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हिमाचल में नहीं था कृषि कानूनों का असर, यहां मजबूत है मंडी व्यवस्था- वीरेंद्र कंवर  - हिमाचल में जीरे की खेती

कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर (Agriculture Minister Virender Kanwar) ने कहा कि राज्य सरकार हिमाचल के पारंपरिक अनाजों (traditional grains) की पैदावार को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. वहीं, उन्होंने कहा कि हिमाचल में किसानों पर कृषि कानूनों (Agricultural Law) को वापस लेने के बाद किसी किस्म का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है.

Agriculture Minister Virender Kanwar
वीरेंद्र कंवर.
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Published : Nov 22, 2021, 7:56 PM IST

Updated : Nov 22, 2021, 10:55 PM IST

शिमला: गुरु पर्व पर सभी को चौंकाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने तीन कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया है. हिमाचल प्रदेश कृषि प्रधान राज्य है और यहां 90 फीसदी आबादी किसी ना किसी रूप में खेती बागवानी से जुड़ी है. हिमाचल सरकार के कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर (Agriculture Minister Virender Kanwar) का मानना है कि प्रदेश के किसानों पर कृषि कानूनों का कोई असर नहीं था. हिमाचल में मंडी व्यवस्था भी मजबूत है और यहां 200 करोड़ रुपये से मंडियों का विस्तार करने के साथ वहां सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं.

ईटीवी भारत (ETV Bharat) के साथ बातचीत में कैबिनेट मंत्री (Cabinet Minister) ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) और प्रदेश सरकार पूरी तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के फैसले के साथ खड़ी है. हालांकि हिमाचल प्रदेश में न तो किसान आंदोलन (farmers movement) का कोई शोर था और न ही यहां के किसान किसी तरह इन कृषि कानूनों से प्रभावित हो रहे थे. मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि कृषि कानून (Agricultural Law) किसानों को समझा नहीं पाए.

वीडियो.

वीरेंद्र कंवर का मानना है कि हिमाचल में किसानों पर इन कानूनों को वापस लेने के बाद किसी किस्म का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है. जहां तक हिमाचल की बात है यहां के किसानों में इन कानूनों को लेकर कोई उलझन नहीं थी. फिर भी हिमाचल सरकार प्रधानमंत्री के फैसले का स्वागत करती है. हिमाचल में एपीएमसी (APMC) के जरिए किसानों की उपज की खरीद को पारदर्शी बनाया गया है और इस साल पहली बार हिमाचल प्रदेश में किसानों से धान की खरीद की गई है.


उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के किसान अपनी उपज मंडी समितियों (Market Committees) में बेचने के लिए स्वतंत्र हैं और यदि उन्हें यह लगता है कि ओपन मार्किट में अच्छे दाम मिलेंगे तो वे वहां पर अपना खेती और बागवानी का उत्पाद बेचते हैं. जहां तक राज्य सरकार के प्रयासों की बात है तो कृषि सेक्टर को मजबूत करने के लिए सरकार एक साथ कई कदम उठा रही है. हिमाचल में किसानों (Farmer in himachal) की उपज को सुरक्षित रखने के लिए सीए स्टोर (CA store) की सुविधा बढ़ाई जा रही है. साथ ही फल विधायन संयंत्र (fruit processing plant) भी मजबूत किए जा रहे हैं.

यही नहीं राज्य सरकार हिमाचल के पारंपरिक अनाजों (traditional grains) की पैदावार को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. शिमला जिला के रोहड़ू में लाल चावल की खेती कभी खूब प्रचलित थी. समय के साथ किसानों में इसके प्रति उदासीनता आई, लेकिन अब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाल चावल के गुणों को देखते हुए इनकी मांग बढ़ रही है.

ये भी पढ़ें : सर्दियों के मौसम में घूमने का मन बना रहे हैं तो हिमाचल के इन डेस्टिनेशन की कर सकते हैं सैर

कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर (Agriculture Minister Virendrer Kanwar) ने कहा कि सरकार किसानों को लाल चावल की खेती करने के लिए हर तरह की मदद का भरोसा देती है. उन्होंने कहा कि हिमाचल में कोदा और कावणी जैसे पारंपरिक अनाज (Traditional Grains) अब खूब डिमांड में है. इसके अलावा जीरे की खेती को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है. राज्य सरकार किसानों की बेहतरी के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही है. इनमें मुख्यमंत्री एक बीघा योजना सहित किसानों की आय दोगुनी करने के लिए अन्य योजनाएं शामिल हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट (One District One Product) भी हिमाचल में सफलता से चल रहा है.

हिमाचल सरकार नाबार्ड ( NABARD) के सहयोग से भी किसान उत्पादक संघ (Farmer Producer Association) को प्रोत्साहित कर रही है. चूंकि राज्य में कृषि-बागवानी ग्रामीण अर्थव्यवस्था (rural economy) का मजबूत आधार स्तंभ है इसलिए ग्रामीण विकास और अन्य संबंधित विभागों को जोड़कर अलग-अलग योजनाओं का लाभ देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. उदाहरण के लिए मनरेगा के तहत तालाब बनाए जा रहे हैं. इससे ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा मिलेगी. कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों की अपनी उपज के लिए बार्गेनिंग पावर (bargaining power) बढ़े इसके लिए किसान उत्पादक संघों को प्रोत्साहित किया जाएगा.

