शिमला: अक्सर पहाड़ के निवासियों का ख्याल आते ही सेहतमंद लोगों की तस्वीर नजर के सामने आती है, लेकिन तस्वीर का दूसरा पहलू ये है कि पहाड़ी प्रदेश हिमाचल की सेहत मंद हो रही है. यहां के महिला व पुरुष ही नहीं बच्चे भी मधुमेह की चपेट में हैं. यही नहीं, पहाड़ का दिल भी लगातार कमजोर हो रहा है. इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च के एक अध्ययन के अनुसार हिमाचल प्रदेश में 13 फीसदी के करीब लोग डायबिटीज का शिकार हुए हैं. प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी अस्पताल के मेडिसिन विभाग के पूर्व प्रोफेसर डॉ. राजेश कश्यप ने इस खतरे को एक दशक पहले ही भांप लिया था.
मेडिसिन ओपीडी में आने वाले हर व्यक्ति को वे मधुमेह के लिए जांच करवाने को कहते थे. यही नहीं, उन्होंने बहुत ही सरल भाषा में मधुमेह पर किताब भी लिखी. इसी तरह आईजीएमसी अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के विख्यात डॉ. प्रोफेसर अरविंद कंदौरिया भी एक दशक से हिमाचल में बढ़ रहे दिल के रोगों पर अध्ययन कर रहे हैं. स्थिति इस कदर भयावह है कि हिमाचल में हर साल 3500 लोगों को हार्ट अटैक आता है. यही नहीं, चालीस साल से कम आयु के लोग इस समय रिस्क पर हैं. आखिर ऐसा क्या हुआ जो पहाड़ी प्रदेश हिमाचल में मधुमेह और दिल के रोग बढ़े हैं?
आईजीएमसी अस्पताल के मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञ डॉ. विमल भारती का कहना है कि इसके लिए तेजी से बदलता लाइफ स्टाइल जिम्मेदार है. वे एक पंक्ति में कहते हैं-डायबिटीज और हार्ट डिजीज मतलब आरामपरस्त लाइफ. इसके अलावा मेहनत से जी चुराना, पैदल न चलना, जंक फूड खाना, मोबाइल पर व्यस्त रहना, शराब व अन्य नशों में पड़ना, आउटडोर गेम्स में हिस्सा न लेना और गांव से शहरों की तरफ पलायन, ये सब मधुमेह और दिल के रोगों का कारण है. मेहनत न करने और जंक फूड ठूंसने से लोग मोटापे का शिकार हो रहे हैं और मोटा व्यक्ति जरूर मधुमेह की चपेट में भी आएगा.
इस तरह देखा जाए तो सेहत के मोर्चे पर हिमाचल के लिए ये समय चिंता का समय है. हर साल साढ़े तीन हजार लोगों को हार्ट अटैक का सामना करना पड़ा रहा है. चालीस साल से कम आयु के लोग दिल की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. इसका कारण भागदौड़ वाली जिंदगी, तनाव, मधुमेह व आरामपरस्ती सहित खानपान की गलत आदतें हैं. आईजीएमसी अस्पताल के कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट ने हिमाचल के विभिन्न क्षेत्रों के लोगों की जांच की. जांच टीम में शामिल डॉक्टर्स व लैब टेक्नीशियन ने प्रदेश भर में कामकाजी लोगों, युवाओं, महिलाओं, दुकानदारों, छात्रों आदि के ब्लड टेस्ट व अन्य स्वास्थ्य जांच की. इस जांच की बाकायदा डॉक्यूमेंटेशन की गई. उसके बाद हिमाचल प्रदेश हार्ट अटैक रजिस्ट्री तैयार की गई है.
इस अध्ययन के कई चौंकाने वाले परिणाम आए हैं. अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल में हर साल साढ़े तीन हजार लोगों को हार्ट अटैक का सामना करना पड़ता है. हार्ट अटैक के कारण हर साल डेढ़ सौ लोगों को असमय ही काल का शिकार होना पड़ रहा है. खतरनाक बात ये है कि जवान दिल भी बीमार हो रहे हैं. चालीस साल से कम आयु वाले 200 लोगों को हर साल दिल का दौरा पड़ रहा है. वैसे तो सेहतमंद रहने के लिए लोगों को साफ हवा और बेहतर वातावरण वाले पहाड़ी स्थानों पर बसने की सलाह दी जाती है, लेकिन देखने में आ रहा है कि अब पहाड़ में भी लोग दिल की बीमारियों से जूझ रहे हैं.
