पांवटा साहिब: कुएं तालाब, नहरें और नदियां इंसान के लिए ही नहीं बल्कि जीव जंतुओं के लिए काफी महत्व रखती हैं. लेकिन जब इंसान प्राकृतिक जल स्रोतों की अनदेखी करने लगे तो इनका अस्तित्व मिटने के कागार पर पहुंच जाता है.
कुछ ऐसा ही हाल जिला सिरमौर के पांवटा साहिब में प्राकृतिक जल स्रोत और नदियों का है. सरकार और प्रशासन इनके संरक्षण के दावे करते हुए नजर आते हैं लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां करती है.
आलम यह है कि प्राकृतिक जल स्रोतों और नदियों के किनारे गंदगी का अंबार लगा हुआ है. इतना ही नहीं शहर का गंदा पानी सीधे नदियों में गिराया जा रहा है. जिसकी वजह से शहर से गुजरने वाली यमुना नदी का पानी दूषित हो रहा है.
सिकुड़ते जा रहे प्राकृतिक स्रोत
लोगों का कहना है कि विभाग और प्रशासन की उदासीनता के कारण शहर के आस पास पानी के प्राकृतिक और परंपरागत स्रोत सिकुड़ते जा रहे हैं. इलाके के जल स्रोत अब औद्योगिक इकाइयों और सीवरेज से निकलने वाले गंदे पानी को इनमें डाला गया है.
दूषित हो गए प्राकृतिक स्रोत
शहर के आसपास रहने वाले ग्रामीणों का कहना है कि इस बार बारिश कम हुई है, प्राकृतिक जल स्रोत ही एक मात्र सहारा है, लेकिन प्रशासन की अनदेखी और गंदगी की वजह से इसका पानी दूषित हो गया है. जिसे पीने से सिर्फ बीमारी ही होगी.
शिकायत के बाद भी नहीं उठाया गया कोई कदम
पांवटा साहिब के समाजसेवी विशाल वालिया बताते हैं कि नगर परिषद शहर की सारी गंदगी यमुना नदी के किनारे डंप की जा रही है. कई बार प्रशासन से शिकायत की गई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. वहीं, अनुराग गुप्ता का कहना है कि नगर परिषद और पंचायतें एनजीटी के आदेशों की धज्जियां उड़ा रही हैं. ना तो नगर परिषद और ना ही पंचायत इस ओर कोई ध्यान दे रही है.
नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी एसएस नेगी का कहना है कि नगर परिषद की डंपिंग साइड का काम तेजी से चल रहा है. जल्द ही काम पूरा हो जाएगा. नालियों का पक्का किया जा रहा है. लोगों की परेशानियों को दूर करने की कोशिश की जा रही है.