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शिमला समझौते से अधिक बेनजीर पर रहा मीडिया का फोकस, भारत में पाक का राजदूत बनाने की मिली सलाह

आज ही के दिन 2 जुलाई 1972 की रात को भारत और पाकिस्तान के बीच (shimla agreement 1972) एक ऐतिहासिक समझौता हुआ था. जिसे शिमला समझौता के नाम से जानते हैं. इस दौरान पाकिस्तान से शिमला पहुंची तत्कालीन पाक पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो की बेटी बेनजीर भुट्टो भी खूब चर्चा में रहीं. शिमला में जहां भी बेनजीर (Benazir Bhutto Shimla tour) जाती थीं, उनके पीछे मीडिया लग जाता था. बेनजीर उस वक्त इस तरह से सुर्खियों में थी कि किसी ने उन्हें भारत में पाकिस्तान का राजदूत बनाने की सलाह तक दे डाली.

Shimla Agreement between India and Pakistan.
भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला समझौता.
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Published : Jul 2, 2022, 5:41 PM IST

शिमला: भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला समझौते (Shimla Agreement between India and Pakistan) में किस देश को क्या मिला, इसे लेकर पांच दशक से हानि-लाभ का गुणा-भाग हो रहा है. कूटनीति और समझौते के मसौदे पर असंख्य टिप्पणियां हो चुकी हैं, लेकिन इस दौरान पाकिस्तान के पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो के साथ शिमला आईं उनकी बेटी बेनजीर भुट्टो भी खूब सुर्खियों में रहीं. बेनजीर भुट्टो अपने पिता के साथ जब शिमला पहुंचीं तो देश और विदेश का मीडिया उनके पीछे लग गया.

बेनजीर भुट्टो की ड्रेस, उनकी लुक और स्टाइल पर खबरें बनीं. और तो और किसी ने ये सलाह दे डाली कि जुल्फिकार अली भुट्टो को बेनजीर को भारत में पाकिस्तान का राजदूत (Ambassador of Pakistan in India) बना देना चाहिए. बेनजीर शिमला में जहां भी जातीं, मीडिया उनके पीछे लग जाता. खुद बेनजीर ने अपनी शिमला यात्रा का जिक्र अपनी किताब डॉटर ऑफ इस्ट में किया है. बेनजीर ने अपनी किताब में सात पन्नों में शिमला समझौते और अपने अनुभवों के बारे में लिखा है. उनमें से कुछ बातें उस दौरान मीडिया रिपोर्ट में भी आई हैं. यहां पांच दशक पहले की उन यादों को जानना दिलचस्प होगा.

Shimla Agreement between India and Pakistan.
भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला समझौता.

पिता ने कहा, शिमला पहुंचकर बहुत हंसना नहीं और न ही उदास दिखना: बेनजीर भुट्टो जब पाकिस्तान से भारत के लिए रवाना होने वाली थीं तो उनके पिता ने सलाह दी. वहां पहुंचकर ज्यादा हंसना मत, नहीं तो लोग कहेंगे कि पाकिस्तान के फौजी कैद में हैं और तुम हंस रही हो. ये भी सलाह दी कि अधिक उदास भी मत दिखना, ताकि लोग ये न समझें कि पाकिस्तान का मनोबल गिरा हुआ है. बेनजीर तब हैरान रह गईं और पिता से ही पूछा कि तब मुझे कैसे दिखना है?

बेनजीर ने कहा अस्सलाम अलैकुम, इंदिरा ने दिया नमस्ते से जवाब: बेनजीर अपने पिता के साथ चंडीगढ़ से शिमला हेलीकॉप्टर (Benazir Bhutto Shimla tour) के जरिए आईं. यहां अनाडेल में उनका हेलीकॉप्टर उतरा. बेनजीर भुट्टो लिखती हैं कि, 'इंदिरा जी ने साड़ी पहनी थी और ऊपर से बरसाती यानी रेनकोट. बेनजीर ने अस्सलाम अलैकुम कहा तो प्रत्युत्तर में इंदिरा जी ने नमस्ते से अभिवादन किया.'

भुट्टो ने कहा, तुम मुसोलिनी जैसी दिखती हो: शिमला में बेनजीर भुट्टो जहां भी जातीं, मीडिया उनके पीछे लग जाता. उन्हें इंदिरा गांधी के आदेश पर शॉपिंग करने के लिए इंतजाम किए गए. बेनजीर ने एक बार शिमला में भीड़ के सामने अभिवादन के लिए हाथ हिलाया तो पिता ने इस पर नाराजगी जताई थी. उन्होंने अखबार में छपी फोटो दिखाई और कहा कि तुम मुसोलिनी जैसी दिखती हो. बेनजीर ने लिखा है कि लोग उनके कपड़ों, स्टाइल और फैशन के बारे में बातें करते थे. एक सलाह ये भी आई कि बेनजीर को भारत में पाकिस्तान का राजदूत बना दिया जाए। मीडिया में उनका एक इंटरव्यू आया तो भी फैशन पर अधिक बात हुई.