आईजीएमसी अस्पताल में सेवाएं दे चुके मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. राजेश कश्यप का कहना है कि लोगों को आरामपरस्ती की आदत छोडऩी होगी. खानपान पर ध्यान देना होगा. सुबह व शाम की सैर तो सबसे जरूरी है. इसके अलावा शारीरिक श्रम करने से मोटापे से बच सकते हैं और यदि मोटापे को पास न फटकने दिया तो मधुमेह की आशंका भी नहीं रहेगी. फिर नशों का त्याग भी जरूरी है. शराब पीने से कई बीमारियों को निमंत्रण मिलता है. मधुमेह पर आईसीएमआर के लिए अध्ययन रिपोर्ट तैयार करने वाले आईजीएमसी अस्पताल के मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. जितेंद्र मोक्टा का कहना है कि हिमाचल में टाइप टू मधुमेह चिंताजनक रूप से बढ़ी है. टाइप टू मधुमेह में हिमाचल देश में सातवें स्थान पर हैं. हिमाचल में 31 फीसदी लोग हाई ब्लड प्रेशर का शिकार हैं.
कार्डियोलॉजिस्ट प्रोफेसर अरविंद कंदौरियां का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में दिल का रोग बढऩे के पीछे मुख्य कारण धूम्रपान करना है. धूम्रपान के अलावा हाई बीपी और डायबिटिज अन्य वजहें हैं. स्मोकिंग का बुरा प्रभाव दिल पर पड़ता है. हाई बीपी का एक कारण स्मोकिंग भी है. इसके अलावा मधुमेह के कारण भी दिल के रोग बढ़ रहे हैं. समूची दुनिया में भारत को डायबिटिज की कैपिटल कहा जा रहा है. भारत के साथ ही हिमाचल भी इसकी चपेट में है. मधुमेह के अन्य कारणों में हाई कोलेस्ट्रॉल भी है. ये सब मिलकर हार्ट अटैक को निमंत्रण दे रहे हैं. चिंता की बात है कि हाई बीपी, डायबिटिज और हाई कोलेस्ट्रॉल वाले पचास फीसदी से अधिक लोग इस बात से अनजान हैं कि ये कारण दिल के रोगों को बुला रहे हैं. जागरुकता की कमी के कारण ये पचास फीसदी लोग हाई बीपी, डायबिटीज आदि को नियंत्रित करने के लिए दवाई लेने की जरूरत भी नहीं समझते. ऐसे में स्थिति बिगड़ती है और दिल का दौरा पड़ने में देर नहीं लगती.
तेजी से भागते समय में लोग अपनी सेहत का ख्याल नहीं रख रहे. खानपान की आदतों में बदलाव आया है. लोगों को फास्ट फूड की आदत पड़ गई है. खासकर बच्चे पूरी तरह से फास्ट फूड व जंक फूड के दीवाने हैं. व्यायाम भी लोगों की दिनचर्या से गायब हो रहा है. सोशल मीडिया और मोबाइल पर लोग अधिक समय बिता रहे हैं. ग्रामीण इलाकों से शहरों की तरफ पलायन बढ़ा है. प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने वाले युवा वर्क लोड से परेशान हैं. इस कारण जीवन में तनाव पसर रहा है. ये तनाव बाद में दिल की बीमारियों को न्योता दे रहे हैं. शिमला में एक निजी कंपनी के लिए काम करने वाले 38 साल के अमन मल्होत्रा मधुमेह की दवाइयां ले रहे हैं. उनका कहना है कि न तो आराम करने के लिए समय है और न ही समय पर खाना खा पाते हैं. मजबूरी में जंक फूड खाना पड़ता है. अनियमित दिनचर्या के कारण जवानी में ही मधुमेह ने जकड़ लिया है.
कार्डियोलॉजिस्ट प्रोफेसर अरविंद कंदौरिया के अनुसार दिल की बीमारियों को कम करने के लिए सबसे बड़ा साधन रोजाना की कसरत है. कम से कम पैंतालीस मिनट की कसरत रोज करने की आवश्यकता है. इसके अलावा भोजन में हरी सब्जियों को शामिल करना होगा.इसके अलावा तंबाकू का सेवन तो हर हाल में छोड़ना होगा. रोकथाम के उपायों के तहत मधुमेह का टेस्ट नियमित समय पर करवाना चाहिए. बीपी को नियंत्रित करने के लिए नियमित रूप से दवाइयों का प्रयोग करना चाहिए. डॉ. कंदौरिया का कहना है कि हार्ट अटैक से बचने के लिए जागरुकता की जरूरत है. चालीस साल से कम आयु के लोग सेहत के प्रति लापरवाह रहते हैं. उन्हें मालूम ही नहीं पड़ता कि कब हाई बीपी और मधुमेह ने उनको जकड़ लिया.
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