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गिरिपार अनुसूचित जाति अधिकार संरक्षण समिति ने नाहन में निकाली रोष रैली, PM मोदी से उठाई ये अहम मांग

गिरिपार अनुसूचित जाति अधिकार संरक्षण समिति जिला (SC Rights Protection Committee rally in Nahan) सिरमौर के बेनर तले सोमवार को जिला मुख्यालय नाहन में दलित समुदाय से जुड़े विभिन्न संगठनों ने जोरदार प्रदर्शन किया. तत्पश्चात डीसी कार्यालय में धरना देने के पश्चात उपायुक्त सिरमौर के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन भेजा, जिसमें जनजातीय दर्जा मिलने से हो रहे नुकसान को रोकने की मांग की गई. आखिर ये रैली क्यों निकाली जा रही है... जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

Giripar SC Rights Protection Committee rally in Nahan
गिरिपार अनुसूचित जाति अधिकार संरक्षण समिति ने नाहन में निकाली रोष रैली
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Published : Jul 11, 2022, 3:20 PM IST

नाहन: गिरिपार अनुसूचित जाति अधिकार संरक्षण समिति जिला सिरमौर के बेनर तले सोमवार को जिला मुख्यालय नाहन में दलित समुदाय से जुड़े विभिन्न संगठनों ने जोरदार प्रदर्शन किया. सैंकड़ों की तादाद में दलित समुदाय के लोगों ने बस स्टैंड से लेकर डीसी कार्यालय तक एक विशाल रैली निकाली. इस दौरान दलित समुदाय के लोगों ने अपने अधिकारों के संरक्षण हेतू जमकर नारेबाजी की. तत्पश्चात डीसी कार्यालय में धरना देने के पश्चात उपायुक्त सिरमौर के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन भेजा, जिसमें जनजातीय दर्जा मिलने से हो रहे नुकसान को रोकने की मांग की गई.

मीडिया से बात करते हुए दलित शोषण मुक्ति मंच (Tribal Status to Giripar) के जिला संयोजक आशीष कुमार ने कहा कि जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र की 154 पंचायतों को जनजातीय दर्जा देने का मुद्दा संवेदनशील है. उन्होंने कहा कि गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय घोषित किया जाए, इसको लेकर समिति को कोई आपत्ति नहीं है. उन्होंने कहा कि आपत्ति इस बात पर है कि हिमाचल प्रदेश ही पूरे भारत में एक ऐसा प्रदेश है, जो ट्राइबल के अंदर जातियां विद्यमान हैं.

जिला संयोजक ने बताया कि हाल ही में एक आरटीआई के माध्यम से जुटाई गई. जानकारी में यह सामने आया है कि प्रदेश का किन्नौर कास्टलेस सोसायटी नहीं है. इसका मतलब यह हुआ है कि आज भी वहां जातियां विद्यमान हैं. उन्होंने कहा कि जहां पर कास्टलेस सोसायटी नहीं है, वहां पर जनजातीय की मांग को जायज ठहराया जा सकता है. मगर जहां पर कास्टलेस सोसायटी है, वहां पर जाति के नाम पर उत्पीड़न हो रहा है.

वीडियो.

आशीष कुमार ने कहा कि विभाग के आंकड़ों (SC Rights Protection Committee rally in Nahan) के मुताबिक 115 मामले एट्रोसिटी के जिले में दर्ज हुए हैं, जिसमें से 106 मामले गिरिपार की इन्हीं 154 पंचायतों से है. ऐसे में केंद्र सरकार व आरजीआई को इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि यदि वह गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र घोषित करने जा रहे हैं, तो यहां की 40 प्रतिशत एससी, ओबीसी की आबादी के संरक्षण के बारे में भी विचार करना होगा.

उन्होंने जनजातीय दर्जे (Sirmaur Hati community) को लेकर करवाए गए सर्वे पर भी सवाल खड़े किए. उन्होंने आरोप लगाया कि यह सर्वे बंद कमरे में बैठकर करवाया गया है, क्योंकि यहां की 40 प्रतिशत एससी, ओबीसी की आबादी को इस सर्वे में किसी भी प्रकार से शामिल नहीं किया गया है. उन्होंने केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि बेशक गिरिपार को जनजातीय दर्जा प्रदान किया जाए, लेकिन सबसे पहले दलित समुदाय के अधिकारों पर ध्यान दिया जाए.

कुल मिलाकर एक ओर जहां चुनावी (Giripar SC Rights Protection Committee) साल में सिरमौर जिले का हाटी समुदाय (hati community himachal pradesh) केंद्र सरकार से क्षेत्र को जनजातीय दर्जा देने की लगातार मांग कर रहा है, तो वहीं जिले का दलित समुदाय भी अब अपने अधिकारों को लेकर पूरी तरह से लामबंद हो चुका है.

ये भी पढे़ं- Shrikhand Mahadev Yatra 2022: बम-बम भोले के जयकारों के साथ श्रीखंड महादेव यात्रा शुरू

नाहन: गिरिपार अनुसूचित जाति अधिकार संरक्षण समिति जिला सिरमौर के बेनर तले सोमवार को जिला मुख्यालय नाहन में दलित समुदाय से जुड़े विभिन्न संगठनों ने जोरदार प्रदर्शन किया. सैंकड़ों की तादाद में दलित समुदाय के लोगों ने बस स्टैंड से लेकर डीसी कार्यालय तक एक विशाल रैली निकाली. इस दौरान दलित समुदाय के लोगों ने अपने अधिकारों के संरक्षण हेतू जमकर नारेबाजी की. तत्पश्चात डीसी कार्यालय में धरना देने के पश्चात उपायुक्त सिरमौर के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन भेजा, जिसमें जनजातीय दर्जा मिलने से हो रहे नुकसान को रोकने की मांग की गई.

मीडिया से बात करते हुए दलित शोषण मुक्ति मंच (Tribal Status to Giripar) के जिला संयोजक आशीष कुमार ने कहा कि जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र की 154 पंचायतों को जनजातीय दर्जा देने का मुद्दा संवेदनशील है. उन्होंने कहा कि गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय घोषित किया जाए, इसको लेकर समिति को कोई आपत्ति नहीं है. उन्होंने कहा कि आपत्ति इस बात पर है कि हिमाचल प्रदेश ही पूरे भारत में एक ऐसा प्रदेश है, जो ट्राइबल के अंदर जातियां विद्यमान हैं.

जिला संयोजक ने बताया कि हाल ही में एक आरटीआई के माध्यम से जुटाई गई. जानकारी में यह सामने आया है कि प्रदेश का किन्नौर कास्टलेस सोसायटी नहीं है. इसका मतलब यह हुआ है कि आज भी वहां जातियां विद्यमान हैं. उन्होंने कहा कि जहां पर कास्टलेस सोसायटी नहीं है, वहां पर जनजातीय की मांग को जायज ठहराया जा सकता है. मगर जहां पर कास्टलेस सोसायटी है, वहां पर जाति के नाम पर उत्पीड़न हो रहा है.

वीडियो.

आशीष कुमार ने कहा कि विभाग के आंकड़ों (SC Rights Protection Committee rally in Nahan) के मुताबिक 115 मामले एट्रोसिटी के जिले में दर्ज हुए हैं, जिसमें से 106 मामले गिरिपार की इन्हीं 154 पंचायतों से है. ऐसे में केंद्र सरकार व आरजीआई को इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि यदि वह गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र घोषित करने जा रहे हैं, तो यहां की 40 प्रतिशत एससी, ओबीसी की आबादी के संरक्षण के बारे में भी विचार करना होगा.

उन्होंने जनजातीय दर्जे (Sirmaur Hati community) को लेकर करवाए गए सर्वे पर भी सवाल खड़े किए. उन्होंने आरोप लगाया कि यह सर्वे बंद कमरे में बैठकर करवाया गया है, क्योंकि यहां की 40 प्रतिशत एससी, ओबीसी की आबादी को इस सर्वे में किसी भी प्रकार से शामिल नहीं किया गया है. उन्होंने केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि बेशक गिरिपार को जनजातीय दर्जा प्रदान किया जाए, लेकिन सबसे पहले दलित समुदाय के अधिकारों पर ध्यान दिया जाए.

कुल मिलाकर एक ओर जहां चुनावी (Giripar SC Rights Protection Committee) साल में सिरमौर जिले का हाटी समुदाय (hati community himachal pradesh) केंद्र सरकार से क्षेत्र को जनजातीय दर्जा देने की लगातार मांग कर रहा है, तो वहीं जिले का दलित समुदाय भी अब अपने अधिकारों को लेकर पूरी तरह से लामबंद हो चुका है.

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