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महाशिवरात्रि 2022: हिमाचल में इस जगह पर रावण ने बनाई थी स्वर्ग की दूसरी सीढ़ी

सिरमौर जिले के पांवटा साहिब-कालाअंब नेशनल हाईवे-7 पर पौड़ीवाला शिव मंदिर (SIRMAUR PAUDIWALA SHIV TEMPLE) में कोई आम शिवलिंग नहीं है. यहां शिवलिंग का आकार अब भी हर साल एक से दो इंच तक बढ़ जाता है. कहा जाता है कि यहां पर रावण ने स्वर्ग की दूसरी सीढ़ी का निर्माण किया था.

MAHASHIVRATRI IN HIMACHAL
सिरमौर का पौड़ीवाला शिव मंदिर.
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Published : Feb 28, 2022, 5:52 PM IST

नाहन: देश भर में महाशिवरात्रि पर्व (MAHASHIVRATRI 2022) के उपलक्ष्य में शिवालयों में धूम मची है. यूं तो देश सहित प्रदेश में ऐसे बहुत से प्राचीन शिवालय है, जहां ओर भगवान शिव को लेकर लोगों की बड़ी आस्था जुड़ी है. ऐसा ही एक प्राचीन शिव मंदिर हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के नाहन क्षेत्र में मौजूद है. दरअसल, यहां कोई आम शिवलिंग नहीं है, यहां शिवलिंग का आकार बढ़ता है. ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग का आकार हर साल एक से दो इंच तक बढ़ जाता है. इसे चमत्कारी शिवलिंग कहा जाए तो गलत नहीं होगा.

कहा यह भी जाता है कि शक्तिशाली होने के बावजूद लंकापति रावण अमरता चाहता था. घोर तपस्या के बाद भगवान शिव ने उसे अमर होने का राज बताया. इसके बाद रावण ने यहां चमत्कारी सीढ़ी बना दी. मगर फिर भी उसका सपना पूरा नहीं हो पाया. इस मंदिर का इतिहास पांवटा-कालाअंब नेशनल हाईवे-7 के किनारे मंदिर को जाने वाले रास्ते पर लगे बोर्ड पर भी दर्शाया गया है, ताकि यहां आने वाले लोगों को इसकी ऐतिहासिकता का पता चल सके.

क्या है कहानी- जनश्रुति के अनुसार हिमाचल के नाहन से करीब 5 किलोमीटर दूर पौड़ीवाला शिव मंदिर का इतिहास लंकापति रावण के साथ जोड़ा जाता है. कहा जाता है कि रावण ने अमरता प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी. कहते हैं कि ये कहानी उस समय की है, जब श्रीराम अयोध्या के राजा बनने वाले थे.उसी दौरान रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यहां शिवलिंग की स्थापना की.

सिरमौर का पौड़ीवाला शिव मंदिर.

रावण की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर शिव शंकर भगवान प्रकट हुए और रावण से वरदान मांगने को कहा. रावण ने अमरता का वरदान मांगा तो भगवान शिव ने उसे अमर होने की तरकीब बताई. ये तरकीब आसान नहीं थी. भगवान शिव ने कहा था कि रावण को एक ही दिन में पांच चमत्कारी सीढ़ियां बनानी होंगी. इसके बाद उसे अमरता और स्वर्ग में जाने का रास्ता मिल जाएगा,

पौड़ीवाला में बनाई थी दूसरी पौढ़ी- रावण ने अमरता पाने के लिए अपना काम शुरू कर दिया. रावण ने पहली पौड़ी हरिद्वार में हर की पौड़ी, दूसरी पौड़ी यहां पौड़ीवाला में, तीसरी पौड़ी चूड़ेश्वर महादेव और चौथी पौड़ी किन्नर कैलाश में बनाई. मगर इसके बाद रावण इतना थक गया कि उसे नींद आ गई. जब वह जागा तो अगली सुबह हो गई थी, ऐसे में उसे अमरता नहीं मिल पाई.

पौड़ीवाला स्थित इस जगह में आज भी दूसरी पौड़ी विद्यमान है. साथ ही वह बावड़ी भी है, जहां से रावण पानी भरता था. कहते हैं कि पौड़ीवाला स्थित इस शिव मंदिर में साक्षात शिव शंकर भगवान वास करते हैं और यहां आने वाले हर श्रद्धालु की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं. यहां हर साल शिवरात्रि पर मेला भी लगता है जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु भोलेनाथ के दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

ये भी पढ़ें: महाशिवरात्रि पर्व 2022: 'देवों के देव' का ऐसा अनूठा मंदिर, जहां शिवलिंग पर सिगरेट चढ़ाने से खुश होते हैं महादेव

