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माकपा के बैनर तले आंगनबाड़ी वर्कर का विधानसभा के बाहर जोरदार प्रदर्शन, की ये मांग

माकपा के बैनर तले आंगनबाड़ी वर्कर ने हिमाचल विधानसभा बजट सत्र (himachal assembly budget session) के दूसरे दिन विधानसभा के बाहर जोरदार प्रदर्शन (Anganwadi workers demonstration in shimla) किया. दौरान पुलिसकर्मी और सीपीएम कार्यकर्ता के बीच नोक झोंक भी हुई.

Anganwadi workers demonstration in shimla
आंगनबाड़ी वर्कर का प्रदर्शन
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Published : Feb 24, 2022, 3:46 PM IST

शिमला: हिमाचल विधानसभा बजट सत्र (himachal assembly budget session) के दूसरे दिन माकपा के बैनर तले आंगनबाड़ी वर्कर ने विधानसभा के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के दौरान पुलिस कर्मी और सीपीएम कार्यकर्ता के बीच नोक झोंक हो (Anganwadi workers demonstration in shimla) गई. दरअसल पुलिसकर्मियों ने जब सीपीएम कार्यकर्ता को रोकना चाहा तो उसी दौरान पुलिसकर्मी और सीपीएम कार्यकर्ता के बीच नोक झोंक हो गई.

सीपीएम महासचिव कश्मीर सिंह ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता जब अपनी मांग को लेकर विधानसभा के बाहर शांति पूर्ण प्रदर्शन करने आए हैं, तो उन्हें रोका गया. उन्होंने कहा कि पहले से भी विधानसभा के बाहर प्रदर्शन होता आया है लेकिन आज उन्हें सरकार रोक रही (Anganwadi workers demonstration outside vidhansabha) है. उन्होंने कहा कि प्रदेश भर से आंगनबाड़ी वर्कर अपनी मांगों को लेकर यहां शांति पूर्ण प्रदर्शन करने आए हैं.

आंगनबाड़ी वर्कर का प्रदर्शन

उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी कर्मी प्री-प्राइमरी में सौ प्रतिशत नियुक्ति, इस नियुक्ति में 45 वर्ष की शर्त खत्म करने, सुपरवाइजर नियुक्ति के लिए भारत वर्ष के किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय की डिग्री को मान्य करने, वरिष्ठता के आधार पर मैट्रिक व ग्रेजुएशन पास की सुपरवाइजर में तुरंत भर्ती करने, सरकारी कर्मचारी के दर्जे, हरियाणा की तर्ज पर वेतन देने, रिटायरमेंट की आयु 65 वर्ष करने की मांग और नंद घर बनाने की आड़ में आईसीडीएस को वेदांता कंपनी के हवाले करके निजीकरण की साजिश और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर, पोषण ट्रैकर ऐप व तीस प्रतिशत बजट कटौती के खिलाफ सड़कों पर उतरेंगे.

कश्मीर सिंह ने केंद्र व प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर आईसीडीएस का निजीकरण किया गया व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को नियमित कर्मचारी घोषित न किया गया तो आंदोलन और तेज (Anganwadi workers demand in himachal) होगा. उन्होंने नई शिक्षा नीति को वापस लेने की मांग की है क्योंकि यह आईसीडीएस विरोधी है. नई शिक्षा नीति में वास्तव में आईसीडीएस के निजीकरण का छिपा हुआ एजेंडा है.

आईसीडीएस को वेदांता कंपनी के हवाले करने के लिए नंद घर की आड़ में निजीकरण को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इस से भविष्य में कर्मियों को रोजगार से हाथ धोना पड़ेगा. उन्होंने केंद्र सरकार से वर्ष 2013 में हुए पैंतालीसवें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार आंगनबाड़ी कर्मियों को नियमित करने की मांग की है. उन्होंने मांग की है कि आंगनबाड़ी कर्मियों को हरियाणा की तर्ज पर वेतन और अन्य सुविधाएं दी जाएं. उन्होंने आंगनबाड़ी कर्मियों के लिए पेंशन, ग्रेच्युटी, मेडिकल व छुट्टियों की सुविधा लागू करने की मांग की है.

