शिमला: कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई में वैक्सीनेशन के मोर्चे पर हिमाचल प्रदेश ने अच्छा काम किया है. कोरोना कर्फ्यू लागू होने के बाद एक्टिव केस भी कम हुए हैं, लेकिन प्रदेश में रोजाना संक्रमण से मौतों का आंकड़ा अभी भी डरा रहा है. छोटा पहाड़ी प्रदेश होने के बावजूद हिमाचल ने वैक्सीन लगाने की निरंतरता कायम रखी है. कोविड-19 महामारी के खिलाफ हिमाचल प्रदेश की टीकाकरण मुहिम बेहतर तरीके से चल रही है.
दूसरे फेज में हिमाचल प्रदेश में 18 से 44 साल की आयु वर्ग के लिए एक लाख से अधिक डोज आई थी. अगले माह हिमाचल को इतनी ही डोज और मिल जाएगी. इसके अलावा 45 प्लस आयु वालों के लिए भी वैक्सीनेशन जारी है. यदि 18 से 44 और फिर 45 प्लस आयु वालों की बात की जाए तो हिमाचल में वैक्सीनेशन की ओवरऑल दर 33 फीसदी है. ये देश में सबसे अधिक है. हिमाचल के बाद छत्तीसगढ़ व उत्तराखंड का नंबर है. यही नहीं, हिमाचल प्रदेश 45 प्लस आयु वालों के वैक्सीनेशन में भी देश के टॉप टेन स्टेट में शामिल है. यदि केवल 45 प्लस वालों की बात की जाए तो हिमाचल प्रदेश ने 25 फीसदी से अधिक आबादी को टीका लगवा दिया है. सिक्किम व त्रिपुरा आदि राज्य हिमाचल से आगे हैं. बड़ी बात ये है कि वैक्सीन की वेस्टेज हिमाचल में शून्य फीसदी है.
18 प्लस आयु वर्ग के 31 लाख लोगों को लगना है टीका
राज्य में 22 मई तक के आंकड़े बताते हैं कि यहां कुल वैक्सीन की 22 लाख, 64 हजार से अधिक डोज आई. इसमें से हेल्थ केयर वर्कर को पहली डोज के तौर पर 83203 वैक्सीन लगाई गई. अब तक 68842 को दूसरी डोज लग चुकी है. फ्रंट लाइन वर्कर को 74244 पहली डोज व 41825 को दूसरी डोज मिल चुकी है. हिमाचल में 18 प्लस आयु वर्ग के 31 लाख लोगों को टीका दिया जाना है.
वैक्सीन के बजट पर सरकार कर रही मंथन
जून के लिए हिमाचल प्रदेश को अभी एक लाख, 19 हजार 760 डोज मिलना तय हुई है. इसी आयु वर्ग के 31 लाख लोगों को 72 लाख के करीब डोज चाहिए. यदि हिमाचल कोवैक्सीन को प्रेफर करता है तो हिमाचल को 600 रुपए प्रति डोज के हिसाब से 432 करोड़ रुपए की रकम चाहिए. इसके अलावा स्पूतनिक फाइव को खरीदने के लिए 948 रुपए प्रति डोज के हिसाब से 682 करोड़ रुपए की जरूरत होगी. कोवैक्सीन हिमाचल को सस्ती पड़ेगी, लेकिन इसकी खरीद कैसे होगी और इसके लिए बजट कैसे मैनेज होगा, इस पर हिमाचल प्रदेश सरकार मंथन कर रही है.
पहली लहर में कोविड के कहर से बचा था हिमाचल
हिमाचल प्रदेश में पिछले साल मार्च 23 तारीख को लॉकडाउन लगाया गया था. पहली लहर में हिमाचल प्रदेश लंबे समय तक कोविड के कहर से बचा रहा. हाल ये था कि एक समय हिमाचल प्रदेश कोविड से मुक्त होने के कगार पर पहुंच गया था. फिर सरकार और जनता की लापरवाही से मामला बिगड़ने लगा. शुरुआती दौर में हिमाचल प्रदेश में पूरे अप्रैल महीने में एक भी व्यक्ति की कोविड से मौत नहीं हुई थी. आलम ये था कि मई 2020 में भी हिमाचल में सिर्फ चार लोगों की मौत हुई. उसके बाद हिमाचल में बाहर से लोगों के आने का सिलसिला शुरू हुआ. विदेश से भी लोग आए. फिर सैलानियों की संख्या भी बढ़ी और धीरे-धीरे हिमाचल में स्थितियां बिगड़ गई.
