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होशियार डेथ मामले में सीबीआई कोर्ट में आरोप तय: Court ने पाया आरोपी ने वन रक्षक को सुसाइड को मजबूर किया - वन रक्षक होशियार सिंह आत्महत्या

हिमाचल को दहला देने वाले फॉरेस्ट गार्ड होशियार सिंह की (Forest Guard Hoshiyar death case) मौत के मामले में आरोप तय हो गए हैं. अदालत ने कहा कि सभी दस्तावेजों के अवलोकन से ये स्पष्ट है कि आरोपी ने वन रक्षक होशियार सिंह को आत्महत्या के लिए मजबूर किया. अदालत ने कहा कि तत्कालीन उच्च अधिकारी ने गैर कानूनी काम करने के लिए बाध्य किया और जब उसने अवैध रूप से वन कटान को रिपोर्ट किया तो वन रक्षक की मदद के बजाय उसे धमकाया गया.

Charges framed in CBI court in Hoshiyar death case
प्रतीकात्मक तस्वीर.
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Published : Nov 30, 2021, 10:31 PM IST

शिमला: हिमाचल को दहला देने वाले फॉरेस्ट गार्ड होशियार सिंह की मौत के मामले में (Forest Guard Hoshiyar death case) आरोप तय हो गए हैं. शिमला स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में न्यायमूर्ति परवीन चौहान ने वन विभाग के तत्कालीन डिप्टी रेंजर तेजराम वर्मा के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं. अदालत ने कहा कि सभी दस्तावेजों के अवलोकन से ये स्पष्ट है कि आरोपी ने वन रक्षक होशियार सिंह को आत्महत्या के लिए मजबूर किया.

अदालत ने कहा कि तत्कालीन उच्च अधिकारी ने गैर कानूनी काम करने के लिए बाध्य किया और जब उसने अवैध रूप से वन कटान को रिपोर्ट किया तो वन रक्षक की मदद के बजाय उसे धमकाया गया. ऐसे में होशियार सिंह को प्रताड़ित कर आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया. अदालत ने सारे दस्तावेजों के आधार पर आरोप तय किए हैं.

उल्लेखनीय है कि मंडी की कतांडा बीट में अवैध कटान के मामले में वन रक्षक होशियार सिंह की मौत हुई थी. जनता का कहना था कि होशियार सिंह की हत्या की गई, लेकिन बाद में जांच में पाया गया कि उसने सुसाइड (forest guard Hoshiyar suicide) किया है. होशियार सिंह ने अपनी डायरी में सारा घटनाक्रम लिखा था कि कैसे अवैध कटान हो रहा है और उच्च अधिकारी कोई एक्शन नहीं ले रहे हैं.

होशियार सिंह डेथ मामला (Forest Guard Hoshiyar death case) जून 2017 का है. उस समय हिमाचल प्रदेश में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली सरकार सत्तासीन थी. इस घटनाक्रम ने सारे हिमाचल को दहला दिया था. बेहद गरीब परिवार से संबंध रखने वाला वन रक्षक होशियार सिंह (Forest Guard Hoshiyar Singh) अपनी बूढ़ी दादी का इकलौता सहारा था. अवैध कटान के खिलाफ दीवार बनकर खड़े हुइ ईमानदार वन रक्षक होशियार सिंह का शव 9 जून 2017 को मंडी की सेरी कतांडा बीट के जंगल में पेड़ पर उल्टा लटका मिला था. स्थानीय लोगों व परिवार के सदस्यों का आरोप था कि होशियार सिंह की हत्या वन माफिया ने की है. मंडी में होशियार सिंह की मौत के बाद दोषियों को सजा दिलाने व वन रक्षक को न्याय दिलाने के लिए प्रदर्शन हुए.

तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार की भी इस केस में किरकिरी हुई थी. पुलिस व सीआईडी की जांच (Police and CID investigation in Hoshiyar death case) भी किसी काम नहीं आई थी. बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने तीन लोगों की आधिकारिक तौर पर गिरफ्तार किया. अक्टूबर 2017 में हाईकोर्ट केआदेश के बाद मामला सीबीआई के हाथ दिया गया. सीबीआई की 22 सदस्यीय टीम ने इस मामले में जांच शुरू की थी.

