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फिर शिखर पर सिरमौर, 33 पंचायतें चुनी गईं निर्विरोध, हिमाचल में 103 पंचायतें बनीं मिसाल

जिला सिरमौर में 33 पंचायतें निर्विरोध चुनी गई हैं. इस तरह प्रदेश में पंचायतों को चुनने के मामले में सिरमौर पहले नंबर पर आया है. वहीं, जनजातीय जिला किन्नौर ने दूसरे नंबर पर रहते हुए 23 पंचायतों को बिना किसी विरोध के चुन लिया है. उधर, सबसे बड़े जिले कांगड़ा में सबसे कम तीन पंचायतें निर्विरोध चुनी गई हैं.

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Published : Jan 7, 2021, 10:58 PM IST

शिमलाः हिमाचल में जिला सिरमौर को विकास के लिहाज से पिछड़ा जिला माना जाता है, लेकिन पंचायत चुनाव में इस जिला ने शिखर छुआ है. निर्विरोध पंचायतों को चुनने के मामले में सिरमौर जिला अव्वल आया है. सिरमौर में 33 पंचायतें निर्विरोध चुनी गई हैं.

जनजातीय जिला किन्नौर दूसरे स्थान पर

दूसरे नंबर पर जनजातीय जिला किन्नौर रहा है. किन्नौर में 23 पंचायतों को बिना किसी विरोध के चुन लिया गया. जिला सिरमौर के लोगों ने पिछली बार भी 30 पंचायतों को सर्वसहमति से चुन लिया था. इस बार सिरमौर ने अपना ही रिकार्ड तोड़ दिया और 33 पंचायतों को आपसी सहमति से चुन लिया.

अब तक कुल 103 पंचायतें चुनी गई निर्विरोध

नए साल में निर्विरोध चुनी गई पंचायतों को अब सरकार ने भी नकद इनाम का तोहफा दस लाख रुपए से बढ़ाकर 15 लाख रुपए किया गया है. अब तक के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश की 103 पंचायतें निर्विरोध चुना गया है. ऐसे में इन पंचायतों को 15 करोड़ 45 लाख रुपए मिलेंगे.

ये भी पढ़ें- हमीरपुर वॉर्ड नंबर-8 का दंगल, समस्याओं के अंबार प्रत्याशी चुनावी मैदान में तैयार

जिला सिरमौर व जिला किन्नौर के अलावा मुख्यमंत्री के गृह जिला मंडी से 12 पंचायतें निर्विरोध चुनी गईं. इसी तरह शिमला से भी 12, सोलन से 3, बिलासपुर से 2 और ऊना से 4 पंचायतों को निर्विरोध चुना गया है.

नहीं टूटा पिछला रिकार्ड, 2015 में 114 पंचायतें चुनी गईं थी निर्विरोध

पिछली बार यानी साल 2015 में प्रदेश भर में 114 पंचायतें अनअपोज चुन ली गई थीं. इस बार उम्मीद की जा रही थी कि ये रिकार्ड टूटेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हालांकि सिरमौर ने अपना रिकार्ड बरकरार रखा है. साल 2010 के चुनाव में भी 106 पंचायतें सहमति से चुनी गई थीं.

कांगड़ा में तीन पर सिमटा आंकड़ा

इस बार सबसे कम पंचायतें ऐसी हैं, जिन्हें सहमति से निर्वाचित किया गया. प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में पिछली बार 4 पंचायतें निर्विरोध निर्वाचित की गई थीं. इस बार ये आंकड़ा 3 पर सिमट गया. फिलहाल निर्विरोध चुनी गई पंचायतों को प्रति पंचायत 15 लाख रुपए मिलेंगे. इस तरह 103 पंचायतों को 15 करोड़ 45 लाख रुपए विकास कार्यों के लिए हासिल होंगे.

ये भी पढ़ें- पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की अपील, पंचायत चुनावों में साफ सुथरी छवि के लोगों को चुनें

शिमलाः हिमाचल में जिला सिरमौर को विकास के लिहाज से पिछड़ा जिला माना जाता है, लेकिन पंचायत चुनाव में इस जिला ने शिखर छुआ है. निर्विरोध पंचायतों को चुनने के मामले में सिरमौर जिला अव्वल आया है. सिरमौर में 33 पंचायतें निर्विरोध चुनी गई हैं.

जनजातीय जिला किन्नौर दूसरे स्थान पर

दूसरे नंबर पर जनजातीय जिला किन्नौर रहा है. किन्नौर में 23 पंचायतों को बिना किसी विरोध के चुन लिया गया. जिला सिरमौर के लोगों ने पिछली बार भी 30 पंचायतों को सर्वसहमति से चुन लिया था. इस बार सिरमौर ने अपना ही रिकार्ड तोड़ दिया और 33 पंचायतों को आपसी सहमति से चुन लिया.

अब तक कुल 103 पंचायतें चुनी गई निर्विरोध

नए साल में निर्विरोध चुनी गई पंचायतों को अब सरकार ने भी नकद इनाम का तोहफा दस लाख रुपए से बढ़ाकर 15 लाख रुपए किया गया है. अब तक के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश की 103 पंचायतें निर्विरोध चुना गया है. ऐसे में इन पंचायतों को 15 करोड़ 45 लाख रुपए मिलेंगे.

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जिला सिरमौर व जिला किन्नौर के अलावा मुख्यमंत्री के गृह जिला मंडी से 12 पंचायतें निर्विरोध चुनी गईं. इसी तरह शिमला से भी 12, सोलन से 3, बिलासपुर से 2 और ऊना से 4 पंचायतों को निर्विरोध चुना गया है.

नहीं टूटा पिछला रिकार्ड, 2015 में 114 पंचायतें चुनी गईं थी निर्विरोध

पिछली बार यानी साल 2015 में प्रदेश भर में 114 पंचायतें अनअपोज चुन ली गई थीं. इस बार उम्मीद की जा रही थी कि ये रिकार्ड टूटेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हालांकि सिरमौर ने अपना रिकार्ड बरकरार रखा है. साल 2010 के चुनाव में भी 106 पंचायतें सहमति से चुनी गई थीं.

कांगड़ा में तीन पर सिमटा आंकड़ा

इस बार सबसे कम पंचायतें ऐसी हैं, जिन्हें सहमति से निर्वाचित किया गया. प्रदेश के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में पिछली बार 4 पंचायतें निर्विरोध निर्वाचित की गई थीं. इस बार ये आंकड़ा 3 पर सिमट गया. फिलहाल निर्विरोध चुनी गई पंचायतों को प्रति पंचायत 15 लाख रुपए मिलेंगे. इस तरह 103 पंचायतों को 15 करोड़ 45 लाख रुपए विकास कार्यों के लिए हासिल होंगे.

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