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हिमाचल में अगले 3 सालों में 15 फीसदी वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों से बदला जाएगा- परिवहन मंत्री बिक्रम सिंह - अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव

हिमाचल प्रदेश में अगले तीन सालों में 15 फीसदी वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहन में बदला जाएगा. परिवहन मंत्री बिक्रम सिंह ने कहा कि सरकार ने प्रदेश की इलेक्ट्रिक वाहन पॉलिसी (Electric Vehicle Policy in himachal) की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग से पर्यावरण संरक्षण को भी विशेष बल मिलता है, क्योंकि इनके प्रयोग से किसी भी प्रकार का प्रदूषण नहीं होता.

electric vehicles in Himachal
परिवहन मंत्री बिक्रम सिंह.
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Published : Mar 1, 2022, 7:20 PM IST

शिमला: हिमाचल को इलेक्ट्रिक वाहनों का हब बनाने के लिए जल्द ही पेट्रोल-डीजल के वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों बदलने पर विचार चल रहा है. प्रदेश के उद्योग और परिवहन मंत्री बिक्रम सिंह ने कहा कि 2025 तक प्रदेश सरकार 15 प्रतिशत वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदल देगी. उद्योग मंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने जनवरी, 2022 में प्रदेश की इलेक्ट्रिक वाहन पॉलिसी (Electric Vehicle Policy in himachal) की घोषणा की है. इस पॉलिसी का मुख्य उद्देश्य हिमाचल प्रदेश को विद्युत गतिशीलता और इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में वैश्विक केंद्र बनाना है तथा विद्युत चालित वाहनों के लिए सार्वजनिक एवं निजी चार्जिंग की आधारभूत संरचना को तैयार करना है.

परिवहन मंत्री बिक्रम सिंह ने बताया कि 2 मार्च, 2022 से मंडी के पड्डल मैदान में अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव पर परिवहन विभाग द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों की प्रदर्शनी आयोजित की जाएगी. उन्होंने लोगों से इस प्रदर्शनी में बढ़-चढ़ भाग लेने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश को इलेक्ट्रिक वाहन का हब बनाया जाएगा. प्रदेश सरकार ने राज्य में वर्ष 2025 तक 15 फीसदी वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलने का लक्ष्य निर्धारित किया है.

उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा प्रदर्शनी में लोगों को जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए मोटर वाहन निरीक्षक तैनात किए जाएंगे. इस प्रदर्शनी में इलेक्ट्रिक वाहनों के विभिन्न मॉडल प्रदर्शित किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन पूरी तरह से सुरक्षित हैं और यह वाहन सभी प्रकार की टेस्टिंग प्रक्रिया से गुजरते हैं. इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग से पर्यावरण संरक्षण को भी विशेष बल मिलता है, क्योंकि इनके प्रयोग से किसी भी प्रकार का प्रदूषण नहीं होता.


इलेक्ट्रिक वाहनों का रख-रखाव खर्च कम होता है और पेट्रोल और डीजल वाहनों की अपेक्षा इलेक्ट्रिक वाहनों में प्रति किलोमीटर खर्च कम होता है. उन्होंने कहा कि छोटे इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी को घर पर ही बिजली के सॉकेट से जोड़ कर चार्ज किया जा सकता है और यह पेट्रोल, डीजल और गैसोलिन की तुलना में काफी सस्ती पड़ती है. इलेक्ट्रिक वाहनों में प्रयुक्त होने वाली बैटरी कई वर्षों तक चलती है और इन वाहनों द्वारा ध्वनि प्रदूषण न के बराबर होता है.

ये भी पढ़ें: MANDI: औट पुलिस ने 21 दिन में 30 कैमरे खंगालकर ढूंढ निकाली फॉर्चुनर कार, आरोपियों की ऐसे हुई पहचान

शिमला: हिमाचल को इलेक्ट्रिक वाहनों का हब बनाने के लिए जल्द ही पेट्रोल-डीजल के वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों बदलने पर विचार चल रहा है. प्रदेश के उद्योग और परिवहन मंत्री बिक्रम सिंह ने कहा कि 2025 तक प्रदेश सरकार 15 प्रतिशत वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में बदल देगी. उद्योग मंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने जनवरी, 2022 में प्रदेश की इलेक्ट्रिक वाहन पॉलिसी (Electric Vehicle Policy in himachal) की घोषणा की है. इस पॉलिसी का मुख्य उद्देश्य हिमाचल प्रदेश को विद्युत गतिशीलता और इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में वैश्विक केंद्र बनाना है तथा विद्युत चालित वाहनों के लिए सार्वजनिक एवं निजी चार्जिंग की आधारभूत संरचना को तैयार करना है.

परिवहन मंत्री बिक्रम सिंह ने बताया कि 2 मार्च, 2022 से मंडी के पड्डल मैदान में अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव पर परिवहन विभाग द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों की प्रदर्शनी आयोजित की जाएगी. उन्होंने लोगों से इस प्रदर्शनी में बढ़-चढ़ भाग लेने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश को इलेक्ट्रिक वाहन का हब बनाया जाएगा. प्रदेश सरकार ने राज्य में वर्ष 2025 तक 15 फीसदी वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलने का लक्ष्य निर्धारित किया है.

उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा प्रदर्शनी में लोगों को जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए मोटर वाहन निरीक्षक तैनात किए जाएंगे. इस प्रदर्शनी में इलेक्ट्रिक वाहनों के विभिन्न मॉडल प्रदर्शित किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहन पूरी तरह से सुरक्षित हैं और यह वाहन सभी प्रकार की टेस्टिंग प्रक्रिया से गुजरते हैं. इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग से पर्यावरण संरक्षण को भी विशेष बल मिलता है, क्योंकि इनके प्रयोग से किसी भी प्रकार का प्रदूषण नहीं होता.


इलेक्ट्रिक वाहनों का रख-रखाव खर्च कम होता है और पेट्रोल और डीजल वाहनों की अपेक्षा इलेक्ट्रिक वाहनों में प्रति किलोमीटर खर्च कम होता है. उन्होंने कहा कि छोटे इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी को घर पर ही बिजली के सॉकेट से जोड़ कर चार्ज किया जा सकता है और यह पेट्रोल, डीजल और गैसोलिन की तुलना में काफी सस्ती पड़ती है. इलेक्ट्रिक वाहनों में प्रयुक्त होने वाली बैटरी कई वर्षों तक चलती है और इन वाहनों द्वारा ध्वनि प्रदूषण न के बराबर होता है.

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