मई महीने में 1389 लोगों की गई जान
हिमाचल प्रदेश के लिए दूसरी लहर तो बेहद घातक साबित हुई. मई 2021 में 25 तारीख तक प्रदेश में 1389 लोगों की मौत हो चुकी है. ये आंकड़ा इस कदर भयावह है कि अकेले वर्ष 2020 में नौ महीने और नए साल के शुरुआती चार महीनों में भी इतनी मौतें नहीं हुई, जितनी अकेले मई महीने में हो चुकी हैं. पिछले साल नौ महीने में 921 मौतें हो गईं. नए साल के पहले तीन महीनों यानी जनवरी, फरवरी व मार्च में 113 लोगों की जान गई. फिर अप्रैल महीने में 449 लोगों की मौत हुई. यदि 2021 के चार महीनों की संख्या देखें तो कुल 562 लोग काल का ग्रास बने. उधर, अकेले मई महीने में 1389 लोगों की जान गई. यदि मौत के आंकड़े इसी तरह बढ़ते रहे तो अकेले मई महीने में मौतों की संख्या पिछले साल से लेकर इस साल के अप्रैल महीने से अधिक हो जाएगी.
उपचार में देरी बनी ज्यादातर लोगों की मौत की वजह
हिमाचल प्रदेश में यदि मौत के कारणों पर नजर डालें तो 23 मई तक 7.7 प्रतिशत अर्थात 213 लोगों की मौत घर पर हुई. फिर 4.1 प्रतिशत कोरोना संक्रमित अस्पताल पहुंचने से पहले मौत का शिकार हुए. यानी ब्रॉट डैड व्हेन केम टू हॉस्पिटल. अस्पतालों में मरने वाले कोरोना संक्रमितों में से 38 फीसदी ऐसे थे जो उपचार के लिए भर्ती होने के महज 24 घंटे बाद ही काल का ग्रास बन गए. इसके साथ ही 11.3 फीसदी यानी 310 मृतकों की जान अस्पताल में भर्ती होने के 48 घंटे के भीतर चली गई. आंकड़ों से साफ है कि प्रदेश में 49.8 फीसद कोरोना संक्रमितों की जान उपचार में देरी की वजह से गई है. हिमाचल प्रदेश में कोविड-19 से अब तक पंद्रह साल से कम आयु के 9 बच्चों की जान गई है. फिर 15 से 29 साल के बीच के युवाओं में 37 को अपनी जान गंवानी पड़ी. इसके अलावा 30 से 44 साल की आयु वर्ग में 296, 45 से 59 की आयु में 745, 60 से 74 साल वालों में 1089 व 75 साल से अधिक की आयु वाले 576 बुजुर्ग लोगों ने जान गंवाई.
हिमाचल के पास 5000 बेड कैपेसिटी
हिमाचल प्रदेश के पास सरकारी सेक्टर में देश के अन्य राज्यों के मुकाबले अच्छा हेल्थ सेटअप है. हिमाचल प्रदेश में पर्याप्त ऑक्सीजन की उपलब्धता है. इसके अलावा बेड कैपेसिटी भी अधिकतम पांच हजार है. प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी अस्पताल में नॉन कोविड मरीजों का भी इलाज हो रहा है. हिमाचल में 320 एंबुलेंस संक्रमितों को अस्पताल लाने में तैनात हैं. प्रदेश के पास 5634 डी टाइप सिलेंडर हैं. 2010 बी टाइप सिलेंडर को मिलाकर ये संख्या 7644 बनती है. फिलहाल, 3856 बैड उपलब्ध हैं.
संक्रमित लोगों की जान बचाना सरकार की प्राथमिकता
राज्य सरकार के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल का कहना है कि सरकार कोरोना संक्रमण के कारण होने वाली मौतों को कम करने की दिशा में काम कर रही है. लोगों को समय पर अस्पताल आना चाहिए. उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस को लेकर भी इंतजाम माकूल किए गए हैं. इस समय प्रदेश सरकार की प्राथमिकता गंभीर हालत वाले संक्रमितों की जान बचाना है. साथ ही टेस्टिंग भी इंप्रूव की जा रही है.