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हमारे लिए 19 जनवरी 1990 की रात अभी पूरी नहीं हुई: अग्निशेखर

शिमला में आयोजित किए जा रहे साहित्यिक सम्मेलन में भाग लेने (Author Agnishekhar in Shimla) पहुंचे कवि-लेखक और पनुन कश्मीर आंदोलन के प्रमुख चेहरे अग्निशेखर ने ईटीवी भारत से बातचीत की. कश्मीर में आर्टिकल-370 हटने के बाद की परिस्थितियों और कश्मीर समस्या के विभिन्न पहलुओं पर अग्निशेखर ने बेबाकी से बातें कहीं. क्या कहा उन्होंने जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

Author Agnishekhar on Kashmiri Pandits
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Published : Jun 16, 2022, 8:18 PM IST

Updated : Jun 16, 2022, 9:59 PM IST

शिमला: आजादी के अमृत महोत्सव पर केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की तरफ से शिमला में आयोजित किए जा रहे साहित्यिक सम्मेलन में (INTERNATIONAL LITERATURE FESTIVAL IN SHIMLA) भाग लेने पहुंचे कवि-लेखक और पनुन कश्मीर आंदोलन के प्रमुख चेहरे अग्निशेखर ने ईटीवी (Author Agnishekhar in Shimla) से बातचीत की. कश्मीर में आर्टिकल-370 हटने के बाद की परिस्थितियों और कश्मीर समस्या के विभिन्न पहलुओं पर अग्निशेखर ने बेबाकी से बातें कहीं. उनकी बातों में निर्वासन की पीड़ा थी. अग्निशेखर ने कहा कि कश्मीरी पंडितों के लिए 19 जनवरी 1990 की रात अभी पूरी नहीं हुई है.

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में आजादी के बाद से (Author Agnishekhar on Kashmiri Pandits) अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि आर्टिकल-370 हटना है, लेकिन इससे आगे की बात अभी नहीं हुई है. वर्तमान सरकार ने ये असंभव से लगने वाले काम किए, जिसकी सराहना सभी ने खुलकर की. उन्होंने कहा कि जिस मकसद से अनुच्छेद-370 निरस्त किया गया, वो मकसद साफ-साफ जनता को नहीं बताए जाते. इस कदम को विकास के साथ, सड़कों के साथ व नौकरियों के साथ जोड़ा जाता है, जबकि ऐसा नहीं था. उन्होंने बड़ा आरोप लगाया कि आर्टिकल-370 की आड़ में एक मुस्लिम बहुल राज्य ही नहीं, एक इस्लामिक स्टेट का निर्माण किया था. इसे हिंदुस्तान की धरती पर एक पाकिस्तान के निर्माण के तौर पर देखा जा सकता है, इसलिए आर्टिकल-370 का हटना जरूरी था.

कश्मीर के मुद्दों पर लेखक अग्निशेखर से खास बातचीत

अग्निशेखर ने कहा कि इसके निरस्त होने के बाद जो कदम आगे और उठाए जाने चाहिए थे, वे नहीं उठे हैं. उदाहरण के लिए आर्टिकल-370 का हटना, जेएंडके का पुनर्गठन, धारा-35-ए का निरस्त होना अच्छा है, लेकिन उसके बाद विराम क्यों? आगे के कदम न उठाए जाने से ही ऐसी परिस्थितियां पैदा हुई जिन्हें आज देखा जा रहा है. अग्निशेखर ने स्पष्ट कहा कि केंद्र सरकार को अपनी कश्मीर नीति व कश्मीरी पंडितों की वापिसी की को लेकर पुनर्विचार करना चाहिए. कश्मीर में 4 अगस्त 2019 को जो मेरी यानी कश्मीरी पंडितों की स्थिति थी, वो 5 अगस्त 2019 को 370 हटने के बाद भी मेरी स्थिति वैसी ही है. ये बदलनी चाहिए थी, लेकिन नहीं बदली. मैं आज भी वहीं विस्थापित हूं, आज भी जम्मू में हूं और आज भी शरणार्थी हूं.

