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कोरोना काल में बच्चों को घर पर रोकना हुआ मुश्किल, बाहर खेलने की जिद्द बनी परेशानी - online education in shimla

सरकार ने छोटे बच्चों को बिना जरूरी काम बाहर न आने की अपील की है, लेकिन बच्चों को घर में अधिक समय तक कैद करके रखना मुश्किल काम हैं. अभिभावकों का कहना है कि बच्चे खेलने के लिए बाहर जाने की जिद्द करते हैं. ऐसे में परिजनों के सामने एक बड़ी चुनौती है कि वह अपने बच्चों को बीमारी से कैसे बचाए.

शिमला में बच्चे
शिमला में बच्चे
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Published : Jul 18, 2020, 3:13 PM IST

Updated : Jul 18, 2020, 4:51 PM IST

शिमला: कोरोना संकट के समय स्कूल-कॉलेज बंद है और अब पढ़ाई भी ऑनलाइन ही करवाई जा रही है. कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा खतरा 60 साल से अधिक उम्र लोगों और छोटे बच्चों को है. इसी कारण सरकार ने बच्चों को बीमारी से बचाने के लिए लॉकडाउन कर घर पर ही रखने की अपील की है.

सरकार ने छोटे बच्चों को बिना जरूरी काम बाहर न आने की अपील की है, लेकिन बच्चों को घर में अधिक समय तक कैद करके रखना मुश्किल काम हैं. अभिभावकों का कहना है कि बच्चे खेलने के लिए बाहर जाने की जिद्द करते हैं. ऐसे में परिजनों के सामने एक बड़ी चुनौती है कि वह अपने बच्चों को बीमारी से कैसे बचाएं.

वीडियो रिपोर्ट.

माता-पिता का कहना है कि वह नौकरी करने के लिए जाते हैं, लेकिन उनके बच्चे घर मे रहते हैं. वह दिन में घर से बाहर खेलने भी जाते है. अपने बच्चों को कोरोना बीमारी के बारे में बताया है और उससे बचने के लिए मास्क पहनने, हाथ को साबुन से धोने, भीड़-भाड़ वाली जगह से दूर रहने को कहा है, लेकिन बच्चे फिर भी इन बातों को अनसुना कर खेलने जाते हैं.

इस संबंध में आईजीएमसी में विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण भाटिया ने बताया कि लॉकडाउन में बच्चों को घर मे रहने के लिए ही ऑनलाइन क्लासिस लगाई गई हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों को इम्नयूनिटी कम होती है, जिसकी वजह से स्कूल में उन्हें संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है. उन्होंने कहा कि बच्चे घर पर सुरक्षित हैं. ऐसे में 2 साल से ऊपर के बच्चों को घर से बाहर मास्क लगाकर ही भेजना चाहिए. यही नहीं बाहर खेलते समय सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए भी कहें, जिससे बीमारी से बचाव हो सकेगा.

डॉ. प्रवीण भाटिया ने बताया कि बच्चे जब बाहर जाएं तो उन्हें किसी भी चीज को ना छूने, भीड़ से दूर रहने की सलाह देनी चाहिए. दुकान में भी सामान लेते समय दुकानदार से दूर रहें. उन्होंने बताया कि जब कामकाजी माता-पिता शाम को घर में आते ही सीधे बच्चों से ना मिलें, बल्कि नहाकर सेनिटाइजर का प्रयोग करें और उसके बाद ही अपने बच्चों से मिले.

शिमला: कोरोना संकट के समय स्कूल-कॉलेज बंद है और अब पढ़ाई भी ऑनलाइन ही करवाई जा रही है. कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा खतरा 60 साल से अधिक उम्र लोगों और छोटे बच्चों को है. इसी कारण सरकार ने बच्चों को बीमारी से बचाने के लिए लॉकडाउन कर घर पर ही रखने की अपील की है.

सरकार ने छोटे बच्चों को बिना जरूरी काम बाहर न आने की अपील की है, लेकिन बच्चों को घर में अधिक समय तक कैद करके रखना मुश्किल काम हैं. अभिभावकों का कहना है कि बच्चे खेलने के लिए बाहर जाने की जिद्द करते हैं. ऐसे में परिजनों के सामने एक बड़ी चुनौती है कि वह अपने बच्चों को बीमारी से कैसे बचाएं.

वीडियो रिपोर्ट.

माता-पिता का कहना है कि वह नौकरी करने के लिए जाते हैं, लेकिन उनके बच्चे घर मे रहते हैं. वह दिन में घर से बाहर खेलने भी जाते है. अपने बच्चों को कोरोना बीमारी के बारे में बताया है और उससे बचने के लिए मास्क पहनने, हाथ को साबुन से धोने, भीड़-भाड़ वाली जगह से दूर रहने को कहा है, लेकिन बच्चे फिर भी इन बातों को अनसुना कर खेलने जाते हैं.

इस संबंध में आईजीएमसी में विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण भाटिया ने बताया कि लॉकडाउन में बच्चों को घर मे रहने के लिए ही ऑनलाइन क्लासिस लगाई गई हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों को इम्नयूनिटी कम होती है, जिसकी वजह से स्कूल में उन्हें संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है. उन्होंने कहा कि बच्चे घर पर सुरक्षित हैं. ऐसे में 2 साल से ऊपर के बच्चों को घर से बाहर मास्क लगाकर ही भेजना चाहिए. यही नहीं बाहर खेलते समय सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए भी कहें, जिससे बीमारी से बचाव हो सकेगा.

डॉ. प्रवीण भाटिया ने बताया कि बच्चे जब बाहर जाएं तो उन्हें किसी भी चीज को ना छूने, भीड़ से दूर रहने की सलाह देनी चाहिए. दुकान में भी सामान लेते समय दुकानदार से दूर रहें. उन्होंने बताया कि जब कामकाजी माता-पिता शाम को घर में आते ही सीधे बच्चों से ना मिलें, बल्कि नहाकर सेनिटाइजर का प्रयोग करें और उसके बाद ही अपने बच्चों से मिले.

Last Updated : Jul 18, 2020, 4:51 PM IST
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