शिमला: हिमाचल में वीरभद्र सरकार के समय ग्यारह सौ करोड़ रुपए से अधिक का बागवानी मिशन प्रोजेक्ट शुरू हुआ था इस प्रोजेक्ट के तहत 4 साल पहले इटली की नर्सरी से (Apple Plants Imported From Italy) हिमाचल को सेब पौधे भेजे गए थे. विश्व बैंक की सहायता से संचालित हो रहे इस प्रोजेक्ट में इटली से घटिया प्लांट मेटीरियल था. सत्ता में आने के बाद जयराम सरकार ने घटिया प्लांट मैटेरियल की जांच के बाद कंसलटेंट को हटाया था. यह कार्रवाई 4 साल पहले की गई थी अब जयराम सरकार ने फैसला लिया है कि जिन बागवानों को उस समय सेब के पौधों की गई थी. अब उन्हें रिप्लेस कर नए पौधे दिए जाएंगे. हालांकि बागवानों को यह पौधे अगले सेब सीजन में उपलब्ध करवाए जाएंगे.
बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर के अनुसार सरकार ने बागवानों को खराब पौधों के बदले नए पौधे देने का फैसला किया है. इसके लिए बागवानों से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा उल्लेखनीय है कि नवंबर 2018 में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बागवानी मंत्री के साथ इटली से आए प्लांट मैटेरियल की जांच की थी. इटली से यह प्लांट मैटेरियल डॉ वाईएस परमार यूनिवर्सिटी आफ हॉर्टिकल्चर एंड फॉरेस्ट्री नौणी में लाई गई थी. शिकायत मिलने पर जयराम सरकार ने प्लांट मैटेरियल की वैज्ञानिक जांच करवाई थी. जांच में पता चला कि जिस नर्सरी ने हिमाचल के लिए पौधे सप्लाई की उसकी खुद की क्षमता इतनी अधिक सप्लाई की नहीं थी. पूरी जांच के बाद जयराम सरकार ने विश्व बैंक को रिपोर्ट सौंप दी जिसके बाद प्लांट मैटेरियल कंसलटेंट को हटा दिया गया था. पूर्व में वीरभद्र सरकार के समय इटली की नर्सरी से आयात किए गए सात लाख से अधिक सेब के पौधे सूख चुके थे. अब राज्य सरकार ने बागवानों को नए पौधे देने का ऐलान किया है.
उल्लेखनीय है कि घटिया क्वालिटी की पौध का मामला हाईकोर्ट में पहुंचा था. हाई कर्ट के निर्देश पर राज्य सरकार ने पौधे सप्लाई करने वाली इटली की फार्म पर पौधे रिप्लेस करने का दबाव बनाया था. बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि विदेशी सेब के पौधों में वायरस पाया गया था. वर्ष 2019 में मॉनसून सत्र के दौरान बागवानी मंत्री ने सदन में बताया था कि पूर्व में डिमांड के बिना पौधे मंगवाए गए थे. तब इटली की फर्म ने 16 से 19 एमएम की जगह 40 एमएम के 10 फुट लंबे पौधे भेजे इन सभी में वायरस पाया गया. बाद में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में बागवानी मिशन प्रोजेक्ट समीक्षा की गई अब सरकार उन बागवानों को निशुल्क नई पौध सप्लाई करेगी जिन्होंने विगत में खराब पौधे दिए जाने की शिकायत की थी.
हिमाचल में लंबे समय से सेब कि विदेशी किसमें लगाई जा रही हैं. सरकारी स्तर पर नौणी यूनिवर्सिटी विदेशी सेब के पौधे राज्य के बागवानों को वितरित करती है. वर्ष 2015 में इटली की ग्रीबा नर्सरी से 65 हजार सेब के पौधे यहां के बागवानों को वितरित किये गए थे. हिमाचल के बागवान निजी स्तर पर भी विदेश की नर्सरियों से पौधे लाते हैं. वर्ष 2016 में हिमाचल में 1169 करोड़ रुपये का बागवानी मिशन शुरू हुआ था. मिशन का मकसद हिमाचल के परंपरागत रॉयल किसम के सेब को विदेशी के किसम से बदलना था. रॉयल वैरायटी का सेब पौधा 10 साल बाद फल देता है. जबकि विदेशी किसमें 3 साल बाद ही फल देना शुरू करती हैं. हालांकि बागवानी मिशन 6 साल से शुरू है. लेकिन अभी तक इसका लाभ उस रूप में बागवानों को नहीं मिल पाया है. बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह का कहना है कि वर्ष 2023 तक इस मिशन के लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा.