शिमला: विपक्ष के वॉकआउट पर बोलते हुए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि विपक्ष ने स्वास्थ्य मंत्री जवाब को सुने बिना ही विपक्ष ने वॉकआउट कर दिया. यह वॉकआउट राजनीतिक दृष्टि से किया गया. मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं इसकी घोर निंदा करता हूं. मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना की स्थिति पर आज सदन में चर्चा का जवाब दिया जा रहा था और विपक्ष ने बिना सुने वॉकआउट किया. उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष सरकार की बात सुनकर जाता तो अच्छा होता. स्वास्थ्य मंत्री ने बहुत तैयारी के साथ उत्तर देने की बात कही थी.
सीएम ने कहा कि प्रत्येक विधायक के प्रश्न का उत्तर दिया गया, लेकिन इतने गंभीर विषय पर विपक्ष का गैर जिम्मेदाराना व्यवहार निंदनीय है. कोविड के कारण दुनियाभर में मौतें हुईं. वहीं, प्रदेश में भी आशंका से अधिक मौतें हुई, लेकिन सभी विवश थे. प्रदेश में उपलब्ध साधनों के साथ प्रदेश सरकार ने सभी प्रयास किए. एक भी मरीज ऐसा नहीं जिसको अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया हो. मुख्यमंत्री ने कहा कि बॉर्डर एरिया में दूसरे राज्यों के लोग हिमाचल में भर्ती होने आए, क्योंकि उन राज्यों अगर बेड मिल रहा था तो ऑक्सीजन नहीं और अगर ऑक्सीजन तो वेंटिलेटर नहीं. मुख्यमंत्री ने कहा कि दूसरे राज्यों से तुलना करना ठीक नहीं, लेकिन हम यह कहने की कोशिश कर रहे थे सभी को सुविधाएं उपलब्ध हो सके.
नियम-130 पर चर्चा के जवाब के दौरान वॉकआउट पर मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष बिखरा हुआ कुनबा बनकर रह गया है. यहां हर कोई नेता बनने की होड़ में है. विपक्ष के पास कोई सुझाव नहीं है. सलाह देना सबसे आसान कार्य है और सभी आजकल सलाहकार बने हुए हैं. इसलिए राजनीतिक दृष्टि से जो वॉकआउट किया उसकी घोर निंदा करता हूं. मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष के सदस्यों ने अपनी बात सदन में कही, लेकिन जब जवाब की बारी आई तो बाहर चले गए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि जो प्रश्न पूछ रहे हैं, उन्हें बताना चाहता हूं प्रदेश में डी टाइप हेल्थ सेंटर 7 हजार हैं, जोकि पहले 1200 थे, हिमाचल प्रदेश के पास आने वाले कुछ दिनों में 10 हजार सिलेंडर उपलब्ध होंगे. मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य कर्मियों का भी आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि फीमेल हेल्थ वर्कर का विशेष आभारी हूं. इस संकटकाल में इनका योगदान अपूर्णीय है. मुख्यमंत्री ने कहा हमारी पार्टी के विधायकों ने भी अंतिम संस्कार किए, लेकिन हमने कभी इसकी चर्चा नहीं की. मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष में सभी एक दूसरे के सलाहकार बने हुए हैं.
विपक्ष के वॉकआउट के बाद नियम-130 के तहत चर्चा के दौरान बोलते हुए स्वास्थ्य मंत्री राजीव सैजल ने कहा कि महत्वपूर्ण विषय पर कुल 17 सदस्यों ने अपने विचार रखे. उन्होंने केंद्र सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरा देश कोरोना से लड़ने के लिए एक हो गया. ऐसे संकट के काल में एकता का आभास करवाना जरूरी है. संवेदिनशीलता और सामूहिक तौर पर कोई कार्य जब हम करते हैं तो एकता का भाव समाज में पैदा होता है. विपक्ष के सदस्य द्वारा उठाए सवाल का जवाब देते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि थाली और ताल से कोरोना नहीं भागता यह बात आम आदमी की समझ में भी आती है, लेकिन इससे एकता का भाव पैदा होता है.
सैजल ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समय-समय पर राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ बात की जाती रही है. उन्होंने कहा कि हिमाचल भी इस बीमारी से लड़ने के लिए एक था भले ही विपक्ष का रूख आलोचना का रहा है. फिर भी मुख्यमंत्री ने अपने प्रयासों कोरोना के खिलाफ सक्षम लड़ाई लड़ी, उन्होंने कहा कि एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं प्रदेश में कि किसी को एक भी दिन भूखे पेट खाली पेट सोना पड़ा, कोरोना वॉरियर का नियमित तौर पर उत्साह वर्धन किया गया.
