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हिमाचल में अब तक 15 हजार टन सेब खरीद चुकी है अडानी एग्री फ्रेश कंपनी, 25 हजार टन का लक्ष्य - Apple Growers in himachal

Apples in Himachal, हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में अडानी ग्रुप के तीन सीए यानी कंट्रोल्ड एटमॉसफियर स्टोर हैं. मंगलवार तक अडानी एग्री फ्रेश कंपनी करीब 15 हजार टन सेब खरीद चुकी है, कंपनी ने इस साल 25 हजार टन सेब खरीदने का लक्ष्य रखा है. हिमाचल में अधिकांश बागवान पिछले कई सालों से नियमित रूप से कंपनी के सीए स्टोर पर ही सेब बेचते हैं.

Adani Agri Fresh Company in Himachal.
हिमाचल में अडानी एग्री फ्रेश कंपनी.
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Published : Aug 24, 2022, 5:47 PM IST

शिमला: अडानी एग्री फ्रेश कंपनी मंगलवार तक 15 हजार टन के करीब सेब की खरीद कर चुकी है. कंपनी इस बार बीते साल के मुकाबले चार रुपये महंगा सेब खरीद रही है. इस सीजन में कंपनी ने 25,000 टन सेब खरीदने का लक्ष्य रखा है, जो बीते साल से 7,000 टन ज्यादा है. कंपनी 80 से 100 फीसदी रंग वाले एक्स्ट्रा लार्ज सेब को 52 रुपये प्रति किलो जबकि लार्ज, मीडियम और स्मॉल सेब को 76 रुपये प्रति किलो की दर पर खरीद रही है. हालांकि सेब की कीमतों का रिव्यू हर सप्ताह किया जाता है.

अडानी एग्री फ्रेश के जनसंपर्क अधिकारी ने ETV भारत को बताया कि कंपनी तीन स्थानों पर सेब खरीद कर रही है. पिछली बार 22 हजार टन सेब खरीद की गई थी इस बार 25 हजार टन सेब खरीद का लक्ष्य रखा गया है. उन्होंने बताया कि अडानी एग्री फ्रेश (Adani Agri Fresh Company in Himachal ) कंपनी लंबे समय से किसान-बागवानों से जुड़ी हुई है. अधिकांश बागवान पिछले कई सालों से नियमित रूप से कंपनी के सीए स्टोर (कंट्रोल्ड एटमॉसफियर स्टोर) पर ही सेब बेचते हैं.

Adani Agri Fresh Company in Himachal.
हिमाचल में अडानी एग्री फ्रेश कंपनी.

उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाता है कि बागवानों को तुरंत पूरा भुगतान कर दिया जाए. उन्होंने कहा कि अधिकतम तीन दिन के अंदर बागवानों के खाते में सेब खरीद की पूरी रकम डाल दी जाती है. इसके अलावा बागवानों को करीब एक महीना पहले ही सेब भरने के लिए कैरेट भी उपलब्ध करवाई जाती है. अगर बागवान (Apple Growers in himachal) इच्छा व्यक्त करते हैं तो उन्हें सस्ते दामों पर हेलनैट, दवाइयां और बागवानी में उपयोग होने वाले सामान भी उपलब्ध करवाए जाते हैं.

पिछले साल सेब की कीमत: अगर बीते साल की बात करें तो एक्स्ट्रा लार्ज सेब 52 रुपये जबकि लार्ज, मीडियम और स्मॉल सेब का रेट 72 रुपये प्रति किलो था. इस सीजन में 60 से 80 फीसदी रंग वाले एक्स्ट्रा लार्ज सेब को 37 रुपये किलो जबकि लार्ज, मीडियम और स्मॉल आकार का सेब 61 रुपये प्रति किलो की कीमत पर खरीदा जा रहा है. 60 फीसदी से कम रंग वाले सेब की खरीद 20 रुपये प्रति किलो की कीमत है. पिछले साल ऐसा सेब 15 रुपये किलो खरीदा गया था. छोटे आकार का पित्तू सेब 52 रुपये प्रति किलो खरीदा जाएगा, जबकि पिछले साल ऐसे सेब के रेट 42 रुपये निर्धारित किए गए थे.

Adani Agri Fresh Company in Himachal.
हिमाचल में अडानी एग्री फ्रेश कंपनी.

