ठियोग: राष्ट्रीय राजमार्ग पांच पर सोमवार को ठियोग के मतियाना के समीप कंक्रीट से बना एक चार मंजिला भवन धराशायी हो गया. जिसकी जद में आने से चार मजदूर घायल हुए हैं. लाखों रुपये की लागत से बने अमीचंद चंदेल के नए कंक्रीट के भवन में स्थानीय निजी सेब आढ़ती सेब स्टोर करने के लिए इस्तेमाल कर रहा था. जिसमें दुर्घटना के समय लगभग दो से तीन हजार सेब की पेटियां रखी थी.
दुर्घटना लगभग दोपहर के समय की है जब इस भवन में सेब को स्टोर करने के लिए मजदूर काम कर रहे थे. भवन के गिरने से पहले जमीन खिसकने और कंक्रीट चटखने की आवाजें आनी शुरू हो गई थी. आवाजें तेज होने के साथ ही मजदूरों ने खतरा भांपते हुए विभिन्न मंजिलों से बाहर कूद कर अपनी जान बचाई.
स्थानीय पुलिस, अग्निशामक दल और प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर जाकर बचाव राहत अभियान चलाया. घायलों को 108 एम्बुलेंस के माध्यम से ठियोग के सिविल अस्पताल लाया गया. जिन्हें आगे के उपचार के लिए उन्हें शिमला के आईजीएमसी अस्पताल भेजा गया है.
घायलों की पहचान परमजीत सिंह निवासी मतियाना नालागढ़ हरदयाल सिंह गांव बदल नालागढ़, राकेश कुमार गांव धार नालागढ़ और बुध राम गांव जगली नालागढ़ के रूप में हुई है. इस भवन में नालागढ़ से आई 29 लोग लेबर के रूप में रहते थे, यदि यह हादसा रात के समय होता तो बहुत बड़ा जानी नुकसान हो सकता था.
स्थानीय लोगों के अनुसार धराशाई भवन में लगभग तीन हजार पेटियां रखी गई थी और पिछले रात को भी कुछ ट्रकों में सेब की पेटियां भर कर भेजी गई थी. भवन के गिरने के कारण जमीन के साथ लगते बागवान अमीचंद चंदेल के तीस से चालीस सेब के पौधे भी भवन के मलबे में दब गए हैं.
प्रशासन द्वारा भवन मालिक, सेब के आढ़ती व अन्य लोगों के हुए नुकसान का आकंलन की रिपोर्ट बनाई जा रही है. लोगों ने बताया कि सड़क के निचली ओर होने के कारण सड़क का पानी भवन की तरफ गिरता था, जोकि भवन गिरने का कारण हो सकता है.
स्थानीय लोगों ने इस तरह की दुर्घटना के समय होने वाले बचाव कार्यों में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों और अन्य जरुरी सामान को स्थानीय प्रशासन को अपने पास मुहैया करवाने के लिए कोई ठोस योजना बनाने के आग्रह किया. स्थानीय पुलिस और प्रशासन के पास इस तरह के कोई उपकरण न होने से किसी भी घायल की मौत होने के अधिक मामले सामने आते हैं.
ये भी पढ़ें- सोनिया गांधी के बाद अब राहुल गांधी भी पहुंचे शिमला, 2 दिनों तक यहीं रहेगा पूरा परिवार