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छात्रवृत्ति घोटाला: चेक से मिलती थी बैंक अफसरों को रिश्वत

प्रदेश में 2013-14 से 2016-17 के बीच हुए छात्रवृत्ति घोटाले के राज अब धीरे-धीरे सामने आने लगे है. सीबीआई की जांच में सामने आया है कि घोटाले में रकम ट्रांसफर के बदले में बैंक अफसरों को भी चेक से रिश्वत दी जाती थी. मामला सामने आने के बाद छात्रवृत्ति घोटाले में शामिल रहे लोगों में हड़कंप मच गया है.

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Published : May 31, 2021, 10:41 AM IST

Scholarship scam
छात्रवृति घोटाला

शिमला: ढाई सौ करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले में रकम ट्रांसफर के बदले में बैंक अफसरों को भी चेक से रिश्वत दी जाती थी. सीबीआई की जांच के दौरान यह सामने आया. जांच में पता चला कि इलाहाबाद बैंक (अब इंडियन बैंक) में तत्कालीन बैंक मैनेजर को फर्जी संस्थानों की निदेशकों ने करीब डेढ़ लाख रुपये की घूस चेक के माध्यम से दी थी.

बैंक मैनेजर ने की निदेशकों की मदद

बैंक मैनेजर सोलन, हमीरपुर, पंचकुला और चंडीगढ़ में जहां भी रहा, छात्रवृत्ति घोटाले को अंजाम देने के लिए संस्थान के निदेशकों की मदद की. बड़ी संख्या में फर्जी खाते खोलकर उनसे करोड़ों की रकम कंपनी के एएसए मार्केटिंग सॉल्यूशन के नाम पर चले बैंक खाते में ट्रांसफर कराई. मामले में नाइलेट के नाम पर चल रहे फर्जी संस्थानों के निदेशकों ने बैंक के अफसरों के साथ मिलकर 29.80 करोड़ की रकम हड़पी.

हजारों बच्चों की छात्रवृत्ति डकारी

सीबीआई जांच में सामने आया है की जिन संस्थानों को कोर्स करवाने की पात्रता नहीं थी, शिक्षा विभाग के अफसरों और कर्मचारियों की मिली भगत से ऐसे संस्थानों ने हजारों बच्चों की छात्रवृत्ति डकार ली. सीबीआई ने जब इस मामले में संबंधित विद्यार्थियों के बयान दर्ज किए तो पता चला कि सैकड़ों ऐसे छात्रों के नाम पर अनुसूचित जनजाति (एसटी) के बच्चों को मिलने वाली छात्रवृत्ति हड़प ली, जो अनुसूचित जाति (एससी) से संबंध रखते थे.अदालत में चार्जशीट दाखिल करते हुए सीबीआई ने फर्जी संस्थान चलाने वाले निदेशकों समेत 11 लोगों को आरोपी बनाया है.

ये भी पढ़ें: पांवटा साहिब में पार्सल बैग में मिला गांजा, तीन को पुलिस ने किया गिरफ्तार

शिमला: ढाई सौ करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले में रकम ट्रांसफर के बदले में बैंक अफसरों को भी चेक से रिश्वत दी जाती थी. सीबीआई की जांच के दौरान यह सामने आया. जांच में पता चला कि इलाहाबाद बैंक (अब इंडियन बैंक) में तत्कालीन बैंक मैनेजर को फर्जी संस्थानों की निदेशकों ने करीब डेढ़ लाख रुपये की घूस चेक के माध्यम से दी थी.

बैंक मैनेजर ने की निदेशकों की मदद

बैंक मैनेजर सोलन, हमीरपुर, पंचकुला और चंडीगढ़ में जहां भी रहा, छात्रवृत्ति घोटाले को अंजाम देने के लिए संस्थान के निदेशकों की मदद की. बड़ी संख्या में फर्जी खाते खोलकर उनसे करोड़ों की रकम कंपनी के एएसए मार्केटिंग सॉल्यूशन के नाम पर चले बैंक खाते में ट्रांसफर कराई. मामले में नाइलेट के नाम पर चल रहे फर्जी संस्थानों के निदेशकों ने बैंक के अफसरों के साथ मिलकर 29.80 करोड़ की रकम हड़पी.

हजारों बच्चों की छात्रवृत्ति डकारी

सीबीआई जांच में सामने आया है की जिन संस्थानों को कोर्स करवाने की पात्रता नहीं थी, शिक्षा विभाग के अफसरों और कर्मचारियों की मिली भगत से ऐसे संस्थानों ने हजारों बच्चों की छात्रवृत्ति डकार ली. सीबीआई ने जब इस मामले में संबंधित विद्यार्थियों के बयान दर्ज किए तो पता चला कि सैकड़ों ऐसे छात्रों के नाम पर अनुसूचित जनजाति (एसटी) के बच्चों को मिलने वाली छात्रवृत्ति हड़प ली, जो अनुसूचित जाति (एससी) से संबंध रखते थे.अदालत में चार्जशीट दाखिल करते हुए सीबीआई ने फर्जी संस्थान चलाने वाले निदेशकों समेत 11 लोगों को आरोपी बनाया है.

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