करीब 25 हजार टन सेब खरीदता है अडानी एग्री फ्रेश: सबसे बड़ा सीए स्टोर अडानी एग्री फ्रेश का है. हिमाचल में अडानी एग्री फ्रेश कंपनी करीब 15 साल से सेब की खरीदारी कर रहा है. हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला में अडानी ग्रुप के तीन सीए (कंट्रोल्ड एटमॉस्फियर) स्टोर हैं. देश के एप्पल स्टेट हिमाचल (Apple State Himachal) में सालाना 3 करोड़ से अधिक पेटी सेब का उत्पादन होता है. सेब का सालाना कारोबार (apple business in himachal) 4 हजार करोड़ रुपये का है. कुल उत्पादन में से अडानी समूह सालाना 25 हजार टन सेब ही खरीदता है.

हिमाचल में 50 से अधिक किस्मों के सेब का उत्पादन: अडानी एग्री फ्रेश सेब की परंपरागत वैरायटी रॉयल (Apples in Himachal) को ही खरीदता है. ये अलग बात है कि हिमाचल में रॉयल के अलावा 50 से अधिक विदेशी किस्मों के सेब का उत्पादन किया जा रहा है. अडानी केवल रॉयल सेब खरीदता है. इसका कारण ये है कि रॉयल सेब की शैल्फ लाइफ अधिक है. यानी तोड़ने के बाद ये काफी समय तक खराब नहीं होता.

अडानी ग्रुप किलो के हिसाब से खरीदता है सेब: हिमाचल में अडानी एग्री फ्रेश के ऊपरी शिमला में तीन सीए स्टोर हैं. ये सीए स्टोर मेंहदली, बिथल व सैंज में हैं. इन सभी की क्षमता 22 मीट्रिक टन है. ऐसे में अडानी कुल 22 मीट्रिक टन सेब ही खरीदता है. अडानी ग्रुप किलो के हिसाब से सेब खरीदता है. हिमाचल में वर्ष 2006 से अडानी ग्रुप लगातार सेब खरीद रहा है.

संयुक्त किसान मंच कर रहा विरोध: संयुक्त किसान मंच अडानी के रेट पर असंतोष जता रहा है. मंच के संयोजक हरीश चौहान का कहना है कि मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव ने निजी कंपनियों के रेट तय करने के लिए सरकारी कमेटी गठित करने की घोषणा की थी. कमेटियां गायब हैं. अडानी ने जो रेट घोषित किए हैं, वह कम हैं. उन्होंने कहा कि जिस अनुपात में लागत बढ़ी है, उस अनुपात में रेट नहीं बढ़ाए गए हैं.

सरकार पर संयुक्त किसान मोर्चा का आरोप: संयुक्त किसान मोर्चा के नेता संजय चौहान ने कहा कि नई शुरुआती कीमत का जिस तरह से ऐलान किया गया है, उससे साफ हो गया है कि सरकार अडानी और अन्य कंपनियों के दबाव में कार्य कर रही है. किसान यूनियन ने मांग की है कि सरकार को तत्काल इस मामले में दखल देना चाहिए. संजय चौहान ने अडानी की ओर से खोले गए रेट पर हैरानी जताई है. उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले वादा किया था कि रेट खोलने के लिए कमेटी गठित की जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. ऐसे में आंदोलन और ज्यादा तेज होगा.

अडानी की दर से बाजार मूल्य में गिरावट की बात सही नहीं: हिमाचल प्रदेश कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) (Himachal Agricultural Produce Marketing Committee) के प्रबंध निदेशक नरेश ठाकुर ने इस बात से इनकार किया कि अडानी की दर से बाजार मूल्य में गिरावट आई है. नरेश ठाकुर ने कहा कि गुणवत्ता वाले उत्पादों को अभी भी बाजार में अच्छी कीमत मिल रही है, लेकिन मौसम की अनिश्चित के कारण सेब का रंग अच्छा नहीं होता और आकार बहुत छोटा होता है. इसके अलावा ओलावृष्टि से फसल को भी आंशिक नुकसान हुआ है. जिस कारण सेब के अच्छे दाम नहीं मिल पाते.

