शिमला: हिमाचल प्रदेश ड्रोन नीति तैयार (Drone Policy in Himachal) करने वाला देश का (Himachal cabinet meeting decisions) पहला राज्य है. इस नीति में ड्रोन के उपयोग सेे शासन एवं सुधार (गरूड़) के आधार पर एक समग्र ड्रोन ईको सिस्टम तैयार करने की परिकल्पना की गई है. इसके माध्यम से सुदृढ़ आधारभूत संरचना, अनुसंधान एवं विकास, ड्रोन विनिर्माताओं और सेवा प्रदाताओं की बाजार तक पहुंच सुनिश्चित होगी. कैबिनेट मंत्री रामलाल मारकंडा ने कहा कि यह नीति पहाड़ी प्रदेश के दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों के लोगों के लिए लाभकारी सिद्ध होगी. मारकंडा ने कहा कि इससे युवाओं को रोजगार के द्वार खुलेंगे. शाहपुर आईटीआई से प्रशिक्षित युवाओं को ड्रोन लाइसेंस दिया गया है. इसके अलावा प्रदेश में ड्रोन पार्क बनाने को लेकर भी कैबिनेट में चर्चा हुई है.
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि यह नीति मुख्य रूप से ड्रोन (Markanda on drone policy in Himachal) और ड्रोन-सक्षम प्रौद्योगिकी के निर्माण तथा लाइसेंस प्राप्त मानव शक्ति के पर केन्द्रित है और इसके लिए ड्रोन फ्लांइग प्रशिक्षण स्कूल स्थापित कर विभिन्न ड्रोन सम्बन्धित पाठयक्रमों के माध्यम से उनका कौशल विकास किया जाएगा. राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 और राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क के माध्यम से भारत सरकार द्वारा भी इन्हें अन्तिम रूप दिया जा रहा है ताकि विद्यार्थियों को भविष्य के लिए तैयार किया जा सके. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क से जोड़कर युवाओं को ड्रोन क्षेत्र से सम्बन्धित रोजगार के अवसरों का उपयोग करने के लिए सशक्त किया जाएगा.
मारकंडा ने कहा कि औद्योगिक (himachal pradesh drone policy) निवेश नीति, स्टार्टअप योजना तथा आईटी, आईटीईएस और ईएसडीएम नीति-2019 का भी इस ड्रोन नीति से लाभ होगा. यह नीति ड्रोन के डिजाइन, निर्माण और सेवा आधारित उद्योगों की स्थापना में सहायक सिद्ध होगी. इसके अतिरिक्त, ड्रोन के उपयोग तथा ड्रोन सम्बन्धित तकनीक के उपयोग और राज्य में रोजगार के अवसर पैदा करने तथा प्रदेश में निवेश को भी प्रोत्साहित करेगी.