालु भी इसलिए मेरी भूल क्षमा करें. इसके बाद देवराज इन्द्र ने मुरलीधर की पूजा कर उन्हें भोग लगाया.

बैलों को खिलाया जाता है गुड़ और चावल

इस पौराणिक घटना के बाद से ही गोवर्घन पूजा की जाने लगी. इस दिन गोवर्घन पर्वत की पूजा की जाती है. गाय बैल को स्नान करवाकर उन्हें रंग लगाया जाता है व उनके गले में नई रस्सी डाली जाती है. गाय और बैलों को गुड़ और चावल मिलाकर खिलाया जाता है. तब से ही यह पर्व गोवर्धन के रूप में मनाया जाता है. हिमाचल के कई जिलों में इस दिन देवताओं के वास्तुकार विश्वकर्मा की भी पूजा होती है.

शिमला: आज हिमाचल समेत पूरे देश में गोवर्धन पूजा का पर्व श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जा रहा है. सीएम जयराम ठाकुर ने गोवर्धन पूजा पर देश और प्रदेशवासियों को ट्वीट कर लोगों को गोवर्धन पूजा की बधाई दी.

सीएम जयराम ठाकुर ने अपने बधाई संदेश में कहा कि भगवान श्री कृष्ण आपको शक्ति, साहस और सात्विकता का आशीर्वाद दें. आपके परिवार पर हमेशा श्री कृष्ण की कृपा बनी रहे, ऐसी कामना करता हूं.

  • गोवर्धन पूजा के पावन अवसर पर सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।

    भगवान श्री कृष्ण आपको शक्ति, साहस और सात्विकता का आशीर्वाद दें। आपके परिवार पर हमेशा श्री कृष्ण की कृपा बनी रहे, ऐसी कामना करता हूँ।#GovardhanPuja pic.twitter.com/chVSPSsoKE

    — Jairam Thakur (@jairamthakurbjp) November 15, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

बीजपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने गोवर्धन पूजा की बधाई दी है. उन्होंने ट्वीट कर देशवासियों को गोवर्धन पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं दी है. यह पावन पर्व सभी के जीवन में सुख, समृद्धि एवं आरोग्य लाए.

  • समस्त देशवासियों को 'गोवर्धन पूजा' की हार्दिक शुभकामनाएं।

    यह पावन पर्व सभी के जीवन में सुख, समृद्धि एवं आरोग्य लाए। pic.twitter.com/ypwxVCaKYi

    — Jagat Prakash Nadda (@JPNadda) November 15, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने भी ट्वीट कर लोगों को गोवर्धन पूजा की बधाई दी है. उन्होंने ट्वीट कर समस्त देशवासियों को गोवर्धन पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं दी है.

  • समस्त देशवासियों को गोवर्धन पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ। 🙏🏻💫

    — Suresh Kashyap (@iSureshBjp) November 15, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

गोवर्धन पूजा की कथा

भगवान श्रीकृष्ण ने इन्द्र का अभिमान तोड़ने के लिए एक लीला रची थी. उन्होंने देखा की सभी बृजवासी उत्तम पकवान बना रहे हैं और किसी की पूजा की तैयारी में जुटे हैं. श्रीकृष्ण ने बड़े भोलेपन से यशोदा से पूछा कि मइया आप किसकी पूजा की तैयारी कर रही हैं.

कृष्ण की बातें सुनकर मैया बोलीं कि हम देवराज इन्द्र की पूजा के लिए अन्नकूट की तैयारी कर रहे हैं. यशोदा के ऐसा कहने पर श्रीकृष्ण बोले, हम इन्द्र की पूजा क्यों करते हैं? यशोदा ने कहा, कि इससे वर्षा होती है, जिससे अन्न की पैदावार होती है, उनसे हमारी गायों को चारा मिलता है.

भगवान श्रीकृष्ण बोले, फिर हमें तो गोर्वधन पर्वत की पूजा करनी चाहिए क्योंकि हमारी गायें वहीं चरती हैं. गोर्वधन पर्वत ही पूजनीय हैं और इन्द्र तो कभी दर्शन भी नहीं देते और पूजा न करने पर क्रोधित भी होते हैं. अत: ऐसे अहंकारी की पूजा नहीं करनी चाहिए.

कृष्ण ने कनिष्ठ उंगली पर पूरा गोवर्घन पर्वत उठाया

श्रीकृष्ण की लीला और माया से सभी ने इन्द्र के बदले गोवर्घन पर्वत की पूजा की. देवराज इन्द्र ने इसे अपना अपमान समझा और मूसलाधार वर्षा शुरू की. प्रलय के समान वर्षा देखकर सभी बृजवासी भगवान कृष्ण को कोसने लगे कि ये सब इनका कहा मानने से हुआ है.

इसके बाद मुरलीधर ने मुरली कमर में डाली और अपनी कनिष्ठ उंगली पर पूरा गोवर्घन पर्वत उठा लिया और सभी बृजवासियों को उसमें अपने गाय और बछड़े समेत शरण लेने के लिए बुलाया. इन्द्र कृष्ण की यह लीला देखकर और क्रोधित हो गए. क्रोध बढ़ने के साथ-साथ वर्षा और तेज हो गयी. इन्द्र का मान मर्दन के लिए तब श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से कहा कि आप पर्वत के ऊपर रहकर वर्षा की गति को नियंत्रित करें और शेषनाग से कहा आप मेड़ बनाकर पानी को पर्वत की ओर आने से रोकें.

हुआ अहंकार का नाश

इन्द्र लगातार सात दिन तक मूसलाधार वर्षा करते रहे, तब उन्हें एहसास हुआ कि उनका मुकाबला करने वाला कोई आम मनुष्य नहीं हो सकता. अत: वे ब्रह्माजी के पास पहुंचे और सब वृतान्त कह सुनाया. ब्रह्माजी ने इन्द्र से कहा कि आप जिस कृष्ण की बात कर रहे हैं वह भगवान विष्णु के साक्षात अंश हैं और पूर्ण पुरुषोत्तम नारायण हैं. ब्रह्माजी की यह बात सुनकर इन्द्र अत्यंत लज्जित हुए और श्री कृष्ण से कहा कि प्रभु मैं आपको पहचान न सका, इसलिए अहंकारवश भूल कर बैठा. आप दयालु हैं और कृपालु भी इसलिए मेरी भूल क्षमा करें. इसके बाद देवराज इन्द्र ने मुरलीधर की पूजा कर उन्हें भोग लगाया.

बैलों को खिलाया जाता है गुड़ और चावल

इस पौराणिक घटना के बाद से ही गोवर्घन पूजा की जाने लगी. इस दिन गोवर्घन पर्वत की पूजा की जाती है. गाय बैल को स्नान करवाकर उन्हें रंग लगाया जाता है व उनके गले में नई रस्सी डाली जाती है. गाय और बैलों को गुड़ और चावल मिलाकर खिलाया जाता है. तब से ही यह पर्व गोवर्धन के रूप में मनाया जाता है. हिमाचल के कई जिलों में इस दिन देवताओं के वास्तुकार विश्वकर्मा की भी पूजा होती है.

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