क्या कहते हैं हिमालयन एप्पल ग्रोवर्स सोसाइटी के महासचिव: हिमालयन एप्पल ग्रोवर्स सोसाइटी (Himalayan Apple Growers Society) के महासचिव राजेश ने कहा कि हिमाचल में अभी सरकार द्वारा संचालित बहुत कम कोल्ड स्टोर हैं और वे अक्सर पूरी क्षमता से भरे रहते हैं. यह सेब उत्पादकों को फसल के तुरंत बाद अपनी उपज बेचने के लिए मजबूर करता है. अगर सरकार उत्पादकों को अपनी आय बढ़ाने में मदद करना चाहती है, तो उन्हें अलग-अलग क्षेत्रों में 2,000-3,000 मीट्रिक टन की क्षमता वाला कम से कम एक कोल्ड स्टोरेज स्थापित करने चाहिए.

शिमला: अडानी एग्री फ्रेश कंपनी मंगलवार तक 15 हजार टन के करीब सेब की खरीद कर चुकी है. कंपनी इस बार बीते साल के मुकाबले चार रुपये महंगा सेब खरीद रही है. इस सीजन में कंपनी ने 25,000 टन सेब खरीदने का लक्ष्य रखा है, जो बीते साल से 7,000 टन ज्यादा है. कंपनी 80 से 100 फीसदी रंग वाले एक्स्ट्रा लार्ज सेब को 52 रुपये प्रति किलो जबकि लार्ज, मीडियम और स्मॉल सेब को 76 रुपये प्रति किलो की दर पर खरीद रही है. हालांकि सेब की कीमतों का रिव्यू हर सप्ताह किया जाता है.

अडानी एग्री फ्रेश के जनसंपर्क अधिकारी ने ETV भारत को बताया कि कंपनी तीन स्थानों पर सेब खरीद कर रही है. पिछली बार 22 हजार टन सेब खरीद की गई थी इस बार 25 हजार टन सेब खरीद का लक्ष्य रखा गया है. उन्होंने बताया कि अडानी एग्री फ्रेश (Adani Agri Fresh Company in Himachal ) कंपनी लंबे समय से किसान-बागवानों से जुड़ी हुई है. अधिकांश बागवान पिछले कई सालों से नियमित रूप से कंपनी के सीए स्टोर (कंट्रोल्ड एटमॉसफियर स्टोर) पर ही सेब बेचते हैं.

Adani Agri Fresh Company in Himachal.
हिमाचल में अडानी एग्री फ्रेश कंपनी.

उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाता है कि बागवानों को तुरंत पूरा भुगतान कर दिया जाए. उन्होंने कहा कि अधिकतम तीन दिन के अंदर बागवानों के खाते में सेब खरीद की पूरी रकम डाल दी जाती है. इसके अलावा बागवानों को करीब एक महीना पहले ही सेब भरने के लिए कैरेट भी उपलब्ध करवाई जाती है. अगर बागवान (Apple Growers in himachal) इच्छा व्यक्त करते हैं तो उन्हें सस्ते दामों पर हेलनैट, दवाइयां और बागवानी में उपयोग होने वाले सामान भी उपलब्ध करवाए जाते हैं.

पिछले साल सेब की कीमत: अगर बीते साल की बात करें तो एक्स्ट्रा लार्ज सेब 52 रुपये जबकि लार्ज, मीडियम और स्मॉल सेब का रेट 72 रुपये प्रति किलो था. इस सीजन में 60 से 80 फीसदी रंग वाले एक्स्ट्रा लार्ज सेब को 37 रुपये किलो जबकि लार्ज, मीडियम और स्मॉल आकार का सेब 61 रुपये प्रति किलो की कीमत पर खरीदा जा रहा है. 60 फीसदी से कम रंग वाले सेब की खरीद 20 रुपये प्रति किलो की कीमत है. पिछले साल ऐसा सेब 15 रुपये किलो खरीदा गया था. छोटे आकार का पित्तू सेब 52 रुपये प्रति किलो खरीदा जाएगा, जबकि पिछले साल ऐसे सेब के रेट 42 रुपये निर्धारित किए गए थे.

Adani Agri Fresh Company in Himachal.
हिमाचल में अडानी एग्री फ्रेश कंपनी.

करीब 25 हजार टन सेब खरीदता है अडानी एग्री फ्रेश: सबसे बड़ा सीए स्टोर अडानी एग्री फ्रेश का है. हिमाचल में अडानी एग्री फ्रेश कंपनी करीब 15 साल से सेब की खरीदारी कर रहा है. हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला में अडानी ग्रुप के तीन सीए (कंट्रोल्ड एटमॉस्फियर) स्टोर हैं. देश के एप्पल स्टेट हिमाचल (Apple State Himachal) में सालाना 3 करोड़ से अधिक पेटी सेब का उत्पादन होता है. सेब का सालाना कारोबार (apple business in himachal) 4 हजार करोड़ रुपये का है. कुल उत्पादन में से अडानी समूह सालाना 25 हजार टन सेब ही खरीदता है.

