शिमला: तेजी से घटते भू-जलस्तर की समस्या और भविष्य में भयावह होने वाली स्थिति से निपटने के लिए जयराम सरकार ने पहले ही तैयारी कर ली है. इसके चलते प्रदेश में अब और अधिक हैंडपंप नहीं लगेंगे और ना ही प्रदेश सरकार हैंडपंप लगाने को कोई सहायता करेगी. इसके अलावा जमीन से पानी निकालने वाले किसी भी प्रोजेक्ट में सरकार सहायता नहीं करेगी. इस मामले पर केंद्र सरकार का रुख भी हिमाचल सरकार की तरह ही है.
हिमाचल प्रदेश में हैंडपंपों की वर्तमान स्थिति को जानने के लिए आईपीएच मंत्री ने आदेश भी जारी कर दिए हैं. आईपीएच मंत्री महेंद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश में वर्तमान समय में 40 हजार हैंडपंप हैं, कितने सही तरीके से चल रहे हैं और कितने हैंडपंप खराब है. इनमें पानी की स्थिति क्या है इसको लेकर अधिकारियों को आदेश दे दिए हैं.
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अधिकारी ग्राउंड लेवल पर जाकर हैंडपंपो की स्थिति की रिपोर्ट प्रदेश सरकार को देंगे. साथ ही अधिकारियों को चेतावनी भी दे दी गई है कि सभी अधिकारी ग्राउंड लेवल पर जाकर ही रिपोर्ट दें, क्योंकि अगर किसी अधिकारी की रिपोर्ट गलत पाई गई तो उसपर सख्त कार्रवाई होगी.
महेंद्र सिंह ने कहा कि हैंडपंप लगाने से जहां भू-जलस्तर में लगातार गिरावट हो रही है, वहीं लोगों की बीमारियां भी लग रही हैं. अत्याधिक मात्रा में हैंडपंप का पानी पीने से लोगों बीमार पड़ रहे हैं.
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वर्षा जल संग्रहण से करेंगे कमी को पूरा
सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि हैंडपंपों की कमी को हम वर्षा जल संग्रहण से पूरा करेंगे. उन्होने कहा कि हालांकि इसके लिए सरकार को अधिक धन खर्च करना पड़ेगा लेकिन फिर भी सरकार वर्षा जल संग्रहण में लोगों की पूरा सहायता करेगी. इसके अलावा प्रदेश सरकार वर्षा जल संग्रहण कर उस पानी को सिंचाई के लिए प्रयोग करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करेगी.
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महेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जलवायु परिवर्तन और भू-जलस्तर को लेकर काफी चिंतित हैं. ऐसे में हिमाचल सरकार भी इन विषयों पर गंभीरता से काम कर रही है. प्रदेश सरकार ने भविष्य को देखते हुए निर्णय लिया है कि ग्राउंड वाटर को जितना हो सके बचाने की कोशिश करेंगे.