स्वास्थ्य मंत्री ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की तारीफ करते हुए कहा कि प्रदेश में हजारों कोरोना वॉरियर हैं, जिन्होंने अपने परिवार का दुख दर्द भूलकर जनता की सेवा की. उन्होंने कहा कि कई बार ऐसा भी हुआ जब अपनों ने अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया और स्वास्थ्य विभाग के कोरोना वॉरियर ने अंतिम संस्कार किया. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वह भी कोरोना वार्ड में गए ताकि कोविड वॉरियर के उत्साह को बढ़ाया जा सके. प्रदेश सरकार ने समाज मे विश्वास पैदा करने का कार्य किया है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने समाज को जागरूक करने का कार्य भी किया है. मुख्यमंत्री रात को 12 बजे भी इसी प्लानिंग में रहते थे कि कल समाज के किस वर्ग के साथ चर्चा करनी है.
राजीव सैजल ने कहा कि 23 और 25 जनवरी 2020 को हिमाचल सरकार ने कोरोना संक्रमण के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए. जिसके बाद प्रदेश सरकार ने प्रदेश के अस्पतालों को भी दिशा निर्देश दे दिए और प्रबंध शुरू कर दिए. इसके अलावा होटलों और अन्य संस्थानों में पर्यटकों को लेकर सेल्फ डिक्लेरेशन फॉर्म भारने के आदेश दिए गए. जिला स्तर पर नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की गई और इनका नंबर प्रदेश और देश-विदेश में साझा किया गया.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री ने खुद इस महामारी के दौरान नेतृत्व किया. हिमाचल में कोरोना की रोकथाम के लिए चला अभियान 6 मुख्य बिंदुओं पर निभर रहा. जिसमें कॉटेक्ट, ट्रेसिंग, सैंपलिंग और टेस्टिंग, वनरेबल लोगों की पहचान, जागरूकता और जानकारी की व्यवस्था भी इस अभियान के तहत शुरू की गई. मुख्यमंत्री ने प्रदेश के प्रत्येक जिला का दौरा किया. वहां पर हालातों का आकलन किया. जिसके बाद अधिकारियों को उचित दिशा निर्देश दिए गए. जब कोरोना संक्रमण तेजी से प्रदेश में फैला उससे पहले ही प्रदेश सरकार ने बेड स्ट्रेंथ के बढ़ाकर 6,600 किया. स्वास्थ्य मंत्री कहा कि प्रदेश में 6 मेकशिफ्ट अस्पताल बनाकर तैयार कर दिए हैं.
नाहन, हमीरपुर, इंदौरा, कांगड़ा में मेकशिफ्ट अस्पताल बनाने की तैयारी है. वर्तमान में 870 वेंटीलेटर प्रदेश में है और इनमें से 744 कार्यशील हैं. प्रदेश में 40 न्यूनिटर वेंटिलेटर की उपलब्धता कर दी जाएगी. ऑक्सीजन की दृष्टि से अगर देखें तो प्रदेश में केवल दो प्लांट थी, लेकिन अब राज्य में 8 पीएसए प्लांट उपलब्ध हैं. उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन सभी सोर्सों उपलब्ध करवाई जा रही है. जब पीक आया था तो मात्र 32 से 33 मिट्रिक टक की खपथ थी, लेकिन वर्तमान में 44 मिट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध है.
प्रदेश के 16 स्थानों पर गैस पाइपलाइन बनकर तैयार हो जाएगी. प्रदेश के पास 3500 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध हैं. ट्रांस्पोर्टेशन दी दृष्टि से 178 एंबुलेंस उपलब्ध हैं. बहुत जल्द ड्राइवर को आउटसोर्स के माध्यम से भरने की अनुमति दी जाएगी. तीसरी लहर को देखते हुए 275 नर्सों और फार्मासिस्ट की भर्ती की गई है. फाइनल इयर के छात्रों को भी कोरोना से लड़ने के लिए नियुक्त किया गया और उचित मानदेय दिया जा रहा है. जहां तक दवाओं की उपलब्धता की बात हिमाचल में दवाओं का प्रयाप्त भंडार उपलब्ध है. जिलाधार को भी सभी आवश्यक कार्य करने के दिशा निर्देश दिए गए हैं.
आशा कार्यकर्ताओं और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को मानदेय देने की बात कही गई है. इसके लिए 30 करोड़ रुपए का प्रावधान कर लिया गया है. प्रदेश सरकार 4 सीटी स्कैन मशीन लगाने पर भी कार्य कर रही है. इसके अलावा एमआराई मशीनें लगाने पर कार्य किया जा रहा है.पीडियाट्रिक आईसीयू पर कार्य किया जा जा रहा है. प्रदेश के चार स्थानों पर इन आईसीयू को स्थापित किया जा रहा, इसके अलावा मेडिकल कॉलेज टांडा में प्रिंसिपल पीडियाट्रिक आईसीयू लगाया जा रहा है. 13 लाख से अधिक लोगों को दोनों डोज दे दी गई, जोकि प्रदेश की 24 प्रतिशत है.
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