जब पिता ने कहा घर चलो, बिना समझौते के ही: दो जुलाई का दिन था. जुल्फिकार अली भुट्टो बेनजीर के पास आए और बोले-चलो, हम कल घर जा रहे हैं. बेनजीर भौंचक्की होकर पूछने लगीं, बिना समझौते के? इस पर पिता ने कहा- हां बिना समझौते के. जुल्फिकार बोले, मैं हिंदोस्तान को लादा हुआ फैसला मानने की बजाय बिना समझौते के पाकिस्तान लौटना पसंद करूंगा. फिर देर शाम जुल्फिकार अली भुट्टो बेनजीर के कमरे में आए और बोले कि मैं एक और शिष्ट कोशिश कर रहा हूं. इंदिरा गांधी भी उस दिन तनाव में थीं.

रात 12.40 बजे गूंजी आवाज- लड़का हो गया लड़का: 2 जुलाई दिन के समय समझौते के आसार नहीं दिख रहे थे. तब मीडिया वाले भी अपने-अपने ठिकाने चले गए थे. अचानक रात को हलचल हुई कि समझौता हो रहा है. मीडिया फिर से मौजूदा राजभवन बार्न्स कोर्ट की इमारत में जुड़ने लगा. घंटों तक समझौते का मसौदा बनता रहा और बार्न्स कोर्ट में दस्तावेज इंदिरा व जुल्फिकार अली को दिखाए जाते रहे. बेनजीर भी बेचैन हो रही थीं. तभी एक पाकिस्तानी पत्रकार ने तरकीब निकाली कि यदि समझौता हो जाता है तो हम ये कहेंगे कि लड़का हुआ है और अगर समझौता न हुआ तो कहेंगे कि लड़की हुई है.

समझौता के वक्त कमरे में नहीं थीं बेनजीर: जुल्फिकार अली भुट्टो ने बेनजीर से कहा था कि जब समझौता (shimla agreement 1972) हो तो तुम भी उसी कमरे में रहना. ये एक ऐतिहासिक पल होगा, लेकिन जब समझौता हुआ तो बेनजीर राजभवन के ऊपरी कक्ष में थीं. तभी नीचे लड़का है, लड़का है का स्वर गूंजने लगा. इससे पता चल गया कि समझौता हो गया है. ये रात 12 बजकर चालीस मिनट की बात है. उल्लेखनीय है कि जिस टेबल पर समझौता हुआ, वो अभी भी राजभवन में है. उस टेबुल पर कपड़ा भी नहीं था. यहां तक कि समझौते पर हस्ताक्षर के लिए इंदिरा गांधी को पेन भी एक मीडिया कर्मी ने दिया था. युद्ध के मैदान पर भारत ने पाकिस्तान को चारों खाने चित्त किया था, लेकिन समझौते के टेबल पर पाकिस्तान भारी पड़ा. न केवल 5000 वर्ग मील जमीन पाकिस्तान वापस ले गया, बल्कि भारत ने 93 हजार दुश्मन फौजियों को पालने के बाद उन्हें छोड़ भी दिया.

ये भी पढ़ें: शिमला समझौता: जब युद्ध के बाद भारत के सामने समझौते की मेज पर भी झुका था पाकिस्तान

शिमला: भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला समझौते (Shimla Agreement between India and Pakistan) में किस देश को क्या मिला, इसे लेकर पांच दशक से हानि-लाभ का गुणा-भाग हो रहा है. कूटनीति और समझौते के मसौदे पर असंख्य टिप्पणियां हो चुकी हैं, लेकिन इस दौरान पाकिस्तान के पीएम जुल्फिकार अली भुट्टो के साथ शिमला आईं उनकी बेटी बेनजीर भुट्टो भी खूब सुर्खियों में रहीं. बेनजीर भुट्टो अपने पिता के साथ जब शिमला पहुंचीं तो देश और विदेश का मीडिया उनके पीछे लग गया.

बेनजीर भुट्टो की ड्रेस, उनकी लुक और स्टाइल पर खबरें बनीं. और तो और किसी ने ये सलाह दे डाली कि जुल्फिकार अली भुट्टो को बेनजीर को भारत में पाकिस्तान का राजदूत (Ambassador of Pakistan in India) बना देना चाहिए. बेनजीर शिमला में जहां भी जातीं, मीडिया उनके पीछे लग जाता. खुद बेनजीर ने अपनी शिमला यात्रा का जिक्र अपनी किताब डॉटर ऑफ इस्ट में किया है. बेनजीर ने अपनी किताब में सात पन्नों में शिमला समझौते और अपने अनुभवों के बारे में लिखा है. उनमें से कुछ बातें उस दौरान मीडिया रिपोर्ट में भी आई हैं. यहां पांच दशक पहले की उन यादों को जानना दिलचस्प होगा.

Shimla Agreement between India and Pakistan.
भारत और पाकिस्तान के बीच शिमला समझौता.