सीबीआई ने 52 साल के परशुराम, 48 साल के प्यारेलाल व 27 साल के हेतराज को होशियार सिंह को आत्महत्या के लिए उकसाने से जुड़ी आइपीसी की धारा 306 के तहत गिरफ्तार किया था. होशियार सिंह के सुसाइड नोट में घनश्याम, हेतराम, अनिल कुमार, लोभ सिंह, तेज सिंह, गिरधारी लाल के नाम शामिल थे. इन्हें करसोग पुलिस ने शव मिलने के बाद गिरफ्तार किया था. फिलहाल मुख्य आरोपी तेजराम वर्मा के खिलाफ आरोप तय हो गए हैं.

ये भी पढ़ें- MANDI: जेएनवी पंडोह के 34 बच्चे कोरोना संक्रमित, स्कूल को बनाया माइक्रो कंटेनमेंट जोन

शिमला: हिमाचल को दहला देने वाले फॉरेस्ट गार्ड होशियार सिंह की मौत के मामले में (Forest Guard Hoshiyar death case) आरोप तय हो गए हैं. शिमला स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में न्यायमूर्ति परवीन चौहान ने वन विभाग के तत्कालीन डिप्टी रेंजर तेजराम वर्मा के खिलाफ आरोप तय कर दिए हैं. अदालत ने कहा कि सभी दस्तावेजों के अवलोकन से ये स्पष्ट है कि आरोपी ने वन रक्षक होशियार सिंह को आत्महत्या के लिए मजबूर किया.

अदालत ने कहा कि तत्कालीन उच्च अधिकारी ने गैर कानूनी काम करने के लिए बाध्य किया और जब उसने अवैध रूप से वन कटान को रिपोर्ट किया तो वन रक्षक की मदद के बजाय उसे धमकाया गया. ऐसे में होशियार सिंह को प्रताड़ित कर आत्महत्या के लिए मजबूर किया गया. अदालत ने सारे दस्तावेजों के आधार पर आरोप तय किए हैं.

उल्लेखनीय है कि मंडी की कतांडा बीट में अवैध कटान के मामले में वन रक्षक होशियार सिंह की मौत हुई थी. जनता का कहना था कि होशियार सिंह की हत्या की गई, लेकिन बाद में जांच में पाया गया कि उसने सुसाइड (forest guard Hoshiyar suicide) किया है. होशियार सिंह ने अपनी डायरी में सारा घटनाक्रम लिखा था कि कैसे अवैध कटान हो रहा है और उच्च अधिकारी कोई एक्शन नहीं ले रहे हैं.

होशियार सिंह डेथ मामला (Forest Guard Hoshiyar death case) जून 2017 का है. उस समय हिमाचल प्रदेश में वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली सरकार सत्तासीन थी. इस घटनाक्रम ने सारे हिमाचल को दहला दिया था. बेहद गरीब परिवार से संबंध रखने वाला वन रक्षक होशियार सिंह (Forest Guard Hoshiyar Singh) अपनी बूढ़ी दादी का इकलौता सहारा था. अवैध कटान के खिलाफ दीवार बनकर खड़े हुइ ईमानदार वन रक्षक होशियार सिंह का शव 9 जून 2017 को मंडी की सेरी कतांडा बीट के जंगल में पेड़ पर उल्टा लटका मिला था. स्थानीय लोगों व परिवार के सदस्यों का आरोप था कि होशियार सिंह की हत्या वन माफिया ने की है. मंडी में होशियार सिंह की मौत के बाद दोषियों को सजा दिलाने व वन रक्षक को न्याय दिलाने के लिए प्रदर्शन हुए.

तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार की भी इस केस में किरकिरी हुई थी. पुलिस व सीआईडी की जांच (Police and CID investigation in Hoshiyar death case) भी किसी काम नहीं आई थी. बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने तीन लोगों की आधिकारिक तौर पर गिरफ्तार किया. अक्टूबर 2017 में हाईकोर्ट केआदेश के बाद मामला सीबीआई के हाथ दिया गया. सीबीआई की 22 सदस्यीय टीम ने इस मामले में जांच शुरू की थी.

सीबीआई ने 52 साल के परशुराम, 48 साल के प्यारेलाल व 27 साल के हेतराज को होशियार सिंह को आत्महत्या के लिए उकसाने से जुड़ी आइपीसी की धारा 306 के तहत गिरफ्तार किया था. होशियार सिंह के सुसाइड नोट में घनश्याम, हेतराम, अनिल कुमार, लोभ सिंह, तेज सिंह, गिरधारी लाल के नाम शामिल थे. इन्हें करसोग पुलिस ने शव मिलने के बाद गिरफ्तार किया था. फिलहाल मुख्य आरोपी तेजराम वर्मा के खिलाफ आरोप तय हो गए हैं.

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