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हिमाचल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, जिस जमीन का उपयोग सड़क निर्माण में हो, उसका मालिक मुआवजे का हकदार - construction of road

एक व्यक्ति जिसकी भूमि का उपयोग सड़क निर्माण के लिए किया गया है वह प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana) के तहत मुआवजा लेने का हकदार है. जब तक कि न्यायालय के समक्ष यह साबित नहीं हो जाता कि ऐसी सड़क के निर्माण के लिए उसकी सहमति थी. पूरा मामला आखिर क्या है जानने के लिए आगे पढ़ें...

compensation under PMGSY
हिमाचल हाईकोर्ट (फाइल फोटो).
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Published : Mar 31, 2022, 9:48 PM IST

शिमला: एक व्यक्ति जिसकी भूमि का उपयोग सड़क निर्माण के लिए किया गया है वह प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत मुआवजा लेने का हकदार है. जब तक कि न्यायालय के समक्ष यह साबित नहीं हो जाता कि ऐसी सड़क के निर्माण के लिए उसकी सहमति थी. मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीफ, न्यायाधीश अजय मोहन गोयल और न्यायाधीश संदीप शर्मा की फुल बेंच ने डिवीजन बेंच द्वारा भेजे गए रेफरेंस का जवाब देते हुए यह फैसला सुनाया कि क्या एक व्यक्ति जिसकी भूमि का उपयोग सड़क के निर्माण के लिए किया गया है वह प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत मुआवजे के लिए हकदार है.

इस मामले में महाधिवक्ता की ओर तर्क दिया कि याचिकाकर्ता (Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana) की उस भूमि का उपयोग विकास खंड ठियोग में वर्ष 2000-2001 में सड़क जीप योग्य सड़क के निर्माण के लिए किया गया था. सड़क के लिए खुदाई का कार्य याचिकाकर्ता सहित सभी भूमि मालिक की मौखिक सहमति से 17 जनवरी 2005 से बहुत पहले पूरा कर लिया गया था. याचिकाकर्ता ने सर्वेक्षण के साथ-साथ कभी भी आपत्ति नहीं की. उस समय सड़क निर्माण के लिए भूमि के बदले मुआवजे कर भुगतान का दावा नहीं किया. इसके अलावा प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत पॉलिसी में मुआवजे के भुगतान के संबंध में भूमि अधिग्रहण का कोई प्रावधान नहीं है.

हालांकि, दूसरी ओर याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना भूमि अधिग्रहण के लिए धन उपलब्ध नहीं कराती है, इसका मतलब यह नहीं है कि अधिग्रहण राज्य सरकार द्वारा मुआवजे का भुगतान अपने खर्च पर नहीं किया जा सकता है यदि राज्य सरकार यह साबित करने में सक्षम न हो कि सड़क के निर्माण के लिए भूमि याचिकाकर्ता की सहमति से ली गई थी.

दोनों पक्षों को सुनने के बाद पूर्ण पीठ ने कहा कि 'यहां तक कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना' दिशा-निर्देशों में भी की भूमि पर कब्जा करने की परिकल्पना नागरिक के सहमति के बिना और देय राशि के भुगतान के बिना नुकसान भरपाई नहीं की गई है. हालांकि यह दूसरी बात है कि नागरिक स्वेच्छा से अपनी जमीन का समर्पण करता है, लेकिन स्वेच्छा के तथ्य की जांच के लिए ठोस और विश्वसनीय सबूत की आवश्यकता पड़ती है'

ये भी पढ़ें- ड्राइवर को नींद की झपकी आने पर बजेगा अलार्म, हमीरपुर की छात्रा ने बनाया मॉडल

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शिमला: एक व्यक्ति जिसकी भूमि का उपयोग सड़क निर्माण के लिए किया गया है वह प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत मुआवजा लेने का हकदार है. जब तक कि न्यायालय के समक्ष यह साबित नहीं हो जाता कि ऐसी सड़क के निर्माण के लिए उसकी सहमति थी. मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीफ, न्यायाधीश अजय मोहन गोयल और न्यायाधीश संदीप शर्मा की फुल बेंच ने डिवीजन बेंच द्वारा भेजे गए रेफरेंस का जवाब देते हुए यह फैसला सुनाया कि क्या एक व्यक्ति जिसकी भूमि का उपयोग सड़क के निर्माण के लिए किया गया है वह प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत मुआवजे के लिए हकदार है.

इस मामले में महाधिवक्ता की ओर तर्क दिया कि याचिकाकर्ता (Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana) की उस भूमि का उपयोग विकास खंड ठियोग में वर्ष 2000-2001 में सड़क जीप योग्य सड़क के निर्माण के लिए किया गया था. सड़क के लिए खुदाई का कार्य याचिकाकर्ता सहित सभी भूमि मालिक की मौखिक सहमति से 17 जनवरी 2005 से बहुत पहले पूरा कर लिया गया था. याचिकाकर्ता ने सर्वेक्षण के साथ-साथ कभी भी आपत्ति नहीं की. उस समय सड़क निर्माण के लिए भूमि के बदले मुआवजे कर भुगतान का दावा नहीं किया. इसके अलावा प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत पॉलिसी में मुआवजे के भुगतान के संबंध में भूमि अधिग्रहण का कोई प्रावधान नहीं है.

हालांकि, दूसरी ओर याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना भूमि अधिग्रहण के लिए धन उपलब्ध नहीं कराती है, इसका मतलब यह नहीं है कि अधिग्रहण राज्य सरकार द्वारा मुआवजे का भुगतान अपने खर्च पर नहीं किया जा सकता है यदि राज्य सरकार यह साबित करने में सक्षम न हो कि सड़क के निर्माण के लिए भूमि याचिकाकर्ता की सहमति से ली गई थी.

दोनों पक्षों को सुनने के बाद पूर्ण पीठ ने कहा कि 'यहां तक कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना' दिशा-निर्देशों में भी की भूमि पर कब्जा करने की परिकल्पना नागरिक के सहमति के बिना और देय राशि के भुगतान के बिना नुकसान भरपाई नहीं की गई है. हालांकि यह दूसरी बात है कि नागरिक स्वेच्छा से अपनी जमीन का समर्पण करता है, लेकिन स्वेच्छा के तथ्य की जांच के लिए ठोस और विश्वसनीय सबूत की आवश्यकता पड़ती है'

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