उन्होंने आंगनबाड़ी कर्मियों को वर्ष 2013 का नेशनल रूरल हेल्थ मिशन के तहत बकाया राशि का भुगतान तुरंत करने की मांग की है. उन्होंने मांग की है कि प्री-प्राइमरी कक्षाओं व नई शिक्षा नीति के तहत छोटे बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को दिया जाए, क्योंकि वे काफी प्रशिक्षित कर्मी हैं. इसकी एवज में उनका वेतन बढ़ाया जाए व उन्हें नियमित किया जाए.

ये भी पढ़ें: सोलंग नाला में बर्फबारी का दौर जारी, बर्फ देख झूम उठे सैलानी

शिमला: हिमाचल विधानसभा बजट सत्र (himachal assembly budget session) के दूसरे दिन माकपा के बैनर तले आंगनबाड़ी वर्कर ने विधानसभा के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया. प्रदर्शन के दौरान पुलिस कर्मी और सीपीएम कार्यकर्ता के बीच नोक झोंक हो (Anganwadi workers demonstration in shimla) गई. दरअसल पुलिसकर्मियों ने जब सीपीएम कार्यकर्ता को रोकना चाहा तो उसी दौरान पुलिसकर्मी और सीपीएम कार्यकर्ता के बीच नोक झोंक हो गई.

सीपीएम महासचिव कश्मीर सिंह ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता जब अपनी मांग को लेकर विधानसभा के बाहर शांति पूर्ण प्रदर्शन करने आए हैं, तो उन्हें रोका गया. उन्होंने कहा कि पहले से भी विधानसभा के बाहर प्रदर्शन होता आया है लेकिन आज उन्हें सरकार रोक रही (Anganwadi workers demonstration outside vidhansabha) है. उन्होंने कहा कि प्रदेश भर से आंगनबाड़ी वर्कर अपनी मांगों को लेकर यहां शांति पूर्ण प्रदर्शन करने आए हैं.

आंगनबाड़ी वर्कर का प्रदर्शन

उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी कर्मी प्री-प्राइमरी में सौ प्रतिशत नियुक्ति, इस नियुक्ति में 45 वर्ष की शर्त खत्म करने, सुपरवाइजर नियुक्ति के लिए भारत वर्ष के किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय की डिग्री को मान्य करने, वरिष्ठता के आधार पर मैट्रिक व ग्रेजुएशन पास की सुपरवाइजर में तुरंत भर्ती करने, सरकारी कर्मचारी के दर्जे, हरियाणा की तर्ज पर वेतन देने, रिटायरमेंट की आयु 65 वर्ष करने की मांग और नंद घर बनाने की आड़ में आईसीडीएस को वेदांता कंपनी के हवाले करके निजीकरण की साजिश और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर, पोषण ट्रैकर ऐप व तीस प्रतिशत बजट कटौती के खिलाफ सड़कों पर उतरेंगे.

कश्मीर सिंह ने केंद्र व प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर आईसीडीएस का निजीकरण किया गया व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को नियमित कर्मचारी घोषित न किया गया तो आंदोलन और तेज (Anganwadi workers demand in himachal) होगा. उन्होंने नई शिक्षा नीति को वापस लेने की मांग की है क्योंकि यह आईसीडीएस विरोधी है. नई शिक्षा नीति में वास्तव में आईसीडीएस के निजीकरण का छिपा हुआ एजेंडा है.

आईसीडीएस को वेदांता कंपनी के हवाले करने के लिए नंद घर की आड़ में निजीकरण को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इस से भविष्य में कर्मियों को रोजगार से हाथ धोना पड़ेगा. उन्होंने केंद्र सरकार से वर्ष 2013 में हुए पैंतालीसवें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार आंगनबाड़ी कर्मियों को नियमित करने की मांग की है. उन्होंने मांग की है कि आंगनबाड़ी कर्मियों को हरियाणा की तर्ज पर वेतन और अन्य सुविधाएं दी जाएं. उन्होंने आंगनबाड़ी कर्मियों के लिए पेंशन, ग्रेच्युटी, मेडिकल व छुट्टियों की सुविधा लागू करने की मांग की है.

उन्होंने आंगनबाड़ी कर्मियों को वर्ष 2013 का नेशनल रूरल हेल्थ मिशन के तहत बकाया राशि का भुगतान तुरंत करने की मांग की है. उन्होंने मांग की है कि प्री-प्राइमरी कक्षाओं व नई शिक्षा नीति के तहत छोटे बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को दिया जाए, क्योंकि वे काफी प्रशिक्षित कर्मी हैं. इसकी एवज में उनका वेतन बढ़ाया जाए व उन्हें नियमित किया जाए.

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