पिता ने कहा, शिमला पहुंचकर बहुत हंसना नहीं और न ही उदास दिखना: बेनजीर भुट्टो जब पाकिस्तान से भारत के लिए रवाना होने वाली थीं तो उनके पिता ने सलाह दी. वहां पहुंचकर ज्यादा हंसना मत, नहीं तो लोग कहेंगे कि पाकिस्तान के फौजी कैद में हैं और तुम हंस रही हो. ये भी सलाह दी कि अधिक उदास भी मत दिखना, ताकि लोग ये न समझें कि पाकिस्तान का मनोबल गिरा हुआ है. बेनजीर तब हैरान रह गईं और पिता से ही पूछा कि तब मुझे कैसे दिखना है?

बेनजीर ने कहा अस्सलाम अलैकुम, इंदिरा ने दिया नमस्ते से जवाब: बेनजीर अपने पिता के साथ चंडीगढ़ से शिमला हेलीकॉप्टर (Benazir Bhutto Shimla tour) के जरिए आईं. यहां अनाडेल में उनका हेलीकॉप्टर उतरा. बेनजीर भुट्टो लिखती हैं कि, 'इंदिरा जी ने साड़ी पहनी थी और ऊपर से बरसाती यानी रेनकोट. बेनजीर ने अस्सलाम अलैकुम कहा तो प्रत्युत्तर में इंदिरा जी ने नमस्ते से अभिवादन किया.'

भुट्टो ने कहा, तुम मुसोलिनी जैसी दिखती हो: शिमला में बेनजीर भुट्टो जहां भी जातीं, मीडिया उनके पीछे लग जाता. उन्हें इंदिरा गांधी के आदेश पर शॉपिंग करने के लिए इंतजाम किए गए. बेनजीर ने एक बार शिमला में भीड़ के सामने अभिवादन के लिए हाथ हिलाया तो पिता ने इस पर नाराजगी जताई थी. उन्होंने अखबार में छपी फोटो दिखाई और कहा कि तुम मुसोलिनी जैसी दिखती हो. बेनजीर ने लिखा है कि लोग उनके कपड़ों, स्टाइल और फैशन के बारे में बातें करते थे. एक सलाह ये भी आई कि बेनजीर को भारत में पाकिस्तान का राजदूत बना दिया जाए। मीडिया में उनका एक इंटरव्यू आया तो भी फैशन पर अधिक बात हुई.

जब पिता ने कहा घर चलो, बिना समझौते के ही: दो जुलाई का दिन था. जुल्फिकार अली भुट्टो बेनजीर के पास आए और बोले-चलो, हम कल घर जा रहे हैं. बेनजीर भौंचक्की होकर पूछने लगीं, बिना समझौते के? इस पर पिता ने कहा- हां बिना समझौते के. जुल्फिकार बोले, मैं हिंदोस्तान को लादा हुआ फैसला मानने की बजाय बिना समझौते के पाकिस्तान लौटना पसंद करूंगा. फिर देर शाम जुल्फिकार अली भुट्टो बेनजीर के कमरे में आए और बोले कि मैं एक और शिष्ट कोशिश कर रहा हूं. इंदिरा गांधी भी उस दिन तनाव में थीं.

रात 12.40 बजे गूंजी आवाज- लड़का हो गया लड़का: 2 जुलाई दिन के समय समझौते के आसार नहीं दिख रहे थे. तब मीडिया वाले भी अपने-अपने ठिकाने चले गए थे. अचानक रात को हलचल हुई कि समझौता हो रहा है. मीडिया फिर से मौजूदा राजभवन बार्न्स कोर्ट की इमारत में जुड़ने लगा. घंटों तक समझौते का मसौदा बनता रहा और बार्न्स कोर्ट में दस्तावेज इंदिरा व जुल्फिकार अली को दिखाए जाते रहे. बेनजीर भी बेचैन हो रही थीं. तभी एक पाकिस्तानी पत्रकार ने तरकीब निकाली कि यदि समझौता हो जाता है तो हम ये कहेंगे कि लड़का हुआ है और अगर समझौता न हुआ तो कहेंगे कि लड़की हुई है.

समझौता के वक्त कमरे में नहीं थीं बेनजीर: जुल्फिकार अली भुट्टो ने बेनजीर से कहा था कि जब समझौता (shimla agreement 1972) हो तो तुम भी उसी कमरे में रहना. ये एक ऐतिहासिक पल होगा, लेकिन जब समझौता हुआ तो बेनजीर राजभवन के ऊपरी कक्ष में थीं. तभी नीचे लड़का है, लड़का है का स्वर गूंजने लगा. इससे पता चल गया कि समझौता हो गया है. ये रात 12 बजकर चालीस मिनट की बात है. उल्लेखनीय है कि जिस टेबल पर समझौता हुआ, वो अभी भी राजभवन में है. उस टेबुल पर कपड़ा भी नहीं था. यहां तक कि समझौते पर हस्ताक्षर के लिए इंदिरा गांधी को पेन भी एक मीडिया कर्मी ने दिया था. युद्ध के मैदान पर भारत ने पाकिस्तान को चारों खाने चित्त किया था, लेकिन समझौते के टेबल पर पाकिस्तान भारी पड़ा. न केवल 5000 वर्ग मील जमीन पाकिस्तान वापस ले गया, बल्कि भारत ने 93 हजार दुश्मन फौजियों को पालने के बाद उन्हें छोड़ भी दिया.

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