नाहन: मानव रक्त किसी उद्योग में नहीं बनाया जा सकता, इसका विकल्प तो मानव खुद ही है. यही वजह है कि रक्तदान को महादान, श्रेष्ठदान सहित जीवनदार माना जाता (world blood donor day 2022) है. 14 जून यानी आज विश्व रक्तदाता दिवस है. लिहाजा इस विशेष दिवस पर ईटीवी भारत आपको एक ऐसे रक्तदाता से रूबरू करवा रहा है, जोकि रक्तदान के क्षेत्र में शतकवीर बनकर सामने आए हैं. जी हां हम बात कर रहे हैं जिला मुख्यालय नाहन के 61 वर्षीय अमिल अग्रवाल (Amil Agrawal of nahan) की, जिन्हें न केवल शहर बल्कि पूरे जिले में बिल्ला भाई के नाम से जाना जाता है.
दूसरों की जान बचाने के जुनून ने अमिल अग्रवाल को शतकवीर रक्तदाता बना दिया. वह रक्तदान करके अब तक 121 अनमोल जिंदगियों का जीवन बचा चुके हैं. 17 जुलाई 1961 में जन्में अमिल अग्रवाल ने 17 साल की उम्र में उस वक्त नाहन अस्पताल में रक्तदान किया था, जब एक मरीज के साथ मौजूद तिमारदारों ने ही उसे ब्लड देने के लिए इंकार कर दिया. बस इसी घटना ने अमित अग्रवाल को झंकझोर कर रख दिया और 17 साल की उम्र में शुरू हुआ रक्तदान करने का सफर 61 साल की उम्र तक अब भी बदस्तुर जारी है.
दरअसल नाहन शहर में शाही महल के समीप दुकान करने वाले अमिल अग्रवाल सिरमौर जिले के ऐसे पहले रक्तदाता है, जिन्होंने रक्तदान के क्षेत्र में शतक का आंकड़ा पार किया है. वह अब तक 121 बार रक्तदान कर चुके (Amil Agarwal donated blood 121 times) हैं. अग्रवाल में रक्तदान कर दूसरों की जिंदगी बचाने का ऐसा जुनून है कि वह पीजीआई चंडीगढ़, शिमला, सोलन, यमुनानगर व अन्य क्षेत्रों में भी मरीजों की जान बचाने के लिए रक्तदान करने पहुंच जाते हैं. यहां तक कि उन्होंने नाहन शहर में नवयुवक मंडल के नाम से एक संस्था भी बनाई हैं, जिसमें दर्जनों की संख्या में उन्होंने युवाओं को रक्तदान के लिए प्रेरित भी किया है. अमिल अग्रवाल के इस जज्बे व जुनून को देखते हुए उन्हें दर्जनों बार सम्मानित भी किया जा चुका है.
ईटीवी भारत की खास बातचीत में अमिल अग्रवाल ने बताया कि 1978 में जब वह नाहन अस्पताल में मौजूद थे तभी उनके सामने एक मरीज आया था, जिसे बी-पॉजिटिव ब्लड की बेहद आवश्यकता थी. वहीं, मरीज के साथ मौजूद सभी युवकों ने मरीज को ब्लड देने से मना कर दिया था. जिसके बाद उन्होंने अपने ब्लड की जांच करवाई और ब्लड ग्रुप मिलने के बाद उक्त मरीज को अपना ब्लड देने की बात कही. लेकिन मरीज के साथ मौजूद युवाओं ने उनका मजाक उड़ाया. इसके बाद मरीज को ब्लड देने से उसकी जान बच गई. बस यहीं से उन्होंने रक्तदान करने की शुरूआत की.
अमिल अग्रवाल बताते हैं कि 1978 से लेकर वह अब तक 121 बार रक्तदान कर चुके हैं. इस समयावधि के दौरान उन्हें प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सहित पूर्व में मुख्यमंत्री रहे स्व. वीरभद्र सिंह, पूर्व राज्यपाल रमा देवी सहित नाहन, हिमाचल सहित बाहरी राज्यों की दर्जनों संस्थाएं उन्हें सम्मानित कर चुकी हैं. उन्होंने बताया कि नवयुवक मंडल के नाम से शहर में एक संस्था भी बनाई गई है, जिसके वह अध्यक्ष है. उक्त संस्था से भी करीब 150 से 200 ऐसे युवा जुड़े हैं, जो रक्तदान करते रहते हैं.
शतकवीर रक्तदाता अग्रवाल का कहना है कि जब भी किसी को रक्तदान की जरूरत होती है, तो वह खुद को भाग्यशाली समझते हैं कि वह एक ऐसे शख्स के काम आ रहे हैं, जोकि ब्लड की वजह से जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा होता है. उन्हें जैसे ही कॉल आती है, वह तुरंत अस्पताल में पहुंचकर रक्तदान करते हैं. पीजीआई चंडीगढ़, शिमला, सोलन सहित हरियाणा के यमुनानगर में भी कई मर्तबा जरूरतमंद व्यक्ति को ब्लड दे चुके हैं. उन्होंने अन्य लोगों से भी रक्तदान करने का आहवान करते हुए कहा कि रक्तदान करने से शरीर पर कोई विपरीत असर नहीं पड़ता, इसलिए रक्तदान अवश्य करें.