ये भी पढ़ें : हार पर मंथन के बाद बोले सीएम जयराम, Over Confidence के कारण हारी भाजपा

शिमला: गुरु पर्व पर सभी को चौंकाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने तीन कृषि कानून वापस लेने का ऐलान किया है. हिमाचल प्रदेश कृषि प्रधान राज्य है और यहां 90 फीसदी आबादी किसी ना किसी रूप में खेती बागवानी से जुड़ी है. हिमाचल सरकार के कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर (Agriculture Minister Virender Kanwar) का मानना है कि प्रदेश के किसानों पर कृषि कानूनों का कोई असर नहीं था. हिमाचल में मंडी व्यवस्था भी मजबूत है और यहां 200 करोड़ रुपये से मंडियों का विस्तार करने के साथ वहां सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं.

ईटीवी भारत (ETV Bharat) के साथ बातचीत में कैबिनेट मंत्री (Cabinet Minister) ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) और प्रदेश सरकार पूरी तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के फैसले के साथ खड़ी है. हालांकि हिमाचल प्रदेश में न तो किसान आंदोलन (farmers movement) का कोई शोर था और न ही यहां के किसान किसी तरह इन कृषि कानूनों से प्रभावित हो रहे थे. मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि कृषि कानून (Agricultural Law) किसानों को समझा नहीं पाए.

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वीरेंद्र कंवर का मानना है कि हिमाचल में किसानों पर इन कानूनों को वापस लेने के बाद किसी किस्म का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है. जहां तक हिमाचल की बात है यहां के किसानों में इन कानूनों को लेकर कोई उलझन नहीं थी. फिर भी हिमाचल सरकार प्रधानमंत्री के फैसले का स्वागत करती है. हिमाचल में एपीएमसी (APMC) के जरिए किसानों की उपज की खरीद को पारदर्शी बनाया गया है और इस साल पहली बार हिमाचल प्रदेश में किसानों से धान की खरीद की गई है.


उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के किसान अपनी उपज मंडी समितियों (Market Committees) में बेचने के लिए स्वतंत्र हैं और यदि उन्हें यह लगता है कि ओपन मार्किट में अच्छे दाम मिलेंगे तो वे वहां पर अपना खेती और बागवानी का उत्पाद बेचते हैं. जहां तक राज्य सरकार के प्रयासों की बात है तो कृषि सेक्टर को मजबूत करने के लिए सरकार एक साथ कई कदम उठा रही है. हिमाचल में किसानों (Farmer in himachal) की उपज को सुरक्षित रखने के लिए सीए स्टोर (CA store) की सुविधा बढ़ाई जा रही है. साथ ही फल विधायन संयंत्र (fruit processing plant) भी मजबूत किए जा रहे हैं.

यही नहीं राज्य सरकार हिमाचल के पारंपरिक अनाजों (traditional grains) की पैदावार को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. शिमला जिला के रोहड़ू में लाल चावल की खेती कभी खूब प्रचलित थी. समय के साथ किसानों में इसके प्रति उदासीनता आई, लेकिन अब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लाल चावल के गुणों को देखते हुए इनकी मांग बढ़ रही है.

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कृषि मंत्री वीरेंद्र कंवर (Agriculture Minister Virendrer Kanwar) ने कहा कि सरकार किसानों को लाल चावल की खेती करने के लिए हर तरह की मदद का भरोसा देती है. उन्होंने कहा कि हिमाचल में कोदा और कावणी जैसे पारंपरिक अनाज (Traditional Grains) अब खूब डिमांड में है. इसके अलावा जीरे की खेती को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है. राज्य सरकार किसानों की बेहतरी के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही है. इनमें मुख्यमंत्री एक बीघा योजना सहित किसानों की आय दोगुनी करने के लिए अन्य योजनाएं शामिल हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट (One District One Product) भी हिमाचल में सफलता से चल रहा है.

हिमाचल सरकार नाबार्ड ( NABARD) के सहयोग से भी किसान उत्पादक संघ (Farmer Producer Association) को प्रोत्साहित कर रही है. चूंकि राज्य में कृषि-बागवानी ग्रामीण अर्थव्यवस्था (rural economy) का मजबूत आधार स्तंभ है इसलिए ग्रामीण विकास और अन्य संबंधित विभागों को जोड़कर अलग-अलग योजनाओं का लाभ देने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. उदाहरण के लिए मनरेगा के तहत तालाब बनाए जा रहे हैं. इससे ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा मिलेगी. कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों की अपनी उपज के लिए बार्गेनिंग पावर (bargaining power) बढ़े इसके लिए किसान उत्पादक संघों को प्रोत्साहित किया जाएगा.

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Last Updated : Nov 22, 2021, 10:55 PM IST
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