शिमला: राजधानी में निजी स्कूलों द्वारा ली जा रही फीस के खिलाफ छात्र अभिभावक मंच ने मंगलवार को शिक्षा निदेशालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया. मंच ने शिक्षा विभाग को निजी स्कूलों की मनमर्जी पर लगाम लगाने की मांग की और ऐसा ना होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी. शिक्षा निदेशालय के बाहर ये प्रदर्शन उस वक्त हो रहा था जब शिक्षा निदेशक ने निजी स्कूलों के संचालकों को बैठक के लिए बुलाया था. अंदर बैठक हो रही थी और बाहर छात्र अभिभावक मंच प्रदर्शन कर निजी स्कूलों के एनुअल चार्जिज न लेने के निर्देश देने की मांग उठा रहे थे.
'निजी स्कूल कर रहे मनमानी'
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा कि निजी स्कूल मनमानी पर उतर आए है और निजी स्कूल उच्च न्यायालय के निर्णय की गलत व्याख्या करके अभिभावकों की मनमानी फीस वसूल रहे हैं. उच्च न्यायालय ने भी अपने आदेश में कहीं भी इस बात का ज़िक्र नहीं किया है कि निजी स्कूल ट्रांसपोर्टेशन चार्जेज़ सहित सभी तरह के चार्जेज़ वसूल सकते हैं. उच्च शिक्षा निदेशक ने भी किसी भी अधिसूचना में पूर्ण फीस वसूली का आदेश नहीं दिया है.
'मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहे स्कूल'
विजेंद्र मेहरा ने कहा कि निजी स्कूल पूरी फीस वसूली को लेकर रोजाना मोबाइल सन्देश भेजकर अभिभावकों को मानसिक और आर्थिक तौर पर प्रताड़ित कर रहे हैं. पूरी फीस जमा न करने वाले छात्रों को ऑनलाइन क्लास से बाहर किया जा रहा है. शिमला शहर जैसी जगहों पर निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की वार्षिक परीक्षाओं के मद्देनजर छात्रों और अभिभावकों पर हर रोज़ मैसेज या फोन करके या ऑनलाइन कक्षाओं से बाहर छात्रों को बाहर करके उन पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है.
'किस बात की फीस ले रहे स्कूल'
छात्र अभिभावक मंच के मुताबिक जब लंब वक्त से कक्षाएं ही नहीं लगीं तो किस बात की फीस वसूली जा रही है. उन्होंने कहा कि ज्यादातर स्कूलों ने पांच महीनों तक कोई ऑनलाइन कक्षाएं नहीं चलाईं, जब अभिभावकों और छात्रों ने स्कूल का कोई साधन या सेवा का इस्तेमाल ही नहीं किया तो फिर निजी स्कूल कोरोना काल की ट्यूशन फीस के अलावा किस बात की फीस मांग रहे हैं. विजेंद्र मेहरा ने कहा कि अगर निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाम नहीं लगाई गई तो उनका प्रदर्शन और भी उग्र होगा
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