अग्निशेखर ने कहा कि उनके जैसे लाखों लोगों के लिए आज भी कुछ (Author Agnishekhar on Kashmir problems) बदला नहीं है. ये सही है कि 370 हटने से एक आशा की किरण नजर आई थी. कश्मीरी पंडितों को पहाड़ के उस पार अपनी मातृभूमि दिखने लगी थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है और ऐसा प्रतीत हो रहा है कि केंद्र सरकार से चूक हुई है. कश्मीर में प्रशासन का जो संरचनात्मक ढांचा है, वो आज भी वैसा ही है. वही अफसर, वही टेबल और वही रूटीन का सिलसिला है. जब तक आमूल-चूल परिवर्तन नहीं होता और केंद्र सरकार अपनी नीति पर अडिग नहीं होती, तब तक कुछ परिणाम दिखना संभव नहीं लग रहा. पांच लाख से अधिक पंडित कश्मीर से बाहर हैं. पुनर्वास को नौकरियों के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए, ये दोनों अलग पहलू हैं.

उन्होंने कहा कि कश्मीर में गैर कश्मीरियों की आईडी देखकर लक्षित हिंसा की गई है. हाल ही में कश्मीर में कई गैर कश्मीरी मौत का शिकार हुए हैं. उन्होंने कहा कि समस्या को मूल नाम से नहीं पुकारा जा रहा है. ये एक तरह से जिहाद है, जिसका मकसद भारत का विखंडन है और हम इसके शिकार हैं. कश्मीर में नरसंहार हुआ है, ये सच्चाई है. कश्मीर से सात लाख हिंदुओं को बाहर किया गया है. एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि कश्मीरी हिंदुओं का वर्तमान 32 साल से अभी भी वर्तमान ही बना हुआ है. उन्होंने कहा कि कश्मीरी हिंदुओं के लिए अभी भी 1990 की रात पूरी नहीं हुई है. अग्निशेखर ने कहा कि चिंता ये है कि जो उनका वर्तमान है, वो देश का वर्तमान न बने.

उन्होंने कहा कि कश्मीर में विचारधारा की लड़ाई है, जिसे अभी भी कई लोग स्वीकार नहीं कर रहे हैं. आंकड़ों से ये बताया जाता है कि इतने आतंकी मारे गए. आतंकी तो पिछले तीन दशक से मारे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि उक्त विचारधारा पर चोट करनी होगी, इसके इको सिस्टम पर चोट होनी चाहिए. एक आतंकी केवल एक इकाई नहीं होता, उसके इर्द-गिर्द इकोसिस्टम होता है. इनके पीछे जो पूरा तंत्र होता है, उसे ध्वस्त करना होगा. अगर ऐसा नहीं होगा तो एक आतंकी की मौत होगी तो कई और पैदा होंगे. अग्निशेखर ने कहा कि कश्मीर के भीतर एक यूटी बनाई जाए, जैसे यहां चंडीगढ़ है. अगर ऐसा होता हो तो कश्मीरी हिंदू खुद को सुरक्षित महसूस करेंगे.

उन्होंने कहा कि टूरिस्टों के जाने से ये नहीं कहा जा सकता कि वहां स्थिति सामान्य हो गई. आतंकी सैलानियों के साथ छेड़छाड़ नहीं करते. सैलानी हफ्ता-दस दिन ठहरकर चले जाते हैं. उन्होंने कहा कि समस्या के मूल को (Author Agnishekhar on Kashmir problems) पहचानना चाहिए. एक अन्य सवाल के जवाब में अग्निशेखर ने कहा कि निकट भविष्य में यदि दूसरी सरकार आती है तो अनुच्छेद 370 को फिर से नहीं ला सकते. अलबत्ता वर्तमान सरकार से ही भविष्य की आशा है. अन्य सरकारों के आने से कश्मीर का बेड़ा ही गर्क होगा. इसी सरकार से आशा है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान तो एक फैक्टर है ही, लेकिन भीतर के छिपे हुए तत्वों को भी पहचान कर उनसे निपटा जाना चाहिए. शत्रुबोध को लेकर कोई चूक नहीं होनी चाहिए.

