शिमला: चार उपचुनाव में पराजय का मुख देखने के बाद जयराम सरकार ने मिशन रिपीट हिमाचल (Mission Repeat Himachal 2022) के लिए कर्मचारियों के वोट बैंक (Vote Bank) पर निशाना लगाया है. चुनावी वर्ष में प्रवेश करने से पहले भाजपा सरकार ने प्रदेश के सबसे बड़े वोट बैंक को लुभाने के लिए कई घोषणाएं की हैं. शिमला में कर्मचारियों के विभिन्न वर्गों के प्रतिनिधि संगठनों के साथ संयुक्त सलाहकार समिति की बैठक (Joint Consultative Committee meeting) में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने नए पे-कमीशन (New Pay Commission) के ऐलान सहित अनुबंध कर्मचारियों (contract employees) को नियमित करने की समय अवधि घटाने और करुणामूलक आधार पर नौकरियों में राहत दी है.
शिमला के राज्य अतिथि गृह में जेसीसी की मीटिंग (JCC meeting in Himachal) के दौरान मुख्यमंत्री ने जब नए वेतन आयोग की घोषणा (CM announced new pay commission) की तो कर्मचारियों ने खूब तालियां बजाई. अगर उस माहौल को भाजपा चुनाव तक बरकरार रखती है तो मिशन रिपीट की आशा की जा सकती है. कारण यह है कि कर्मचारियों की प्रमुख मांगों पर सरकार ने सकारात्मक रुख अपनाया है. चुनावी वर्ष में प्रवेश करने से पहले जेसीसी की मीटिंग बुलाने में जयराम ठाकुर ने राजनीतिक कौशल का परिचय दिया है. मीटिंग के दौरान प्रदेश के सामने मौजूद आर्थिक संकट के बीच कर्मचारियों को हजारों करोड़ रुपए की राहत देकर उन्हें लुभाने का प्रयास किया है.
यदि हिमाचल के वोट बैंक का गणित समझें तो राज्य के कर्मचारी और पेंशनर्स को मिला दिया जाए तो यह 10 लाख से अधिक वोट बैंक है. कर्मचारी लंबे अर्से से अनुबंध सेवा काल की अवधि (contract service period) को तीन साल से घटाकर दो साल करने की मांग कर रहे थे. इसके अलावा नए वेतन आयोग का लाभ भी मांग रहे थे. यह मुख्य मांगें थी जिन्हें सरकार ने स्वीकार कर लिया है. इसके साथ ही करुणामूलक आधार पर नौकरी (jobs on compassionate grounds) के प्रावधान भी लगभग कर्मचारियों के मन माफिक किए हैं.
चुनावी फायदे पर इसके असर की चर्चा से पहले जेसीसी की मीटिंग (JCC meeting) में हुए फैसलों का जिक्र करना जरूरी है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (CM Jai Ram Thakur) ने कर्मचारियों को 1 जनवरी, 2016 से नया वेतनमान देने के अलावा ऐलान किया कि जनवरी, 2022 का वेतन संशोधित वेतनमान के अनुसार (as per revised pay scale) फरवरी, 2022 में दिया जाएगा. सभी पेंशनभोगियों और पारिवारिक पेंशनभोगियों को भी 1 जनवरी, 2016 से संशोधित पेंशन और अन्य पेंशन लाभ दिए जाएंगे.
नए वेतनमान और संशोधित पेंशन पर सरकार को हर साल 6000 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ेंगे. मीटिंग में सरकार की तरफ से घोषणा की गई कि कर्मचारियों को केंद्र सरकार के 5 मई, 2009 के कार्यालय ज्ञापन के अनुसार 15 मई, 2003 से नई पेंशन प्रणाली (इनवेलिड पेंशन और फैमिली पेंशन) का लाभ मिलेगा. इससे खजाने पर अतिरिक्त 250 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा. इस तरह सरकार ने साढ़े आठ हजार करोड़ के लाभ उक्त रूप में दिए हैं.
अनुबंध सेवाकाल अवधि घटाने के अलावा अब हिमाचल में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी (daily wage workers in himachal) अंशकालिक कामगारों (part time workers), जल रक्षकों और जलवाहकों (water guards and aerators) के संबंध में नियमितीकरण/दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी बनाने के लिए भी एक-एक वर्ष की अवधि कम की जाएगी. कर्मचारियों के मेडिकल रिम्बर्समेंट बिल (Medical reimbursement bill of employees) के लिए 10 करोड़ रुपए जारी करने का ऐलान किया गया. साथ ही करूणामूलक आधार पर नियुक्ति के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जायेगी. यह समिति आगामी मंत्रिमंडल बैठक में अपनी प्रस्तुति देगी.
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य के जनजातीय क्षेत्रों में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी एवं अनुबंध कर्मचारियों को जनजातीय भत्ता देने पर भी विचार करेगी. एनपीएस कर्मचारियों को अब पेंशन निधि चुनने की स्वतंत्रता होगी. अब राज्य में 15 मई, 2003 से 22 सितम्बर, 2017 तक इस लाभ से वंचित एनपीएस कर्मचारियों को ग्रेच्युटी मिलेगी.
हिमाचल सरकार ने अपने चार साल के कार्यकाल में कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के डीए (DA of employees and pensioners) में 22 प्रतिशत की वृद्धि की है और उन्हें 1320 करोड़ रुपये का वित्तीय लाभ प्रदान किया गया है. इसके अतिरिक्त उन्हें 12 प्रतिशत अंतरिम राहत की दो किस्तें भी प्रदान की गईं, जिससे कर्मचारियों को लगभग 740 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है. राज्य एनजीओ फेडरेशन के महासचिव राजेश शर्मा ने कर्मचारियों की विभिन्न मांगों पर विचार करने के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया.
हिमाचल में जेसीसी की मीटिंग (Himachal JCC meeting) के बाद कर्मचारी नेताओं के चेहरे खिले हुए नजर आए और यही सरकार का चुनावी मकसद भी है. हिमाचल में यह माना जाता है कि जिसने कर्मचारी वोट बैंक को साध लिया वह सत्ता में बना रह सकता है. छोटे से पहाड़ी राज्य में दो लाख से अधिक सरकारी कर्मचारी हैं और पेंशनर्स की भी अच्छी खासी संख्या है. राज्य सरकार के बजट का अब तक 43 फीसदी हिस्सा कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर खर्च होता आया था. अब यह प्रतिशत बढ़कर 50 तक पहुंच जाएगा. इससे विकास कार्यों के लिए धन की कमी होगी.
हिमाचल पहले से ही 60 हजार करोड़ से अधिक के कर्ज में डूबा है. मौजूदा वित्त वर्ष का बजट 50 हजार करोड़ से अधिक का था. 15वें वित्तायोग की उदार सहायता से हिमाचल सरकार का आर्थिक समय अपेक्षाकृत सुगम रहा है. लेकिन कैग (Controller and Auditor General of India) की चेतावनी है कि हिमाचल धीरे-धीरे कर्ज के ट्रैप में फसता जा रहा है.
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