श्रद्धालुओं को उपलब्ध कराई गई सुविधा- आमवाला-सैनवाला पंचायत के प्रधान संदीपक तोमर बताते हैं कि उनकी पंचायत में यह स्थान है, जिसे स्वर्ग की दूसरी सीढ़ी के रूप में जाना जाता है. इसे लंकापति रावण ने बनवाया था. इस स्थान पर दर्शन के लिए सैकड़ों की तादाद में लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं. उन्होंने बताया कि जन सहयोग के तहत यहां पर सड़क, पानी इत्यादि की बेहतर सुविधा उपलब्ध करवाई गई हैं. दूर-दूर से लोग महाशिवरात्रि (MAHASHIVRATRI IN HIMACHAL) पर यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

ये भी पढ़ें: शिमला के माल रोड पर स्थित है 500 साल पुराना शिव मंदिर, शिवरात्रि पर शिव-विवाह का होगा आयोजन

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नाहन: देश भर में महाशिवरात्रि पर्व (MAHASHIVRATRI 2022) के उपलक्ष्य में शिवालयों में धूम मची है. यूं तो देश सहित प्रदेश में ऐसे बहुत से प्राचीन शिवालय है, जहां ओर भगवान शिव को लेकर लोगों की बड़ी आस्था जुड़ी है. ऐसा ही एक प्राचीन शिव मंदिर हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के नाहन क्षेत्र में मौजूद है. दरअसल, यहां कोई आम शिवलिंग नहीं है, यहां शिवलिंग का आकार बढ़ता है. ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग का आकार हर साल एक से दो इंच तक बढ़ जाता है. इसे चमत्कारी शिवलिंग कहा जाए तो गलत नहीं होगा.

कहा यह भी जाता है कि शक्तिशाली होने के बावजूद लंकापति रावण अमरता चाहता था. घोर तपस्या के बाद भगवान शिव ने उसे अमर होने का राज बताया. इसके बाद रावण ने यहां चमत्कारी सीढ़ी बना दी. मगर फिर भी उसका सपना पूरा नहीं हो पाया. इस मंदिर का इतिहास पांवटा-कालाअंब नेशनल हाईवे-7 के किनारे मंदिर को जाने वाले रास्ते पर लगे बोर्ड पर भी दर्शाया गया है, ताकि यहां आने वाले लोगों को इसकी ऐतिहासिकता का पता चल सके.

क्या है कहानी- जनश्रुति के अनुसार हिमाचल के नाहन से करीब 5 किलोमीटर दूर पौड़ीवाला शिव मंदिर का इतिहास लंकापति रावण के साथ जोड़ा जाता है. कहा जाता है कि रावण ने अमरता प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी. कहते हैं कि ये कहानी उस समय की है, जब श्रीराम अयोध्या के राजा बनने वाले थे.उसी दौरान रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यहां शिवलिंग की स्थापना की.

सिरमौर का पौड़ीवाला शिव मंदिर.

रावण की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर शिव शंकर भगवान प्रकट हुए और रावण से वरदान मांगने को कहा. रावण ने अमरता का वरदान मांगा तो भगवान शिव ने उसे अमर होने की तरकीब बताई. ये तरकीब आसान नहीं थी. भगवान शिव ने कहा था कि रावण को एक ही दिन में पांच चमत्कारी सीढ़ियां बनानी होंगी. इसके बाद उसे अमरता और स्वर्ग में जाने का रास्ता मिल जाएगा,

पौड़ीवाला में बनाई थी दूसरी पौढ़ी- रावण ने अमरता पाने के लिए अपना काम शुरू कर दिया. रावण ने पहली पौड़ी हरिद्वार में हर की पौड़ी, दूसरी पौड़ी यहां पौड़ीवाला में, तीसरी पौड़ी चूड़ेश्वर महादेव और चौथी पौड़ी किन्नर कैलाश में बनाई. मगर इसके बाद रावण इतना थक गया कि उसे नींद आ गई. जब वह जागा तो अगली सुबह हो गई थी, ऐसे में उसे अमरता नहीं मिल पाई.

पौड़ीवाला स्थित इस जगह में आज भी दूसरी पौड़ी विद्यमान है. साथ ही वह बावड़ी भी है, जहां से रावण पानी भरता था. कहते हैं कि पौड़ीवाला स्थित इस शिव मंदिर में साक्षात शिव शंकर भगवान वास करते हैं और यहां आने वाले हर श्रद्धालु की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं. यहां हर साल शिवरात्रि पर मेला भी लगता है जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु भोलेनाथ के दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

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श्रद्धालुओं को उपलब्ध कराई गई सुविधा- आमवाला-सैनवाला पंचायत के प्रधान संदीपक तोमर बताते हैं कि उनकी पंचायत में यह स्थान है, जिसे स्वर्ग की दूसरी सीढ़ी के रूप में जाना जाता है. इसे लंकापति रावण ने बनवाया था. इस स्थान पर दर्शन के लिए सैकड़ों की तादाद में लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं. उन्होंने बताया कि जन सहयोग के तहत यहां पर सड़क, पानी इत्यादि की बेहतर सुविधा उपलब्ध करवाई गई हैं. दूर-दूर से लोग महाशिवरात्रि (MAHASHIVRATRI IN HIMACHAL) पर यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

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