पनुन कश्मीर को लेकर पूछे सवाल के जवाब में अग्निशेखर ने कहा कि मतभेद हर संगठन में होते हैं, लेकिन पनुन कश्मीर ने 32 साल पहले जो कहा, जो अंदेशे जताए थे, वही देखने को भी मिला. उन्होंने कहा कि पनुन कश्मीर ने यहां पुनर्गठन का सपना देखा था, कश्मीरी हिंदु तो अपने पुराने घरों में जा नहीं सकता, क्योंकि वो घर लूटे जा चुके हैं और बर्बाद हो गए हैं. अब उन्हें यानी कश्मीरी हिंदुओं को एक ही जगह बसाना चाहिए, जिससे वे खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें.

शिमला: आजादी के अमृत महोत्सव पर केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की तरफ से शिमला में आयोजित किए जा रहे साहित्यिक सम्मेलन में (INTERNATIONAL LITERATURE FESTIVAL IN SHIMLA) भाग लेने पहुंचे कवि-लेखक और पनुन कश्मीर आंदोलन के प्रमुख चेहरे अग्निशेखर ने ईटीवी (Author Agnishekhar in Shimla) से बातचीत की. कश्मीर में आर्टिकल-370 हटने के बाद की परिस्थितियों और कश्मीर समस्या के विभिन्न पहलुओं पर अग्निशेखर ने बेबाकी से बातें कहीं. उनकी बातों में निर्वासन की पीड़ा थी. अग्निशेखर ने कहा कि कश्मीरी पंडितों के लिए 19 जनवरी 1990 की रात अभी पूरी नहीं हुई है.

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में आजादी के बाद से (Author Agnishekhar on Kashmiri Pandits) अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि आर्टिकल-370 हटना है, लेकिन इससे आगे की बात अभी नहीं हुई है. वर्तमान सरकार ने ये असंभव से लगने वाले काम किए, जिसकी सराहना सभी ने खुलकर की. उन्होंने कहा कि जिस मकसद से अनुच्छेद-370 निरस्त किया गया, वो मकसद साफ-साफ जनता को नहीं बताए जाते. इस कदम को विकास के साथ, सड़कों के साथ व नौकरियों के साथ जोड़ा जाता है, जबकि ऐसा नहीं था. उन्होंने बड़ा आरोप लगाया कि आर्टिकल-370 की आड़ में एक मुस्लिम बहुल राज्य ही नहीं, एक इस्लामिक स्टेट का निर्माण किया था. इसे हिंदुस्तान की धरती पर एक पाकिस्तान के निर्माण के तौर पर देखा जा सकता है, इसलिए आर्टिकल-370 का हटना जरूरी था.

कश्मीर के मुद्दों पर लेखक अग्निशेखर से खास बातचीत

अग्निशेखर ने कहा कि इसके निरस्त होने के बाद जो कदम आगे और उठाए जाने चाहिए थे, वे नहीं उठे हैं. उदाहरण के लिए आर्टिकल-370 का हटना, जेएंडके का पुनर्गठन, धारा-35-ए का निरस्त होना अच्छा है, लेकिन उसके बाद विराम क्यों? आगे के कदम न उठाए जाने से ही ऐसी परिस्थितियां पैदा हुई जिन्हें आज देखा जा रहा है. अग्निशेखर ने स्पष्ट कहा कि केंद्र सरकार को अपनी कश्मीर नीति व कश्मीरी पंडितों की वापिसी की को लेकर पुनर्विचार करना चाहिए. कश्मीर में 4 अगस्त 2019 को जो मेरी यानी कश्मीरी पंडितों की स्थिति थी, वो 5 अगस्त 2019 को 370 हटने के बाद भी मेरी स्थिति वैसी ही है. ये बदलनी चाहिए थी, लेकिन नहीं बदली. मैं आज भी वहीं विस्थापित हूं, आज भी जम्मू में हूं और आज भी शरणार्थी हूं.

अग्निशेखर ने कहा कि उनके जैसे लाखों लोगों के लिए आज भी कुछ (Author Agnishekhar on Kashmir problems) बदला नहीं है. ये सही है कि 370 हटने से एक आशा की किरण नजर आई थी. कश्मीरी पंडितों को पहाड़ के उस पार अपनी मातृभूमि दिखने लगी थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है और ऐसा प्रतीत हो रहा है कि केंद्र सरकार से चूक हुई है. कश्मीर में प्रशासन का जो संरचनात्मक ढांचा है, वो आज भी वैसा ही है. वही अफसर, वही टेबल और वही रूटीन का सिलसिला है. जब तक आमूल-चूल परिवर्तन नहीं होता और केंद्र सरकार अपनी नीति पर अडिग नहीं होती, तब तक कुछ परिणाम दिखना संभव नहीं लग रहा. पांच लाख से अधिक पंडित कश्मीर से बाहर हैं. पुनर्वास को नौकरियों के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए, ये दोनों अलग पहलू हैं.