हिमाचल में 50 से अधिक किस्मों के सेब का उत्पादन: अडानी एग्री फ्रेश सेब की परंपरागत वैरायटी रॉयल (Apples in Himachal) को ही खरीदता है. ये अलग बात है कि हिमाचल में रॉयल के अलावा 50 से अधिक विदेशी किस्मों के सेब का उत्पादन किया जा रहा है. अडानी केवल रॉयल सेब खरीदता है. इसका कारण ये है कि रॉयल सेब की शैल्फ लाइफ अधिक है. यानी तोड़ने के बाद ये काफी समय तक खराब नहीं होता.

अडानी ग्रुप किलो के हिसाब से खरीदता है सेब: हिमाचल में अडानी एग्री फ्रेश के ऊपरी शिमला में तीन सीए स्टोर हैं. ये सीए स्टोर मेंहदली, बिथल व सैंज में हैं. इन सभी की क्षमता 22 मीट्रिक टन है. ऐसे में अडानी कुल 22 मीट्रिक टन सेब ही खरीदता है. अडानी ग्रुप किलो के हिसाब से सेब खरीदता है. हिमाचल में वर्ष 2006 से अडानी ग्रुप लगातार सेब खरीद रहा है.

संयुक्त किसान मंच कर रहा विरोध: संयुक्त किसान मंच अडानी के रेट पर असंतोष जता रहा है. मंच के संयोजक हरीश चौहान का कहना है कि मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव ने निजी कंपनियों के रेट तय करने के लिए सरकारी कमेटी गठित करने की घोषणा की थी. कमेटियां गायब हैं. अडानी ने जो रेट घोषित किए हैं, वह कम हैं. उन्होंने कहा कि जिस अनुपात में लागत बढ़ी है, उस अनुपात में रेट नहीं बढ़ाए गए हैं.

सरकार पर संयुक्त किसान मोर्चा का आरोप: संयुक्त किसान मोर्चा के नेता संजय चौहान ने कहा कि नई शुरुआती कीमत का जिस तरह से ऐलान किया गया है, उससे साफ हो गया है कि सरकार अडानी और अन्य कंपनियों के दबाव में कार्य कर रही है. किसान यूनियन ने मांग की है कि सरकार को तत्काल इस मामले में दखल देना चाहिए. संजय चौहान ने अडानी की ओर से खोले गए रेट पर हैरानी जताई है. उन्होंने कहा कि सरकार ने पहले वादा किया था कि रेट खोलने के लिए कमेटी गठित की जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. ऐसे में आंदोलन और ज्यादा तेज होगा.

अडानी की दर से बाजार मूल्य में गिरावट की बात सही नहीं: हिमाचल प्रदेश कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) (Himachal Agricultural Produce Marketing Committee) के प्रबंध निदेशक नरेश ठाकुर ने इस बात से इनकार किया कि अडानी की दर से बाजार मूल्य में गिरावट आई है. नरेश ठाकुर ने कहा कि गुणवत्ता वाले उत्पादों को अभी भी बाजार में अच्छी कीमत मिल रही है, लेकिन मौसम की अनिश्चित के कारण सेब का रंग अच्छा नहीं होता और आकार बहुत छोटा होता है. इसके अलावा ओलावृष्टि से फसल को भी आंशिक नुकसान हुआ है. जिस कारण सेब के अच्छे दाम नहीं मिल पाते.

क्या कहते हैं हिमालयन एप्पल ग्रोवर्स सोसाइटी के महासचिव: हिमालयन एप्पल ग्रोवर्स सोसाइटी (Himalayan Apple Growers Society) के महासचिव राजेश ने कहा कि हिमाचल में अभी सरकार द्वारा संचालित बहुत कम कोल्ड स्टोर हैं और वे अक्सर पूरी क्षमता से भरे रहते हैं. यह सेब उत्पादकों को फसल के तुरंत बाद अपनी उपज बेचने के लिए मजबूर करता है. अगर सरकार उत्पादकों को अपनी आय बढ़ाने में मदद करना चाहती है, तो उन्हें अलग-अलग क्षेत्रों में 2,000-3,000 मीट्रिक टन की क्षमता वाला कम से कम एक कोल्ड स्टोरेज स्थापित करने चाहिए.

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