उन्होंने कहा कि कश्मीर में गैर कश्मीरियों की आईडी देखकर लक्षित हिंसा की गई है. हाल ही में कश्मीर में कई गैर कश्मीरी मौत का शिकार हुए हैं. उन्होंने कहा कि समस्या को मूल नाम से नहीं पुकारा जा रहा है. ये एक तरह से जिहाद है, जिसका मकसद भारत का विखंडन है और हम इसके शिकार हैं. कश्मीर में नरसंहार हुआ है, ये सच्चाई है. कश्मीर से सात लाख हिंदुओं को बाहर किया गया है. एक अन्य सवाल के जवाब में कहा कि कश्मीरी हिंदुओं का वर्तमान 32 साल से अभी भी वर्तमान ही बना हुआ है. उन्होंने कहा कि कश्मीरी हिंदुओं के लिए अभी भी 1990 की रात पूरी नहीं हुई है. अग्निशेखर ने कहा कि चिंता ये है कि जो उनका वर्तमान है, वो देश का वर्तमान न बने.

उन्होंने कहा कि कश्मीर में विचारधारा की लड़ाई है, जिसे अभी भी कई लोग स्वीकार नहीं कर रहे हैं. आंकड़ों से ये बताया जाता है कि इतने आतंकी मारे गए. आतंकी तो पिछले तीन दशक से मारे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि उक्त विचारधारा पर चोट करनी होगी, इसके इको सिस्टम पर चोट होनी चाहिए. एक आतंकी केवल एक इकाई नहीं होता, उसके इर्द-गिर्द इकोसिस्टम होता है. इनके पीछे जो पूरा तंत्र होता है, उसे ध्वस्त करना होगा. अगर ऐसा नहीं होगा तो एक आतंकी की मौत होगी तो कई और पैदा होंगे. अग्निशेखर ने कहा कि कश्मीर के भीतर एक यूटी बनाई जाए, जैसे यहां चंडीगढ़ है. अगर ऐसा होता हो तो कश्मीरी हिंदू खुद को सुरक्षित महसूस करेंगे.

उन्होंने कहा कि टूरिस्टों के जाने से ये नहीं कहा जा सकता कि वहां स्थिति सामान्य हो गई. आतंकी सैलानियों के साथ छेड़छाड़ नहीं करते. सैलानी हफ्ता-दस दिन ठहरकर चले जाते हैं. उन्होंने कहा कि समस्या के मूल को (Author Agnishekhar on Kashmir problems) पहचानना चाहिए. एक अन्य सवाल के जवाब में अग्निशेखर ने कहा कि निकट भविष्य में यदि दूसरी सरकार आती है तो अनुच्छेद 370 को फिर से नहीं ला सकते. अलबत्ता वर्तमान सरकार से ही भविष्य की आशा है. अन्य सरकारों के आने से कश्मीर का बेड़ा ही गर्क होगा. इसी सरकार से आशा है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान तो एक फैक्टर है ही, लेकिन भीतर के छिपे हुए तत्वों को भी पहचान कर उनसे निपटा जाना चाहिए. शत्रुबोध को लेकर कोई चूक नहीं होनी चाहिए.

पनुन कश्मीर को लेकर पूछे सवाल के जवाब में अग्निशेखर ने कहा कि मतभेद हर संगठन में होते हैं, लेकिन पनुन कश्मीर ने 32 साल पहले जो कहा, जो अंदेशे जताए थे, वही देखने को भी मिला. उन्होंने कहा कि पनुन कश्मीर ने यहां पुनर्गठन का सपना देखा था, कश्मीरी हिंदु तो अपने पुराने घरों में जा नहीं सकता, क्योंकि वो घर लूटे जा चुके हैं और बर्बाद हो गए हैं. अब उन्हें यानी कश्मीरी हिंदुओं को एक ही जगह बसाना चाहिए, जिससे वे खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें.

Last Updated : Jun 16, 2022, 9:59 PM IST
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